अमौर. प्रखंड के ज्ञानडोव पंचायत के सिमलवाड़ी नगड़ाटोला गांव में बाढ़ व नदी कटाव से प्रभावित परिवारों की स्थिति दयनीय है. बाढ़ पीड़ितों को भरपेट खाना भी नसीब नहीं हो रहा है. खुले आसमान के नीचे आंखों में ही रात कट रही है. सैकड़ों बाढ़ पीड़ित गांव के दास पुल व सड़कों के किनारे अपनी दुनिया बसाए सरकारी राहत के इंतजार में टकटकी लगाये हुए हैं. बाढ़ पीड़ित मो साहिद ने बताया कि आज चार दिनों से उसके घर में बाढ़ का पानी घुसा है. घर बार सब छोड़ कर परिवार के साथ प्लास्टिक टेंट में दास पुल के समीप सड़क किनारे रह रहे हैं. बगल के गड्ढे में बाढ़ का पानी भरा है. रात में सांप बिच्छू का डर सताता है. . जब से घर छोड़कर यहां शरण लिए हैं तब से दो वक्त भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है. मरजीना ने बताया जिन बच्चों को घर पर बिस्किट दूध मिलता था, आज उन्हें पीने के लिए शुद्ध पानी भी मयस्सर नहीं हो रहा है. बाढ़ के पानी में चापाकल भी डूब गया है. नदी और गड्डों का दूषित जल पीने को विवश होना पड़ रहा. मो हकीम ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ चूड़ा, मूड़ी व कभी कभी भींगा चना खाकर किसी तरह जीवन काट रहे हैं. वह तो अपना भूख किसी तरह मिटा ले रहे हैं लेकिन बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं .न तो दूध मिल रहा है और न ठीक से भरपेट खाना ही मिल पा रहा है. मो. नसीर ने बताया कि हमेशा आसमान की ओर टकटकी लगी रहती है कि कही तेज आंधी बारिश न हो जाये. नहीं तो टेंट में दिन रात काटना बड़ी मुश्किल हो जायेगा. एक महिला ने बताया कि एक सप्ताह से बाजार से चूड़ा गुड़ मूड़ी खरीद कर खाना पड़ रहा है.अपना खरीदकर टेंट बनाकर रह रहे हैं. मो जिकरूल ने बताया कि बाढ़ का पानी घर में घुसने पर वह परिवार लेकर सड़क पर आ गये हैं. भरपेट खाना मिले एक सप्ताह हो गए. सबसे अधिक पेयजल की समस्या है. नदी का पानी पीना पड़ रहा है. वहीं ऐनुल खातून ने बताया कि बाढ़ आने पर घर बार छोड़ सड़क किनारे प्लास्टिक का तंबू बनाकर रहना पड़ रहा है. बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच राहत पहुंचाने की मांग प्रशासन से की.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है