आस्था का केन्द्र है श्रीराम जानकी गोकुल सिंह ठाकुरबाड़ी दुर्गा मंदिर

रावण बध देखने के लिए यहां पूरा पूर्णिया जुट जाता था

By Prabhat Khabar News Desk | October 4, 2024 5:22 PM

पूर्णिया. दशहरा में जिस तरह दिल्ली का रामलीला मैदान और पटना का गांधी मैदान का महत्व है उसी प्रकार पूर्णिया के राम जानकी गोकुल सिंह ठाकुरबाड़ी मंदिर का नाम लिया जाता रहा है. शहर के ततमा टोली में अवस्थित यहां का दुर्गा मंदिर दशहरा में न केवल आस्था का केन्द्र बल्कि आनंद स्थल भी बन जाता है. हालांकि अब यहां रावण बध का आयोजन नहीं होता पर कुछ वर्षों पूर्व तक अंतिम दिन रावण बध देखने के लिए यहां पूरा पूर्णिया जुट जाता था. यह अलग बात है कि आज भी लोग यहां लगने वाले मेले का जम कर लुत्फ उठाते हैं.

मंदिर का इतिहास

ततमा टोली के इस दुर्गा मंदिर का इतिहास बहुत पुराना नहीं है. हालांकि राम जानकी मंदिर काफी पुराना है पर यहां दुर्गा पूजा 41 साल पूर्व 1983 से शुरु हुई. मंदिर की सेवा में स्थापना काल के बारे में लोग बताते हैं कि 1980 में आपस में विचार कर दुर्गा पूजा शुरु करने का फैसला लिया गया था. इसमें राम जानकी मंदिर के पुजारी राम चन्द्र नाथ ने भी वैचारिक सहयोग दिया. चूंकि बेल के पेड़ के नीचे विचार आया था तबसे उसी स्थल पर पूजा आरंभ की गयी.

प्रतिमा की प्रतिष्ठापना

शुरुआती दौर में पंडाल में पूजा शुरु हुई. उस समय कटिहार से मूर्ति मंगायी जाती थी. बाद में यहीं मूर्ति का निर्माण कराया जाने लगा. गुजरते वक्त के साथ पूरे समाज की सहमति से यहां संगमर्मर की प्रतिमा प्रतिष्ठापित की गयी जिसे बनारस से लाया गया था. आज यह दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है. जहां इस वक्त पूजा के साथ साथ जोरदार मेले की तैयारी चल रही है. इस बार के मुख्य आकर्षण में तरह तरह के खानपान वाले स्टाल, सजावट, श्रृंगार, रसोई के बर्तन आदि के साथ साथ छोटे बड़े झूले, डिस्को डांस, हवाई झूले, डिज्नीलैंड, जादू, खेल तमाशा, सर्कस, दूकाने, मीनाबाजार लगने की शुरूआत हो चुकी है. ये सभी बिहार के अन्य जिलों से लेकर उत्तरप्रदेश, आसाम, कोलकाता आदि जगहों से आते हैं.

सुरक्षा व्यवस्था पर दिया जाता है जोर

यहां स्थायी रूप से मां दुर्गा की मूर्ति विराजमान है. नवरात्रा के बाद विजया दसवीं को सिर्फ कलश का विसर्जन किया जाता है. यहां भंडारा षष्ठी से शुरू हो जाता है और प्रति दिन हज़ारों लोगों का भंडारा होता है. सबसे ज्यादा भीड़ आखिरी के तीन दिनों में होतीं है. अष्टमी से लेकर दशमी तक सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये जाते हैं. मेले में किसी को कोई परेशानी ना हो इसके लिए सूचना केंद्र बनाया जाता है जिसमें ध्वनि विस्तारक यंत्र पर सूचनायें प्रसारित की जाती है. फोटो – 4 पूर्णिया 1- ततमा टोली स्थित श्रीराम जानकी गोकुल सिंह ठाकुरबाड़ी दुर्गा मंदिर2 – पूजा स्थल पर चल रही मेले की तैयारी

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