पूर्णिया. इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन शिववास योग भी बन रहा है. 18 अगस्त की रात्रि 2.21 मिनट से श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि आरंभ होकर 19 अगस्त की रात्रि 12.28 मिनट तक रहेगी, लेकिन इसके साथ भद्रा होने के कारण रक्षाबंधन का पर्व भद्रा में नहीं मनाया जाएगा. भद्रा इस दिन दोपहर 1.25 मिनट तक रहेगा. दोपहर 1.26 से सूर्यास्त तक रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा. यह जानकारी देते हुए पंडित सूरज भारद्वाज ने कहा कि रक्षा बंधन का त्योहार सूर्यास्त के बाद भी किया जा सकता है, लेकिन इससे पहले तक रक्षाबंधन का श्रेष्ठ मुहूर्त है.
रक्षाबंधन को ले कहानियां प्रचलित
रक्षाबंधन को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन की शुरुआत कृष्ण व द्रोपदी से माना जाता है. कृष्ण भगवान ने दुष्ट राजा शिशुपाल को मारा था. युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की अंगूली से खून बह रहा था. इसे देखकर द्रोपदी बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की अंगुली में बांधा, जिससे उनका खून बहना बंद हो गया. तभी से कृष्ण ने द्रोपदी को अपनी बहन स्वीकार कर लिया था. वर्षों बाद जब पांडव द्रोपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था तब कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाई थी. ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन की शुरुआत रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं के बीच हुई. मध्यकालीन युग में राजपूत व मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था. रानी कर्णावती चितौड़ के राजा की विधवा थीं. उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूं को राखी भेजी थी. तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था.
फोटो- 13 पूर्णिया 1- पंडित सूरज भारद्वाज
B
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है