मुसीबतों को हराकर ये बनीं पूर्णिया की पहली महिला ऑटो ड्राईवर, अब चार पहिया वाहन चलाने की है ख्वाहिश
First Woman Auto Driver In Purnia: पूर्णिया की शबनम खातून ने घरेलू मुसीबतों और आर्थिक तंगी से जूझते हुए अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए एक साहसिक कदम उठाया. CNG ऑटो चलाकर न केवल अपने जीवन को संवार लिया, बल्कि महिलाओं के लिए प्रेरणा की मिसाल बन गईं.
First Woman Auto Driver Purnia: पूर्णिया जिले के बेलौरी की रहने वाली शबनम खातून ने अपनी मुफलिसी और घरेलू हालातों से लड़कर खुद को साबित किया. घरेलू जिम्मेदारियों और परिवार की बीमारियों के बीच शबनम ने जो कदम उठाया, वह न केवल उनके परिवार के लिए एक उम्मीद की किरण बन गया, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा भी बना. शबनम आज एक CNG ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं और सड़कों पर अपने आत्मविश्वास से फर्राटे भरती हैं.
मुसीबतों से प्रेरणा मिली
शबनम का जीवन किसी भी संघर्ष से कम नहीं था. पति शाहिद पेशे से पेंटर थे, लेकिन काम की कमी और बढ़ते खर्च ने परिवार की आर्थिक स्थिति को काफी प्रभावित किया. इसके अलावा, परिवार में लोगों की बीमारियों ने भी समस्या को और बढ़ा दिया. ऐसे में शबनम ने खुद ही आगे बढ़ने का फैसला लिया और सीएनजी ऑटो चलाने का निर्णय लिया. पहले लोन लेकर ऑटो खरीदी और फिर खुद इसे चलाने का साहस दिखाया. इसके बाद, शबनम ने न केवल अपनी मुश्किलों का सामना किया, बल्कि परिवार के लिए एक स्थिर आय का स्रोत भी बना लिया.
CNG ऑटो से सवारी में बदलाव
शबनम अब प्रतिदिन लगभग 12 घंटे सड़कों पर ऑटो चला कर सवारी ढोती हैं. सुबह 5 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक वह खुश्कीबाग, कटिहार मोड़, बस स्टैंड और दालकोला तक यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं. शबनम ने बताया कि उनके पति शाहिद ने भी पेंटिंग का काम छोड़कर ऑटो चलाने का मन बनाया था, लेकिन उनके स्वास्थ्य की वजह से ऑटो घर में ही पड़ा रहा. इस पर शबनम ने खुद इसे चलाने का साहस दिखाया और आज वह सम्मान के साथ यह काम करती हैं.
सपने को उड़ान देने की तैयारी
शबनम की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें अपने समाज में एक अलग पहचान दिलाई है. लोग उनके इस साहस और आत्मनिर्भरता की सराहना करते हैं, हालांकि सड़कों पर कभी-कभी व्यंग्य भी सुनने को मिलते हैं, लेकिन शबनम ने कभी इन बातों को महत्व नहीं दिया। वह हमेशा कहती हैं, “अपने काम को सम्मान देना चाहिए, और यही मैंने किया.” अब उनका सपना है कि वह एक चार पहिया वाहन भी चलाएं और इसके लिए वह सरकारी योजनाओं से मदद की चाहत रखती हैं.
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शबनम की यह यात्रा केवल एक महिला की आत्मनिर्भरता की कहानी नहीं, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में अगर मेहनत और साहस हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. शबनम खातून ने यह साबित कर दिया कि हर महिला में वह ताकत है जो किसी भी मुश्किल को पार कर सकती है.