पूर्णिया. बादलों ने इस बार फिर धोखा दे दिया. पिछले एक पखवाड़े से यह पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर में रुका पड़ा है. मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि मानसून को आगे बढ़ाने का मौसमी सिस्टम सक्रिय नहीं हो पा रहा है जिससे वह अब चार दिन लेट हो चुका है. इसे 12 से 14 जून तक प्रवेश करना था पर लेकिन अब 17 जून भी बीत गया. यह अलग बात है कि पूर्णिया और आसपास आसमान में बादल मंडरा रहे हैं जिससे सूरज की ताप कम है पर उमस जस की तस है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान को मानें तो कहीं हल्की तो कहीं मध्यम दर्जे की बारिश की संभावना बनी हुई है.
दरअसल, पूर्णिया में पिछले तीन दिनों से मौसम सुहावना बना हुआ है. इस बीच जिले में सिर्फ दो रातों को कहीं-कहीं हल्की बारिश भी हुई है. इसके चलते बादलों का प्रसार बढ़ा है पर उमस भरी गर्मी से राहत नहीं है. इधर, आसमान में मंडराते बादल और पुरवैया के झोंकों के साथ खुशगवार मौसम के बीच सोमवार की सुबह हुई. दोपहर के समय कुछ देर के लिए धूप-छांव का खेल जरूर चला पर दिन भर आसमान में बादल छाए रहे. मौसम विभाग के पूर्वानुमान की मानें तो अगले तीन दिनों तक आसमान के क्लाउडी रहने और कहीं-कहीं हल्की बारिश की संभावना बतायी गयी है.मानसून की बेरुखी से किसान ज्यादा परेशान
मानसून की बेरुखी से जिले के किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं. धान का बिचड़ा डालने का समय निकला जा रहा है. धान के बिचड़ा के लिए वरदान माना जाने वाला रोहिणी नक्षत्र समाप्त हो चुका है. बिचड़ा के लिए सामने मृगशिरा और आद्रा नक्षत्र रह गया है जिसकी अवधि भी अब समाप्त होने को है. किसानों के लिए दिक्कत यह है कि खेत में पानी डालते ही सूख जा रहा है. हालांकि किसानों ने विकल्प के रुप में पंपसेट का सहारा लेकर बिचड़ा डालना शुरू कर दिया है पर धान के लिए बारिश का आना बेहद जरूरी माना जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है