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पूर्णिया लूटकांड में नया खुलासा, सिग्नल एप पर एक दूसरे के संपर्क में हैं लुटेरे, नेपाल से बंगाल तक चल रही छापेमारी

पूर्णिया के तनिष्क शोरूम में हुई लूट के मामले में पुलिस की कार्रवाई तेजी से आगे बढ़ रही है. अब तक कई खुलासे हो चुके हैं. पुलिस लुटेरों के सही ठिकाने का पता लगाने की कोशिश कर रही है. लेकिन लुटेरे एक-दूसरे से संपर्क करने के लिए सिग्नल ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उन्हें ट्रेस करना मुश्किल हो गया है.

Purnia Robbery: तनिष्क शोरूम से 26 जुलाई को हुई 3.7 करोड़ रुपये की लूट के मामले में एसटीएफ की जांच में नया खुलासा हुआ है. एसटीएफ को पता चला है कि सभी लुटेरे लेटेस्ट तकनीक से लैस सिग्नल एप के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में हैं. इस एप की वजह से पुलिस को लुटेरों तक पहुंचने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

सिग्नल एप के इस्तेमाल की वजह से पुलिस लुटेरों की सही लोकेशन का पता नहीं लगा पा रही है. लुटेरे अभी भी इसी एप के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में बताए जा रहे हैं. अपनी योजना के मुताबिक, वे लूटे गए माल को जल्द से जल्द ठिकाने लगाने की कोशिश करेंगे. पुलिस की कोशिश है कि माल ठिकाने लगाने से पहले ही गिरोह तक पहुंच जाए. इसके लिए पुलिस ने अब सिग्नल एप प्रोवाइडर कंपनी की मदद लेनी शुरू कर दी है. पुलिस को भरोसा है कि कंपनी मदद करेगी तो उसे आसानी से लुटेरों की लोकेशन मिल जाएगी, जिससे उन्हें पकड़ा जा सकेगा.

क्या है सिग्नल एप की खासियत

अन्य एप्स की तुलना में सिग्नल एप की खास बात यह है कि यह सिर्फ यूजर के मोबाइल नंबर का उपयोग करता है. यह ऐप यूजर को यह सुविधा देता है कि वह किसी लोकेशन या आइपी एड्रेस के बिना भी कॉल कर सकता है. सिग्नल एप में ग्रुप बनाना, वॉयल कालिंग करना, वीडियो कॉलिंग करना यह सब कर सकते हैं और यह सब सुविधा के लिए यह एप आपके सिर्फ मोबाइल नंबर का उपयोग करेगा. इसके अलावा कोई भी पर्सनल डाटा स्टोर नहीं होगा. इसमें आप किसी से भी चैटिंग कर सकते हैं और फोटो भेज सकते हैं

नेपाल से बंगाल तक चल रही ताबड़तोड़ छापेमारी

लूटकांड की जांच के लिए गठित पूर्णिया पुलिस और एसटीएफ की टीम बंगाल के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी कई जगहों पर छापेमारी कर रही है. जांच में तकनीकी टीम के विशेषज्ञों को भी लगाया गया है. पुलिस टीम को जहां जहां से इनपुट मिल रही है, त्वरित कार्रवाई कर रही है. अब तक पुलिस को अपराधियों के ठिकाने के जितने भी इनपुट मिले हैं इस आधार पर बंगाल के मालदा जिले में अधिकांश टीम काम कर रही है.

पुलिस का दावा है कि घटना में शामिल सभी अपराधी मालदा के इलाके में ही शरण लिये हुए हैं. अपराधियों के मिले कुछ सुराग के आधार पर एसटीएफ की एक टीम को नेपाल भी भेजा गया है. पुलिस के अनुसार संभावना है कि कुछ अपराधी नेपाल के इटहरी में शरण लिये हुए है. बंगाल में छापेमारी का नेतृत्व एसटीएफ के एसपी अंजनी कुमार कर रहे हैं. एसटीएफ के एक अधिकारी के अनुसार छापेमारी में बंगाल पुलिस पूरा सहयोग कर रही है.

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आठ दिन अररिया के लॉज में रहकर लुटरों ने की थी रेकी

एसटीएफ के एक अधिकारी के अनुसार लूटकांड के सभी अपराधी बंगाल के रहने वाले हैं. घटना से आठ दिन पूर्व सभी अररिया शहर के एक लॉज में रुके थे. यहां से ये सभी बाइक से रोजाना पूर्णिया आकर तनिष्क शोरूम की रेकी कर रहे थे. इतना ही नहीं अपराधियों ने भागने के भी रूट को पहले से ही रेकी कर तय कर लिया था.

गुलाबबाग जीरोमाइल होकर पहुंचे तनिष्क

लूट की घटना को अंजाम देने के लिए सभी अपराधी अररिया जीरोमाइल से जलालगढ़, कसबा होते हुए गुलाबबाग जीरोमाइल पहुंचे. इसके बाद खुश्कीबाग कटिहार मोड़ से कप्तानपुल पार कर लाइन बाजार से डाकबंगला चौक पहुंचे. अपराधियों के अररिया से आने और घटना को अंजाम देकर भागने के रूट कई जगह सीसीटीवी में कैद हो गया है.

ठीक 11.55 बजे तनिष्क शोरूम के अंदर पहुंचे अपराधी

तनिष्क शोरूम से मिले सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के अनुसार सभी अपराधी बारी-बारी से शुक्रवार के दिन के 11.55 बजे अंदर घुसे थे. लूट की घटना कर 12.17 बजे शोरूम के बाहर निकले. मिले सूचना के बाद 12.24 बजे पुलिस को अलर्ट किया गया. 12.26 बजे पुलिस घटनास्थल पर पहुंची.

कटिहार के मनसाही से पहुंचे बंगाल

भागने के क्रम में तीन बाइक पर सभी छह अपराधी पंचमुखी मंदिर से भूतनाथ मंदिर होते हुए रामबाग चौक पहुंचे जहां से फातिमा अस्पताल के रास्ते कप्तानपुल बांध पकड़कर रूइगोला से बेलौरी पहुंचे. इसके बाद महेन्द्रपुर, सपनी, कटिहार जिले के सालमारी, मनसाही होते हुए बंगाल में प्रवेश किया था.

तनिष्क शोरूम के स्टाफ की खंगाली जा रही कुंडली

एसटीएफ अधिकारी के अनुसार तनिष्क शोरूम में काम करने वाले सभी पूर्व और नये स्टाफ की कुंडली निकाली जा रही है. इसके लिए सभी स्टाफ के मोबाइल नंबर एवं घर का पता लिया जा रहा है. शोरूम के संचालक के अनुसार कई स्टाफ पूर्व में काम छोड़ कर चले गये हैं. इसके बाद कई नये स्टाफ भी आये हैं. ऐसे में स्टाफ का चाल चलन कैसा रहा, इसकी जानकारी नहीं है. स्थानीय लोगों की माने तो शक के घेरे में शोरूम के स्टाफ भी हैं. इस आधार पर पुलिस द्वारा इनके क्रियाकलापों की जानकारी इकट्ठा की जा रही है.

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पुलिस की नाकाबंदी होने से पहले ही शहर से बाहर निकल गये लुटेरे

लूट मामले में पुलिस को यह बात खल रही है कि उसकी नाकेबंदी होने से पहले ही सारे लुटेरे शहर से बाहर निकल चुके थे. तनिष्क शोरूम से दिन के 12:17 बजे लुटरे बाहर निकलकर भागे थे. सात मिनट के अंदर पुलिस को जानकारी हुई. हालांकि जबतक में पुलिस एक्शन में आती और नाकेबंदी करती, तब तक में लुटेरों को शहर से बाहर भागने का काफी वक्त मिल गया था.

चार थाना क्षेत्र से निकले बेरोकटोक

लुटेरे घटना के बाद चार थाना क्षेत्रों से बेखौफ, बेरोकटोक और बहुत आसानी से पार किया. चौथे थानाक्षेत्र में लुटेरे काफी देर तक रुके और अपने कपड़े भी जलाये. तनिष्क शोरूम से लूटपाट के बाद लुटरे जब बाहर आये तो यह सहायक खजांची थानाक्षेत्र का इलाका था. पंचमुखी मंदिर से डोनर चौक की ओर बढ़ते ही केहाट थानाक्षेत्र शुरू हो गया. रामबाग चौक से कप्तानपुल बांध रोड में लुटरे सदर थानाक्षेत्र से गुजरे. फिर रूइगोला माधोपाड़ा का इलाका शुरू हुआ जो मुफस्सिल थानाक्षेत्र में पड़ता है. मुफस्सिल थानाक्षेत्र में ही बेलौरी के आगे सुनसान स्थान पर लुटेरे कुछ देर रुके.

मुफस्सिल थानाक्षेत्र में ही लूटेरों ने लूटपाट के दौरान पहने गये कपड़ों को जलाया. इससे साफ जाहिर होता है कि लुटरों को यह अंदाजा था कि अब इसके बाद पुलिस की सक्रियता बढ़ गयी होगी. इसलिए कपड़े जलाकर अपनी पहचान छिपाने की जरूरत लुटेरों ने महसूस की. अपने कपड़े जलाने के बाद लुटेरों ने कटिहार जिला की सीमा में प्रवेश किया और फिर बंगाल के मालदा की ओर निकल गये.

पुलिस के वाररूम में तब्दील हुआ सर्किट हाउस

पूर्णिया के सर्किट हाउस में आमतौर पर नेताओं और मंत्रियों के दौरे पर चहल-पहल रहती है. मगर इस वक्त यहां पुलिस की चहलकदमी बढ़ी हुई है. तनिष्क शोरूम लूटकांड में पुलिस ने सर्किट हाउस को ही अपना वाररूम बना दिया है. पिछले 27 जुलाई से एसटीएफ के एडीजी अमृत राज यहीं कैंप कर लूटकांड के उद्भेदन में पुलिस ऑपरेशन की मॉनीटरिंग कर रहे हैं. उनके साथ ही पूर्णिया एसपी उपेन्द्रनाथ वर्मा, एसटीएफ एसपी अंजनी कुमार समेत पुलिस पदाधिकारी भी यहीं बैठकर संयुक्त रणनीति को अमलीजामा पहना रहे हैं. टेक्निकल टीम भी यहीं से वर्क कर रही है. सारे गठित दसों टीम से मिनट टू मिनट फीडबैक लिया जा रहा है और उन्हें दिशा निर्देश भी यहीं से दिया जा रहा है.

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