रद्दी की टोकड़ी में पड़े हैं पूर्णिया में यात्री सुविधा के लिए भेजे गये प्रस्ताव
पूर्णिया के दोनों स्टेशन आमदनी में आगे पर सुविधा देने में फिर रह गये पीछे
पूर्णिया. केन्द्रीय आम बजट ने पूर्णियावासियों को निराश किया है. पूर्णियावासियों को मलाल है कि बारंबार मांग के बावजूद यहां के रेल विकास की किसी योजना को बजट में शामिल नहीं किया गया. यहां के लोग हतप्रभ हैं कि रेलवे को सालाना अरबों का राजस्व देने के बावजूद रेल विकास के मामले में पूर्णिया बजट से अछूता रह गया. रेल के क्षेत्र में पूर्णिया की उपेक्षा को लेकर स्थानीय लोग संजीदा हैं. याद रहे कि पूर्णिया के रेल विकास से जुड़ी कई मांगें अभी लंबित हैं. गौरतलब है कि आमदनी में आगे रहने के बावजूद पूर्णिया काफी पीछे रह गया है. याद रहे कि कटिहार-पटना इंटरसिटी को सप्ताह में 5 दिन जोगबनी से तथा कटिहार-अमृतसर आम्रपाली एक्सप्रेस को प्रतिदिन जोगबनी से चलाने का प्रस्ताव स्वीकृति की प्रत्याशा में लंबित पड़ा है. यह प्रस्ताव पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे द्वारा भेजा गया था. इससे पहले त्रिसाप्ताहिक कटिहार-टाटा को भी जोगबनी तक विस्तार करने का प्रस्ताव भेजा गया था. आलम यह है कि यात्री सुविधा के प्रस्ताव भेजे जाने के छह माह से अधिक हो गये पर रेलवे की ओर से इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नजर नहीं आ रही है. नतीजतन पूर्णिया जंक्शन पर ट्रेन पकड़ने वाले यात्रियों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं.बजट ने तोड़ा आम आदमी का भरोसा
अगर देखा जाए तो अकेले पूर्णिया जंक्शन से रेलवे को विभिन्न मदों से हर माह लगभग डेढ़ करोड़ की आमदनी होती है. अगर इसमें कोर्ट स्टेशन की आय को भी शामिल करें तो यह आंकड़ा अरब को पार कर जाता है. इस लिहाज से यात्रियों के लिए सुविधाएं भी बढ़ायी जानी चाहिए. यही वजह है कि पूर्णियावासियों को केन्द्र के आम बजट को लेकर काफी भरोसा था कि इस क्षेत्र की लंबित रेल विकास की योजनाओं को तवज्जो मिलेगा और बजट में इसके प्रावधान भी किए जाएंगे. पूर्णिया की उपेक्षा का आलम यह है कि कटिहार-जोगबनी रेलखंड में 14 सालों से ट्रेनों की बढ़ोतरी नहीं हुई है. जानकी एक्सप्रेस के समय सारणी में बदलाव, हाटे बाजारे एक्सप्रेस का पूर्णिया होकर सप्ताह में तीन दिन परिचालन, पटना के लिए सीधी ट्रेन इंटरसिटी एक्सप्रेस के पूर्णिया तक विस्तार की मांग अब तलक अधर में है.मांगों पर भी नहीं हो सकी कोई पहल
इसी तरह पूर्णिया होते हुए जोगबनी- कोलकाता एक्सप्रेस को रोज़ाना करने और जोगबनी से पटना राज्यरानी व रात्रिकालीन ट्रेनों के परिचालन की मांग पर कोई पहल नहीं हो सकी. इतना ही नहीं, जोगबनी में वाशिंग पिट और एक कोच लंबाई के सिक लाइन को रेलवे बोर्ड की मंजूरी मिल गई थी पर यह भी अब तलक अधर में है. पूर्णिया कोर्ट स्टेशन पर वाशिंग पिट का निर्माण एवं गिट्टी डिपो का स्थानांतरण का मामला 2018- 19 से लंबित पड़ा है. यह भी विडम्बना है कि वित्तीय वर्ष 2008- 09 में स्वीकृत जलालगढ़-किशनगंज नई रेलवे लाईन अभी भी ठंडे बस्ते में हैं. इन मुद्दों को लेकर अलग-अलग कई-कई बार मंत्रालय और सरकार का ध्यान आकृष्ठ कराया गया पर स्थिति जस की तस रह गई.———————————————–पूर्णिया की लंबित मांग व योजना
कटिहार-पटना इंटरसिटी का परिचालन सीमांचल एक्सप्रेस के जलालगढ़ में ठहराव जोगबनी रेल मार्ग को गया से जोड़ने की मांग पूर्णिया जिले में एकीकृत रैक-प्वाइंट पूर्णिया जंक्शन पर सुविधा विस्तार की मांग पूर्णिया जंक्शन पर वातानुकूलित उच्च श्रेणी प्रतीक्षालय पूर्णिया जंक्शन पर वीआईपी लाउंज का निर्माण दालकोला से पूर्णिया के बीच रेल परिचालनपूर्णिया से सीधा किशनगंज के लिए ट्रेन सेवा———————————आकड़ों का आईना
1887 में खोला गया था पूर्णिया जंक्शन रेलवे स्टेशन2008 में शुरू हुई थी पूर्णिया जंक्शन में बड़ी रेललाइन30 लाख यात्रियों का आवागमन पूर्णिया जंक्शन से एक साल में होता है15 जोड़ी ट्रेनों का पूर्णिया जंक्शन से हो रहा परिचालन450 करोड़ की आय एक वित्तीय वर्ष में रेलवे को सिर्फ माल ढुलाई में हुई 11 करोड़ सालाना अकेले सीमांचल एक्सप्रेस ने पूर्णिया दे रहा रेलवे को 1.44 लाख यात्री सिर्फ पूर्णिया जंक्शन से पकड़ते हैं ट्रेन 40 हजार से अधिक राजस्व पूर्णिया कोर्ट स्टेशन से मिलता है 15 हजार यात्री पूर्णिया कोर्ट स्टेशन से करते हैं सफर03 रैक प्वाइंट हैं रेलवे के पूर्णिया परिक्षेत्र में————–यात्रियों की परेशानी
पूर्णिया से पटना जाने वाले यात्री झेलते हैं मुसीबत दरभंगा जाने-आने के लिए अपनाना पड़ता है टेढा रूट इंटरसिटी होने से एक दिन में संभव है पटना का सफर इसके लिए लगता है दो दिनों का चक्कर, व्यर्थ व्यय भीपफोटो. 24 पूर्णिया 7- पूर्णिया जंक्शनडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है