कोविड का ही एक तरह से बदला हुआ स्वरूप है वायरल डिजीज

एंटीबायोटिक्स का कम दिख रहा है असर

By Prabhat Khabar News Desk | January 1, 2025 5:47 PM
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– खांसी और बुखार में साधारण एंटीबायोटिक्स का कम दिख रहा है असर

– पीड़ित मरीजों को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में लग रहा है सप्ताह भर का समय

– बच्चे और बुजुर्ग होने लगे हैं बीमार, अस्पताल व निजी क्लिनिकों में बढ़ी भीड़

पूर्णिया. दिसंबर के विदा होने के साथ-साथ जिले में मौसम का मिजाज भी बेहद कूल-कूल हो गया है वहीं पछुवा हवा ने भी कनकनी बढ़ा दी है. इस वजह से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. मौसम में बढ़ी ठंड और कनकनी ने बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक की स्वास्थ्य समस्याओं में इजाफा कर दिया है. सरकारी से लेकर निजी चिकित्सकों के यहां बड़ी संख्या में ठंड प्रभावित मरीज पहुंच रहे हैं. आखिरी दिसंबर से शुरू हुई कनकनी का असर आम जनजीवन पर भी पडा है जिससे पहली जनवरी को शहर में चहल-पहल अन्य दिनों की तुलना में कम ही दिखी. सुबह सवेरे मॉर्निंग वाक् करने वालों पर भी ठंड का असर देखा जा रहा है. उधर, बीते रविवार से ही चिकित्सा नगरी लाइन बाजार का नजारा कुछ बदला-बदला सा दिखने लगा था जिससे विभिन्न अस्पतालों में काफी संख्या में ठंड से प्रभावित बुजुर्ग और अधेड़ अपने परिजनों के साथ नजर आये. बच्चों में भी ठंड की वजह से सर्दी-खांसी के अलावा निमोनिया की शिकायतें बढ़ रही हैं. बच्चों में कफ के अलावा उल्टी और दस्त की शिकायतें भी आ रहीं हैं. दूसरी ओर कफ और बुखार की शिकायत में साधारण एंटीबायोटिक्स का भी असर कम दिख रहा है जबकि प्रभावित मरीजों को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में सप्ताह भर का समय लग रहा है. चिकित्सकों की मानें तो कोविड के बाद से अमूमन देखा जा रहा है इस तरह के मामलों में मरीजों को स्वस्थ होने में सप्ताह से लेकर दस दिनों का समय लग रहा है. इस बात की भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह वायरल डिजीज कोविड का ही एक तरह से बदला हुआ स्वरूप हो सकता है.

शुगर व हार्ट के मरीजों को एहतियात बरतने की सलाह

बढ़े ठंड की वजह से जीएमसीएच की इमरजेंसी सेवा में कई तरह के मरीज पहुंच रहे हैं. बीते दिनों भी कई स्ट्रोक के मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे जबकि एक बुजुर्ग के मौत की भी सूचना है. इस मामले में चिकित्सकों का कहना है कि ठंड में अमूमन मानव शरीर की नसें सिकुड़ जाती हैं जिस वजह से शरीर में रक्त संचार प्रभावित होता है और ज़रा सा भी एक्सपोजर लगने से स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है. इनमें प्रभावित व्यक्ति को ब्रेन हैमरेज, हार्टअटैक और पक्षाघात भी हो सकते हैं. इस मौसम में जो भी हृदयरोगी हैं या शुगर के मरीज हैं उन्हें सतर्क रहने की जरुरत है.

रखें सावधानी

बीपी और शुगर के मरीज नियमित जांच और दवा लेते रहें

हमेशा गर्म कपड़ों से शरीर को ढकें. भोजन और पानी गर्म ही सेवन करें. अलाव, घूरे अथवा रूम हीटर वगैरह से अचानक बाहर न निकलें. बाहर निकलते समय सिर, कान और नाक को भी ढकें. सर्दी खांसी से प्रभावित व्यक्तियों से बच्चों को दूर रखें. सांस संबंधी परेशानी की स्थिति में चिकित्सक से सलाह जरूर लें.

बोले चिकित्सक

ठंड और कनकनी वाले इस तरह के मौसम में स्ट्रोक की समस्या आती है. बीपी और शुगर के मरीजों को दवा हर रोज लेनी चाहिए. इन दोनों की जांच समय समय पर करवाना भी जरूरी है. फिलहाल ठंड से बचाव ही सुरक्षा है. सुबह टहलने से परहेज करना जरूरी है. इस बात की भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह वायरल डिजीज कोविड का ही एक तरह से बदला हुआ स्वरूप हो सकता है.

डॉ आशुतोष कुमार, चिकित्सक, जीएमसीएचफोटो. 1 पूर्णिया 18- अस्पताल में पहुंचे मरीज एवं उनके परिजन

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