पूर्णिया. संस्कार भारती बिहार द्वारा आयोजित मिथिला कला उत्सव, मिथिलांचल संस्कृति को संजोने की दिशा में एक सार्थक पहल है. इसी के तहत जिले के विद्या विहार आवासीय विद्यालय स्थित सभागार में मिथिलांचल के कलाकारों का दो दिवसीय समागम मेला 21-22 सितंबर को आयोजित किया गया. इस आयोजन में नाटकों की भी प्रस्तुतियां हुई. भरत नाट्य कला केन्द्र, पूर्णिया ने कला उत्सव के दूसरे दिन प्रख्यात कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी संवदिया का बेहतरीन प्रदर्शन किया. यह रेणु की प्रतिनिधि रचना है जिसका नाट्य रूपांतरण भिखारी ठाकुर सम्मान प्राप्त वरिष्ठ रंगकर्मी उमेश आदित्य ने किया. नाटक को निर्देशित किया वरिष्ठ रंगकर्मी रामभजन ने. कथानक में गांव की बड़ी हवेली में रहने वाली बड़ी बहुरिया अकेली पड़ी वैधव्य जीवन भोग रही है. खेत, पथार, बाग, बगीचे सब होते हुए भी उसका कुछ नहीं है. बथुआ साग खाकर जीवन गुजारने वाली बड़ी बहुरिया हरगोबिन संवदिया के मार्फ़त अपने मायके संदेश भिजवाती है कि मां उसे अपने पास बुला ले, नहीं तो वह गले में घड़ा बांधकर किसी पोखर में डूब मरेगी. हरगोविंद संदेश लेकर जाता तो है लेकिन वह संवाद सुना नहीं पाता. आखिर गांव की लक्ष्मी बड़ी बहुरिया को वह कैसे जाने दे, लोग क्या कहेंगे? उसके गांव का नाम लेकर थूकेंगे. ममता और करुणा से ओतप्रोत कहानी संवदिया को भनक के कलाकारों ने प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया. कलाकारों में हरगोबिन संवदिया की भूमिका में पंकज जायसवाल, बड़की बहुरिया के रूप में रानू कुमारी, मोदियाइन की भूमिका में श्वेता स्वराज एवं काबुलीवाला के रूप में संजय कुमार ने अपने अभिनय क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया. वहीं ग्रामीण और राहगीर की भूमिका में विपुल कुमार, बड़की बहुरिया के देवर रामभजन, सुमन कुमार और संजय कुमार, बड़की बहुरिया की मां और भाई की भूमिका में श्वेता स्वराज और दीपक कुमार सफल रहे. ध्वनि प्रभाव सुमन कुमार का था, संगीत पक्ष संजीत कुमार का और गायन में थे सरोज कुमार. वहीं वस्त्र विन्यास रामभजन ने किया. फोटो – 22 पूर्णिया 13- संवदिया नाटक की प्रस्तुति देते भनक के कलाकार
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