कम पड़ने लगी है सिक्सलेन सड़क की चौड़ाई, दोपहर से शाम तक जाम का संकट
थियेटर छोड़ मेला में है सब कुछ, गुजरते वक्त के साथ लौट रहा मेला का इतिहास
पूर्णिया. महागणपति महोत्सव के दौरान शहर के गुलाबबाग में आयोजित मेला में अब जिस तरह भीड़ उमड़ने लगी है उससे पुराना मेला ग्राउंड की जगह छोटी पड़ने लगी है. इस भीड़ को देख बड़े बुजुर्ग यह कहने लगे हैं कि गणपति पूजा के बहाने सामाजिक विकास का एक बड़ा जरिया के रुप में रेणु की कृतियों में जीवंत दिखने वाला मेला अब इतिहास के पन्नों से निकल कर फिर सामने आ गया है जिसे अक्षुण्ण बनाये रखने की जरुरत है. शहर वही और जगह वही और मेला में आने वाली दुकानें भी वही हैं पर सिर्फ चेहरे बदल गये हैं. एक बड़ा फर्क यह है कि इस मेला में रेणु जी के तीसरी कसम की हीराबाई हीराबाई के घुंघरूओं की खनक की बजाय लाउड स्पीकरों पर गणपति बप्पा मोरया की गूंज सुनाई पड़ती है.गौरतलब है कि गुलाबबाग में आयोजित गणपति महोत्सव मेला में एक सर्कस व थियेटर को छोड़ कर वह सब कुछ है जो सामान्य रुप से आस्थावान लोगों को आकर्षित कर सकता है. हालांकि पुराने मेला से इसकी तुलना अभी नहीं की जा सकती क्योंकि कश्मीरी शॉल, उलेन चादर, आगरे की दरी-कालीन, मुरादाबाद की वर्तन, कानपुर के जूते चप्पल आदि की दुकानें नहीं आ रही हैं पर मनोरंजन के वे तमाम साधन जुटाए गये हैं जो आम लोगों की पसंद है. वैसे, देखा जाए तो मौजूदा मेला ग्राउंड में अब जगह भी शेष नहीं बची है क्योंकि जितनी दुकानें और खेल तमाशा वाले आए हैं उन्हें ही जगह की कमी महसूस हो रही है. वैसे, आयोजन समिति ने जगह का दायरा जरुर बढ़ाया है पर उसकी भी सीमा है. मेला में एक तरफ पारम्परिक स्वादिष्ट व्यंजनों के स्टॉल सजे हैं तो दूसरी ओर मनोरंजन के लिए उंचे झूले, गोलाकार झूले समेत कई साधन भी हैं. खास तौर पर बच्चों के लिए खेल-तमाशा भी है. पीतल के वर्तनों के अलावा पूजन सामग्रियां, मिठाई आदि समेत कई दुकानें में मेला में सज गई हैं.
शाम होते ही उमड़ पड़ती है बेहिसाब भीड़
गुलाबबाग के इस गणपति मेला में सुबह प्रतिमा स्थल पर पूजा के लिए भीड़ उमड़ती है जिसमें महिलाओं की संख्या अधिक होती है. मेला देखने और घूमने वालों की भीड़ दोपहर बाद से शुरू हो जाती है और अपराह्न तीन बजे से रात के दस बजे तक दर्शकों का रेला उमड़ पड़ता है. आवश्यकता से काफी छोटा मेला ग्राउंड में देखते-देखते हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती है. देर शाम तो कभी-कभी लोग एक दूसरे के पांव से भी टकराने लगते हैं. हालांकि समिति के सदस्य सक्रिय रहते हैं और पुलिसिंग भी होती है पर शाम में जुटने वाली भीड़ पर नियंत्रण लाजिमी माना जा रहा है. स्थानीय लोगों की मानें भीड़ के हिसाब से सुरक्षा का दायरा बढ़ाया जाना जरुरी है.
भीड़ में सिमट जाता है सिक्सलेन रोड
गणपति मेला में आने के लिए गुलाबबाग के मुख्य सड़क पर आना जरुरी है जो सिक्सलेन रोड है. यह सड़क शहर के आरएनसाव चौक से चलकर लाइनबाजार और खुश्कीबाग होते हुए सीधा गुलाबबाग जीरोमाइल चौक को जोड़ती है. इस पर सामान्य दिनों भी सैकड़ों छोटे-बड़े वाहनों का परिचालन होता है जिससे पहले से ही जाम का संकट बना रहता है. इधर, गणपति पूजा को लेकर गुलाबबाग आने वाले वाहनों की संख्या स्वाभाविक रुप से बढ़ गई है. दोपहर बाद सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल प्रतीत होता है. आलम यह है कि काफी चौड़ी दिखने वाली इस सिक्सलेन सड़क पर भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि सड़क की चौड़ाई भी कम दिखने लगती है. इस लिहाज से पूजन और मेला तक बड़े वाहनों का रुट चेंज किए जाने की जरुरत बतायी जा रही है.
दुकानदारों को है बेहतर बिकवाली की उम्मीद
इस मेला में आए कई दुकानदारों ने पिछले वर्ष अपने अनुभवों के बारे में बताते हुए कहा कि पिछला मेला बहुत ही अच्छा रहा था, काफी सामानों की बिक्री हुई थी. दुकानदारों ने यहां के लोगों की भी जम कर तारीफ़ की और कहा कि उसी अनुभव को लेकर इस बार भी गुलाबबाग गणपति पूजा में लगे इस मेले में उम्मीदें लेकर आये हैं. विश्वास है कि यहां के लोग उन सभी का जरुर साथ देंगे. दुकानदारों ने बताया कि जिस रेसियो में लोग मेला पहुंच रहे हैं और उनके स्टॉलों के आइटमों में दिलचस्पी ले रहे हैं उससे उनकी उम्मीदें और बढ़ गई हैं.————
आंकड़ों के आईने में
1999 से शुरू हुआ गुलाबबाग में गणपति पूजा मेला
1930 में हुई थी पुराने गुलाबबाग मेला की शुरुआत1980 के बाद धीरे-धीरे बंद होता गया पुराना मेला40 दिनों तक उस कालखंड में सजता था मेला
10 से पन्द्रह दिनों तक अभी रहता है गणपति पूजा मेलाफोटो. 13 पूर्णिया 7,8,9,10,11- गणपति पूजा मेला में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है