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पूर्णिया मनायेगा आज अपनी स्थापना की 255वीं वर्षगांठ, मुख्यालय सज कर तैयार

मुख्यालय सज कर तैयार

स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की प्रशासनिक तैयारियों को दिया गया फाइनल टच

नये जोश, नई उमंग और उम्मीदों के साथ समारोह में भाग लेंगे पूर्णियावासी

इस साल होगा कई कार्यक्रमों का आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मचेगा धमाल

पूर्णिया. शुक्रवार को पूर्णिया जिला अपनी आयु के 255वें साल में प्रवेश करेगा. कालचक्र से जूझते, उससे अठखेलियां करते पूरा एक वर्ष गुजर गया और वह क्षण आ गया जब बीच के खट्टे-मीठे अनुभवों को उत्सवी माहौल में शेयर करें. शुक्रवार को पूर्णियावासी कुछ ऐसी ही भावनाओं से जुड़कर नये जोश, नई उमंग और उम्मीदों के साथ जिला स्थापना दिवस समारोह में भाग लेंगे. प्रशासनिक स्तर पर पूर्णिया जिला के स्थापना दिवस की तैयारियों को गुरुवार की शाम फाइनल टच दिया गया. स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की सभी प्रशासनिक तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं.

दरअसल, शुक्रवार 14 फरवरी को पूर्णिया जिले का स्थापना दिवस है और यह दिवस हर साल उत्साह और उत्सव के साथ मनाया जाता है. गुरुवार को पूर्णिया के स्थापना दिवस की तैयारी को अंतिम रुप दिया गया. इस दफा ख़ास तौर पर मरंगा स्थित पोलिटेक्निक कॉलेज के पीछे आर्ट गैलरी सह प्रेक्षागृह एवं उसके आस पास की खाली स्थानों का चयन किया गया है जहां जिला स्थापना दिवस के मौके पर लगभग सभी आयोजन किये जायेंगे. इसी के मद्देनजर टेंट, प्रदर्शनी स्टॉल, मंच आदि बनाये गये हैं. आर्ट गैलरी परिसर में ही कृषि यंत्रीकरण से संबंधित स्टॉलों के साथ साथ विभिन्न विभागों की ओर से भी स्टाल लगाए जायेंगे. इस मौके पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा. प्रशासन ने अपने तई 14 फरवरी के कार्यक्रम को भव्य बनाने की कोशिश की है.

संग-संग दौड़ लगायेंगे नागरिक व अधिकारी

जिला स्थापना दिवस का आगाज सुबह सात बजे मेराथन दौड़ से होगी. इस दौरान स्थानीय नागरिक और प्रशासन के अधिकारी जिला खेल भवन से कलाभवन तक संग-संग दौड़ लगाएंगे. इस दौरान जिला खेल भवद में जहां विभिन्न खेलों का आयोजन किया जाएगा वहीं विकास मेला और कृषि मेला भी आयोजित किए जाएंगे. खेल भवन में अलग-अलग स्टॉल लगाए जाएंगे जबकि चिकित्सा शिविर का भी आयोजन किया जा रहा है. व्यंजन मेला इस उत्सव का खास आकर्षण होगा. इस मौके पर प्रेक्षा गृह सह आर्ट गैलरी में सांस्कृतिक एवं सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

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फूलों की लगेगी प्रदर्शनी, सज रही बगिया

स्थापना दिवस के मौके पर 14 फरवरी को आर्ट गैलरी परिसर में पुष्प सह उद्यान प्रदर्शनी लगायी जाएगी. इसमें विभिन्न प्रकार के खूबसूरत व दुर्लभ प्रजाति के पुष्पों का प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें इच्छुक पुष्प से संबंधित व्यक्ति जो स्वयं बागवानी करने वाले अपने पुष्प वाटिका के साथ प्रतियोगिता में शामिल हो सकते है. सर्वश्रेष्ठ पुष्प प्रदर्शनी पर जिला प्रशासन की ओर से पुरस्कृत किया जाएगा. जिसमें आम जनता से अनुरोध किया गया है कि अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर महोत्सव को सफल बनाकर जिले को गौरवान्वित करें. इसके लिए भी सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं. जिले के अलग-अलग हिस्सों से फूलों का शौक रखने वाले लोग इसमें खासी दिलचस्पी ले रहे हैं. गौरतलब है कि पूर्णिया में फूलों की बगान लगाने और सजाने के कई शौकीन हैं जो अमूमन हर साल इसी दिन के लिए फूलों में अपनी दिलचस्पी बनाए रखते हैं. यह अलग बात है कि प्रशासन की इस पहल से भी पूर्णिया में फूलों की बगिया सजने लगी है.

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2008 से शुरू किया गया स्थापना दिवस

जिले का स्थापना दिवस मनाने का कार्यक्रम साल 2008 से शुरू हुआ. पूर्णिया जिले के स्थापना लेकर जानकारों के बीच मतभेद था. इसलिए तत्कालीन डीएम ने 2007 में प्रो. रामेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई थी. इस टीम में पत्रकार स्व. शंकर डे और साहित्यकार, इतिहास के जानकार को शामिल किया गया था.

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1770 में हुई थी पूर्णिया जिले की स्थापना

पूर्णिया. 14 फरवरी 1770 को पूर्णिया जिला अस्तित्व में आया था. उस वक्त यह बंगाल राज्य के अधीन था. जिले के पहले जिला सुपरवाइजर जी डुकरैल नियुक्त हुए. वर्ष 1912 में बंगाल के विभाजन के बाद पूर्णिया जिला बिहार राज्य का अंग बन गया. वर्ष 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर पूर्णिया जिले के कुल 913 गांवों के 759 वर्गमील क्षेत्र पश्चिम बंगाल में चला गया. इसी प्रकार पूर्णिया जिला से अलग होकर कटिहार, किशनगंज व अररिया जिला अस्तित्व में आया. वर्तमान में पूर्णिया प्रमंडलीय हेडक्वार्टर भी है. वर्ष 1953 कें चेन्नई में हुए स्वास्थ्य सेमिनार में पूर्णिया की आबोहवा सुर्खियों में रही थी. पूर्णिया का इतिहास गौरवमय रहा है.

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डुकरैल बन कर आए थे पहले डीएम

254 साल पहले सन 1770 में डुकरैल पहले जिलाधिकारी बनकर पूर्णिया पहुंचे थे. उस समय पूर्णिया की स्थिति काफी दयनीय थी. डुकरैल ने यहां की कमान संभालते ही सुधार के कई कार्य किए. मनमाने दंड को समाप्त किया और किसानों को परती जमीन जोतने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने न्याय, राजस्व व प्रशासनिक कई सुधार किए. पूर्णिया के इस इतिहास की अगर जानकारी मिलती है तो इसका श्रेय डुकरैल को भी जाता है.

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वैलेंटाइन डे पर हुई थी पूर्णिया जिले की स्थापना

पूर्णिया एक जिला ऐसा है जिसकी स्थापना वैलेंटाइन डे पर हुई थी. इसका एक दिलचस्प वाकया है. हालांकि इस वाकया से संत वैलेंटाइन का कहीं कोई जुड़ाव नहीं पर इतिहास में इसके संकेत मिलते हैं. यह बात सामने आयी है कि पूर्णिया जिले की स्थापना के बाद प्रथम कलेक्टर बनकर यहां गेरार्ड डुकेरेल आए थे. प्रेम का यह वाकया डुकरैल से ही जुड़ा है. कहते हैं, डुकरैल जब पूर्णिया का कलक्टर बनकर आये तो उन्हें पता चला कि किसी नजदीक के गांव में एक स्त्री विधवा हो गई है और लोग उसे सती बनाने जा रहे हैं. उस समय यह प्रथा जोरों पर थी. इसकी सूचना मिलते ही तत्कालीन कलेक्टर डुकरैल सिपाहियों के साथ उस गांव में पहुंच गये और न केवल उस विधवा की जान बचाई बल्कि उस विधवा से विवाह भी कर लिया. इतना ही नहीं, कलेक्टर डुकरैल ने इसका निर्वाह भी किया. रिटायर होने के बाद उसे वे अपने साथ लंदन ले गये. यह घटना उस समय की है जब भारत में सती प्रथा पर रोक के कानून नहीं बने थे. उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह वाकया 1770 का है जबकि सम्बन्धित कानून 1830 में आया.

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आज का कार्यक्रम

मैराथन दौड़- 07 बजे पूर्वाह्न से स्वास्थ्य जांच – 11 बजे पूर्वाह्नकृषि मेला – 11 बजे पूर्वाह्नपुष्प प्रदर्शनी- 11.30 बजे पूर्वाह्नसांस्कृतिक कार्यक्रम- 05 बजे अपराह्न से

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