बारिश से लौटी किसानों के चेहरे पर मुस्कान, बोले- फसलों में आ गयी जान

बोले- फसलों में आ गयी जान

By Prabhat Khabar News Desk | August 3, 2024 6:58 PM

जिले में माॅनसून फिर से हुआ एक्टिव पूर्णिया. जिले में मानसून एक बार फिर पूरी तरीके से एक्टिव हो चुका है. पिछले तीन दिनों से हवा के साथ रुक-रुक कर बारिश हो रही है. शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक रुक-रुक कर बारिश होने का सिलसिला लगातार चलता ही रहा. इस दौरान सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे. इस बारिश ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौटा दी है. अभी कुछ दिनों पूर्व मानसून की बेरूखी को देखते हुए किसानों ने निर्धारित समय पर धान की रोपनी के लिए खुद की व्यवस्था से किसी तरह खेतों में पटवन का कार्य तो कर लिया था लेकिन खेती में बढ़ती लागत से सभी के माथे पर बल पड़े थे. उन्हें इस बारिश का ही इन्तजार था. मानसून के एकबार फिर से सक्रीय होने से किसानों के हौसले बुलंद हो गये हैं. उनका कहना है फसलों में जान आ गयी. दूसरी ओर यहां रूक- रुक हो रही बारिश से अधिकतम तापमान में गिरावट आयी है. इससे उमस भरी गर्मी से लोगों को राहत मिली है. आईएमडी ने शनिवार को जारी किया था ऑरेंज अलर्ट मौसम के हालात को लेकर आईएमडी ने शनिवार को ऑरेंज अलर्ट जारी किया था. इस दौरान सुबह से लेकर शाम तक हल्की बारिश होती रही. मौसम विभाग के अनुसार पश्चिम बंगाल के गंगा क्षेत्र और उससे सटे झारखंड के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है. इससे जुड़ा चक्रवाती परिसंचरण समुद्र तल से 7.6 किमी ऊपर तक फैला हुआ है. इससे 3 अगस्त से अगले एक सप्ताह तक पूर्णिया सहित कोशी-सीमांचल के क्षेत्रों में मानसून की गतिविधि सक्रिय रहने की प्रबल संभावना है. विशेषकर अगले दो दिनों तक जिले में बारिश के आसार हैं. आईएमडी के मुताबिक 3 अगस्त से 6 अगस्त के दौरान पूर्णिया सहित पूरे बिहार में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा और अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है. मौसम विभाग सहायक वैज्ञानिक राकेश कुमार ने बताया कि जिले में 9.2 एमएम बारिश हुई है. जबकि अधिकतम तापमान 28.6 और डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 26.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.

आंकड़ों पर एक नजर

01 लाख हेक्टेयर में है धान के आच्छादन का लक्ष्य90 फीसदी तक हो चुका है रोपनी का काम10 फीसदी अगले तीन दिनों के अंदर होगा पूरा6800 हैक्टेयर में पूर्णिया पूर्व प्रखंड में लगाया जाता है धान4850 हैक्टेयर में कसबा प्रखंड के किसान करते हैं धान की खेती4675 हैक्टेयर भूखंड जलालगढ़ में धान के लिए है रिजर्व9515 हैक्टेयर में अमौर के किसान लगाते हैं धान6800 हैक्टेयर में केनगर प्रखंड में होती है धान की खेती6425 हैक्टेयर भूमि पर बायसी के किसान उगाते हैं धान—————————————

बिचड़ा का समय

बिचड़ा- 01 जून से 15 जून तकरोपनी-01 जुलाई से 31जुलाई तकहाई ब्रिड-15 जून से मध्य जुलाई तक————————-31 जुलाई तक रोपनी की आखिरी तिथि थी. इस वजह से पम्प सेट से रोपा कर लिया. लेकिन उसके बाद धान को बचाना एक चिंता थी. इस बारिश से राहत मिल गयी और चुनौती से फिलहाल बच गये. खेत में जो सूखने से दरार आ रही थी इससे पटवन की तुरंत जरुरत थी. बारिश की अभी लगातार जरुरत है. ऐसा ही रहा तो किसानों के लिए अच्छा होगा.

मो. मुस्ताक, किसान रजीगंज

फोटो-3 पूर्णिया 23- किसानों के खेत में लगा धान

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