‘अकबर-बाबर के पिता का नाम सबको पता लेकिन …’ गिरिराज सिंह की यात्रा में स्वामी दीपांकर ने उठाए सवाल
Bihar News: गिरिराज सिंह के यात्रा हिंदू स्वाभिमान यात्रा पर निकले स्वामी दीपांकर ने देश की शिक्षा नीति पर प्रहार किया है. उन्होंने कुछ सवाल खड़े किए हैं और चिंता जाहिर की है.
Bihar News: भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह इन दिनों बिहार के सीमांचल क्षेत्र में हिंदू स्वाभिमान यात्रा पर हैं. भागलपुर से अपनी यात्रा की शुरुआत करने के बाद गिरिराज सिंह कटिहार, पूर्णिया, अररिया होते हुए किशनगंज जाकर इस यात्रा को संपन्न करेंगे. उनके साथ आध्यात्मिक गुरु स्वामी दीपांकर भी इस यात्रा में जिलों में भ्रमण कर रहे हैं. दोनों मिलकर हिंदुओं को एकजुट होने का संदेश दे रहे हैं और घुसपैठ समेत आबादी से जुड़ी समस्या को मुद्दा बनाकर खूब गरज रहे हैं. स्वामी दीपांकर ने शिक्षा नीति पर सवाल खड़े किए हैं.
यात्रा के विरोधियों पर साधा निशाना
हिंदू स्वाभिमान यात्रा रविवार को पूर्णिया में थी. इस दौरान जिला स्कूल मैदान में एक सभा का आयोजन भी किया गया जिसमें भाजपा नेता गिरिराज सिंह के अलावा स्वामी दीपांकर जी महाराज ने भी लोगों को संबोधित किया. इस यात्रा का विरोध करने वाले सियासी नेताओं को निशाने पर लेते हुए दीपांकर जी महाराज ने कहा कि यह यात्रा हिन्दुओं को जोड़ रही है, तो उन्हें बुरा लग रहा है. हमारी यात्रा को लेकर टीवी पर डिबेट चल रहा है.
शिक्षा नीति पर उठाए सवाल…
वहीं स्वामी दीपांकर जी महाराज ने देश की शिक्षा नीति पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि अकबर, बाबर हुमांयू के पिता का नाम लोग जानते हैं, लेकिन महराणा प्रताप, लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, तिलकामाझी आदि के पिता का नाम कोई नहीं जानता. उन्होंने कहा कि इसमें हमारा दोष नहीं है, हमारी शिक्षा नीति ही ऐसी रही.
बहराइच की घटना का जिक्र किया
इससे पहले यात्रा कटिहार में जब हुई तो वहां स्वामी दीपांकर जी महाराज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि 100 करोड़ सनातनी हिंदुओं को संगठित करने के लिए इस यात्रा को निकाला गया है. यह यात्रा किसी दल विशेष का नहीं है. स्वामी दीपांकर अपनी इस यात्रा के दौरान बहराइच की घटना का जिक्र करते हैं. उन्होंने कहा कि रामगोपाल को गोली लगी तो कोई नहीं बोला. लेकिन इस यात्रा का विरोध करते हैं.
यात्रा निकालने की वजह बताए…
स्वामी दीपांकर ने सनातनी को संगठित होने का संदेश दिया और कहा कि हिंदू जातियों में नहीं बंटे इसलिए उन्हें एक करने के लिए यह यात्रा निकाली गयी है. यह यात्रा उस विचार के विरुद्ध है, जो बहराइच की घटना करता है और आंखें बंद कर लेता है. बांग्लादेश में हमारे हजारों भाइयों का नरसंहार होता है और यहां के कथित बुद्धिजीवी बोल नहीं पाते हैं.यह यात्रा उस विचार के विरुद्ध निकली है.