पूर्णिया मेडिकल कालेज अस्पताल में आज से शुरू हो गयी स्कीन बायोप्सी की सुविधा
राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में धीरे धीरे मरीजों के लिए अनेक प्रकार की चिकित्सा सुविधाएं बढायी जा रही हैं. दो दिन पहले डेंटल क्लिनिक के उद्घाटन के साथ साथ अब स्किन बायोप्सी के लिए भी सुविधा शुरू की गयी है.
अस्पताल में अब सहज रूप से किसी भी तरह के चर्म रोगों की हो सकती है जांच़, प्रतिदिन लगभग 150 से 200 की संख्या में चर्म रोगों से जुड़े मरीज पहुंचते हैं इलाज कराने, पूर्णिया. राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में धीरे धीरे मरीजों के लिए अनेक प्रकार की चिकित्सा सुविधाएं बढायी जा रही हैं. दो दिन पहले डेंटल क्लिनिक के उद्घाटन के साथ साथ अब स्किन बायोप्सी के लिए भी सुविधा शुरू की गयी है. हालांकि इसके पूर्व से ही ओपीडी में स्किन विभाग द्वारा चर्म रोगियों के उपचार की व्यवस्था चल रही थी इसी में एक कदम आगे बढाते हुए जीएमसीएच प्रशासन ने स्किन बायोप्सी की सुविधा मरीजों को उपलब्ध करायी है. इस कार्य को लेकर स्किन विभाग की एचओडी डॉ. प्रेरणा द्वारा कुछ चर्म रोग के मरीजों के लिए स्किन बायोप्सी की जरूरत को देखते हुए लिए गये सैम्पल को जांच में भेजा भी गया.
मिली जानकारी के अनुसार, फिलहाल मेडिकल कॉलेज में इस व्यवस्था को लेकर काफी कुछ किया जाना बाकी है जिनमें मरीजों के लिए संपूर्ण इलाज, स्किन बायोप्सी व उसकी जांच के लिए पैथोलॉजी में आवश्यक संयंत्र, विशेषज्ञ चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों की पूरी टीम की जरूरत है. जानकारों का कहना है कि स्किन का मामला इतना बड़ा है कि इसे प्रोफ़ेसर स्तर के चिकित्सक के निर्देशन में बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा सकता है.किसी भी तरह के चर्म रोगों का पता लगाना होगा संभव
अमूमन बायोप्सी को लोग कैंसर रोग की जांच से जोड़कर देखते हैं लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि स्किन बायोप्सी टेस्ट के जरिये मानव त्वचा में किसी भी तरह की समस्या का पता आसानी से लगाया जा सकता है. चाहे त्वचा का कैंसर हो अथवा टीबी, कुष्ठ के अलावा कई चर्म रोगों के बारे में भी बिलकुल सटीक जानकारी मिल जाती है जिस वजह से माकूल उपचार समय पर हो जाने से मरीज की समस्या का आसानी पूर्वक समाधान हो जाता है. जीएमसीएच के डॉ. ऋषभ सिंह ने बताया कि कुष्ठ रोग के मामले में जब मरीज त्वचा में किसी भी भाग को सुन्न अथवा एहसास विहीन बताता है तो उसी समय स्किन बायोप्सी की मदद से पता लगाते हुए त्वरित उपचार किये जाने से मरीज को अंगभंग होने से बचाया जा सकता है. डॉ. प्रेरणा ने बताया कि स्किन टीबी के केस में साधारण टीबी जांच से पता लगाना बिलकुल असंभव है जबकि स्किन बायोप्सी के जरिये इसकी आसानी से पहचान हो जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि जीएमसीएच में प्रति दिन लगभग 150 से 200 की संख्या में चर्म रोगों से जुड़े मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं जिनमें से अमूमन आधा दर्जन लोगों के केस में स्किन बायोप्सी की जरुरत पड़ती है. टिपण्णीस्किन बायोप्सी में रोग प्रभावित भाग से निकाली गयी त्वचा के ख़ास हिस्से की पैथोलॉजी में जांच की जाती है. इसमें रोग के कारक तत्व क्या हैं किस प्रकार के हैं सभी का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की जाती है और उसी के आधार पर चिकित्सक दवा का निर्धारण करते हैं जिससे मरीज को समस्या से मुक्ति मिल जाती है.
डॉ. ऋषभ सिंह, एमडी पेथलोजी जीएमसीएच……………….
मरीज की त्वचा से जांच के लिए सैम्पल लेने में पंच बायोप्सी निडल का इस्तेमाल किया जाता है. जिसकी कीमत 4 से 5 सौ रूपये आती है. सैम्पल की जांच के लिए उसे कोलकाता अथवा मुंबई भेजा जाता है. जरुरत के अनुसार कुछ मरीजों को इसकी सुविधा दी गयी है लेकिन इन सबकी बेहतर व्यवस्था जीएमसीएच में हो जाए तो काफी लोगों को सहूलियत हो जायेगी.डॉ. प्रेरणा झा, एचओडी स्किन जीएमसीएच
……………………धीरे धीरे व्यवस्था आगे बढ़ रही है. जो भी जरुरत की चीजें हैं उसे पूर्ण करने का प्रयास किया जा रहा है. अभी अभी डेंटल क्लिनिक के साथ स्किन बायोप्सी सुविधा को लेकर कार्य आगे बढ़ा है जैसे जैसे संसाधन प्राप्त हो रहे हैं सुविधाएं भी बढ़ाई जा रही हैं. जो भी कमियां हैं उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा.
डॉ. संजय कुमार, अधीक्षक जीएमसीएचडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है