पूर्णिया. पूर्णिया विश्वविद्यालय के सीनेट हाल में राष्ट्रीय सेवा योजना की ओर से कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो . पवन कुमार झा ने कहा कि शिक्षक ही भारतीय संस्कृति के रक्षक होते हैं. शिक्षकों के कंधों पर राष्ट्र प्रगति की जिम्मेदारी है. शिक्षक ज्ञान का संचार कर राष्ट्र को गढ़ते हैं. अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर मरगूब आलम ने कहा कि अतीत से ही गुरु की पूजा होती रही है. कुलसचिव प्रो.अनंत प्रसाद गुप्ता ने कहा कि शिक्षक ज्ञान, अनुभव और अपने कौशल से राष्ट्र को पराकाष्ठा पर पहुंचाते हैं. शिक्षक तथा शिक्षा के द्वारा ही संस्कृति का उत्थान संभव है. सेवानिवृत्त शिक्षक संघ के सचिव डॉ चंद्रकांत यादव ने कहा कि गुरु के दो रूप होते हैं. एक आध्यात्मिक गुरु तो दूसरा शैक्षणिक गुरु. डॉ. गोपाल कुमार, डॉ. जितेंद्र वर्मा, डॉ. अनिल झा, प्रो. ज्ञानदीप गौतम , विवि कर्मी सियाशरण कुमार मंडल आदि ने भी विचार व्यक्त किये. विवि एनएसएस पदाधिकारी प्रो.रामदयाल पासवान ने कहा कि पहले गुरुकुल में शिक्षा-दीक्षा मिलती थी. अब शिक्षा का स्वरूप बदल चुका है. इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो अंजनी कुमार मिश्रा, उपकुलसचिव (प्रशासन) प्रो पटवारी यादव, उपकुलसचिव (शैक्षणिक) डॉ.मनोज कुमार,सीसीडीसी. प्रो. सुधीर कुमार सुमन, डॉ.एस एन सुमन, डॉ. तुहीना विजय, डॉ. संतोष कुमार सिंह, प्रो. सुरेश मंडल, डॉ.संजीव कुमार सिंह, प्रो. ए के चौधरी, डॉ मनीष कुमार सिंह, मनमोहन कृष्णा, किसलय किशोर, डॉ मनीष कुमार, डॉ. अभिषेक आनंद, डॉ. भरत मेहर,डॉ सुमन सागर, डॉ अनामिका सिंह, डॉ श्वेता कुमारी, डॉ प्रेणिका वर्मा, डॉ दिलीप कुमार, डॉ.रंजीत कुमार मिश्रा ,परमानंद राय , संजीव कुमार झा, मोहम्मद तहसीन आलम, कुंदन कुमार राउत, श्यामल किशोर ठाकुर, राम कुमार, सुजीत कुमार, मोहम्मद इलियास,अर्जुन प्रसाद यादव, मृत्युंजय कुमार , शंभू मुखिया आदि उपस्थित थे. फोटो. 6 पूर्णिया 24 परिचय- कार्यक्रम को संबोधित करते कुलपति प्रो. पवन कुमार झा
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