रूपौली उपचुनाव में कलाधर मंडल और बीमा भारती क्यों हारे? सामने आई ये बड़ी वजह
पूर्णिया लोकसभा के रूपौली विधानसभा क्षेत्र में हुए चुनाव में एक बार फिर परिणाम लोकसभा चुनाव जैसा ही रहा है. यहां कैंची चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने वाले शंकर सिंह ने जीत हासिल की है. लोकसभा चुनाव में भी पप्पू यादव ने कैंची चुनाव चिन्ह पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. इस परिणाम के बाद अब बीमा भारती और कलाधर मंडल की हार क्यों हुई यह सवाल खड़े हो रहे हैं.
Rupauli By Election : एक बार फिर कैंची की तेज धार के आगे तीर अपना निशाना चूक गया. पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के रुपौली विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह विजयी घोषित हुए. शंकर सिंह का चुनाव चिन्ह कैंची था. लोकसभा चुनाव के बाद बिहार की एकमात्र रुपौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा था. इसके चलते यह सीट सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए हॉट सीट बन गई थी.
सभी दलों ने झोंकी थी ताकत
एनडीए और इंडिया गठबंधन ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जहां जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल के पक्ष में रैली की, वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राजद प्रत्याशी बीमा भारती की जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. इन दोनों दिग्गजों के बीच फंसे निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह अकेले ही जनता की अदालत में जा पहुंचे. जनता ने न सिर्फ उनकी बात ध्यान से सुनी बल्कि वोट के जरिए अपना फैसला भी सुनाया. वोटों का असर बताता है कि शंकर को समाज के हर तबके का समर्थन मिला.
पप्पू यादव का चुनाव चिन्ह भी कैंची था
करीब ढाई महीने पहले हुए पूर्णिया लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव जेडीयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा को हराकर सांसद बने थे. सांसद पप्पू यादव का चुनाव चिन्ह भी कैंची ही था.
शंकर सिंह के जीत के कारण
- हर हमेशा जनता के बीच रहना
- सवर्ण के साथ-साथ अति पिछड़ों पर पकड़
कलाधर मंडल के हार कारण
- जनता के बीच अपनी पहचान बनाने में नाकामयाब रहे
- अपनी जातियों में भी पकड़ नहीं बना सके
बीमा भारती के हार का कारण
- जीत के लिए चुनाव प्रबंधन का घोर अभाव
- विधानसभा में राजद का कमजोर संगठन
जनता भगवान है जिसका आशीर्वाद मुझे मिला : शंकर
उपचुनाव में अपनी जीत के बाद निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ने कहा कि जनता भगवान हैं और उनका मुझे आशीर्वाद मिला. पक्ष रहे या विपक्ष जनता के आशीर्वाद के बिना कोई प्रत्याशी जीत नहीं सकता. मुझे पक्ष-विपक्ष से लेना देना नहीं है. हमने जाति पर विश्वास नहीं किया जमीन की राजनीति की है. सभी जातियों का हम सेवा किये हैं. समस्या लेकर आने वाले लोगों का हमने जात नहीं पूछा, उसकी सेवा की है. जनता के लिए ही मेरा जीवन समर्पित है.
उन्होंने कहा कि रुपौली का 10 पंचायत बाढ़ प्रभावित है. वहां रिंग बांध बनवायेंगे. विधानसभा क्षेत्र में डिग्री कॉलेज नहीं है. बिजली और शिक्षा की समस्या है. बहुत स्कूलों में शिक्षक नहीं है, भवन जर्जर है जिसका निदान किया जायेगा. पूर्व के विधायक ने कभी क्षेत्र के विकास पर ध्यान नहीं दिया. हमने हमेशा जनता की सेवा की, जिसका आशीर्वाद मिला है. लोजपा में स्थापना काल से थे. पिछला चुनाव लोजपा से लड़े थे. दूसरे स्थान पर रहे. इस बार गठबंधन में रुपौली सीट चले जाने के बाद क्षेत्र के जनता से राय लिये और निर्दलीय चुनाव लड़े.
मेरे पति की नहीं जनता की जीत है : प्रतिमा देवी
शंकर सिंह की जीत पर उनकी पत्नी सह जिला परिषद सदस्य प्रतिमा कुमारी ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह जीत उनके पति की नहीं बल्कि रूपौली की जनता की जीत है. रुपौली की जनता भगवान स्वरूप है. सभी समाज की जनता के आशीर्वाद के बदौलत इतनी बड़ी जीत हुई है. वहां की जनता ने भगवान से प्रार्थना और मुस्लिम भाइयों ने मेरे पति की जीत के लिए नवाज अदा किये. इन्हीं की आशीर्वाद और दुआ की बदौलत सरकार की सभी शक्ति प्रदर्शन के बाद भी मेरे पति शंकर सिंह जीते. उन्होंने कहा कि जनता ने न केवल वोट दिया बल्कि चुनाव में आर्थिक मदद भी की. रुपौली के हर क्षेत्र में अब विकास ही विकास होगा.
Rupauli By Election: परिणाम आते ही जीत के जश्न में डूबे शंकर सिंह के समर्थक
चुनाव परिणाम की घोषणा होते ही कार्यकर्ता और समर्थक जीत के जश्न में डूब गये. जश्न के दौरान जहां जमकर नारे लगाए गये वहीं समर्थकों ने पटाखे फोड़े और एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर जीत की खुशी मनायी. कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को मिठाई खिला कर खुशी का इजहार किया. हालांकि जुलूस पर प्रशासनिक रोक थी पर इसके बावजूद कोई अपनी खुशी रोक नहीं पाए और जश्न का दौर जारी रहा.शंकर सिंह की जीत का यह जश्न मुख्यालय तक ही सीमित नहीं रहा. समर्थकों ने अपने गांव और कस्बे में भी जीत की खुशी मनायी. इस खुशी में दिन में जहां अबीर गुलाल उड़े वहीं शाम में जगह-जगह आतिशबाजी की गयी.
जदयू और बीमा के अलग होने से दोनों को हुआ नुकसान
रूपौली विधानसभा के उपचुनाव के नतीजे परखने के कई आइने हैं. सियासतदार अपने-अपने आइने से इस नतीजे को परख भी रहे हैं. मगर एक बात सभी मानते हैं कि जदयू व बीमा के अलग होने से दोनों का नुकसान हुआ है. इस अलगाव के कारण 19 साल पुराने अपने गढ़ रूपौली को जदयू ने एक निर्दलीय के हाथ खो दिया.
ढाइ महीने पहले लोकसभा चुनाव में यहां से जदयू को बड़ी लीड मिली थी. मगर वह लीड ढाइ महीने में ही पीछे छूट गयी. जबकि इस गढ़ पर अपना कब्जा कायम रखने के लिए जदयू और उसके सहयोगी दलों ने पूरा दमखम लगा दिया था. प्रदेशभर के नेताओं का जमावड़ा लगा. मगर जो नतीजे आये उससे जदयू को निराशा ही हाथ लगी.
इधर, जदयू से अलग होकर बीमा को लगातार दूसरी बार मुंह की खानी पड़ी है. लोकसभा चुनाव में बीमा की करारी हार हुई थी. वहीं अब विधानसभा उपचुनाव भी वह हार गयी जहां वह वर्ष 2000 से विधायक निर्वाचित हो रही थीं. खैर, अब भविष्य बतायेगा कि आगे जदयू और बीमा की राजनीति क्या करवट लेगी.
सड़क से विधानसभा तक का सफर
सड़क से विधानसभा तक के सफर तय करने में शंकर सिंह को 19 साल लग गये. 2005 में पहली बार रूपौली सीट से लोजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी लेकिन सरकार नहीं बनने के कारण वे विधानसभा का मुंह नहीं देख पाये थे. इसके बाद शंकर सिंह 2010, 2015 और 2020 में लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े. हर बार मामूली अंतर से हारते गये. इसबार गठबंधन की वजह से उनका टिकट अंतिम क्षणों में कट गया.
टिकट नहीं मिलने से नाराज शंकर सिंह लोजपा (रामविलास) से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गये. जिले के बीकोठी अन्तर्गत अलीगंज निवासी शंकर सिंह पूर्णिया और कोसी प्रमंडल में जाना पहचाना नाम है. स्वभाव से गंभीर शंकर सिंह अपने साथियों और शुभचिंतकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. ज्यादातर लोग उन्हें अध्यक्ष जी से ही पुकारते हैं. उनकी पत्नी प्रतिमा कुमारी वर्तमान में जिला परिषद सदस्य हैं.
पूर्णिया लोकसभा के नतीजे की फोटोकॉपी है रूपौली उपचुनाव का परिणाम
रूपौली उपचुनाव के नतीजे ढाई माह पूर्व संपन्न हुए पूर्णिया लोकसभा चुनाव के नतीजे की फोटो कॉपी है. जिस तरह पूर्णिया लोकसभा चुनाव में जदयू और राजद के महारथी के बीच निर्दलीय पप्पू यादव चुनावी अखाड़े में अकेले ताल ठोक रहे थे. ठीक उसी तरह रूपौली उपचुनाव में जदयू-राजद के बीच आमने-सामने की टक्कर में निर्दलीय शंकर सिंह अपना भाग्य आजमा रहे थे. दिलचस्प बात यह रही कि निर्दलीय शंकर सिंह ने वहीं चुनाव चिह्न कैंची चुना जो लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने चुना था.
लोकसभा के चुनावी महाभारत में जिस तरह पप्पू यादव को घेरने की कोशिश की गयी, करीब-करीब उसी तरह इसमें भी शंकर की घेराबंदी की गयी. लेकिन उन्होंने इसका डटकर मुकाबला किया और जीत का परचम लहराया. रूपौली के सामाजिक कार्यकर्ता तरूण कुमार ने इसे चुनावी रोमांच का एक बहुत अच्छा उदाहरण बताते हुए कहा, रूपौली उपचुनाव पूर्णिया लोकसभा चुनाव की छायाप्रति है जहां अंतत: राजद के लालटेन, जदयू के तीर और निर्दलीय के कैंची के इर्दगिर्द नजर आयी. रूपौली के लोगों का कहना है कि शंकर सिंह ने भी पप्पू यादव की तरह बिना किसी तामझाम के सीधे जनता से मिलकर अपनी गुहार लगायी.
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पप्पू सिंह ने शंकर को दी जीत की बधाई, कहा- थोपे गये प्रत्याशी अब स्वीकार्य नहीं
पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने रुपौली के नवनिर्वाचित निर्दलीय विधायक शंकर सिंह को जीत की बधाई दी है और कहा है कि वे रुपौली की जनता को उनकी सूझबूझ, निर्भीकता, दूरदर्शिता और सभी तरह के भेदभाव से उपर उठकर मतदान करने के लिये दिल से आभार व्यक्त करते हुए जीत की बधाई देते हैं. उन्होंने कहा कि पूर्णिया और रुपौली की जनता ने यह सिद्ध कर दिया है कि आम जनता की भावनाओं के विपरीत थोपे गये प्रत्याशी अब स्वीकार नहीं किये जायेंगे. अब जनता तथाकथित जातीय एवं वर्ग के ठेकेदारों को स्वीकार करने को तैयार नही है.
उदय सिंह ने कहा कि इससे सभी को सीख लेने की जरूरत है. अब जनता की आवाज सूनने वाला ही स्वीकार्य होगा. पूर्व सांसद ने कहा कि रूपौली के नव निर्वाचित विधायक श्री सिंह के पास समय कम है और उन्हें रूपौली के उत्थान के लिए बहुत कुछ करना है, वे आशा करते हैं कि वे सभी गांवों, पंचायतों की समस्याओं एवं आवश्यक कार्यों के प्रति संवेदनशील रहते हुए जनता की प्राथमिकता के आधार पर कार्य करेंगे. वे उनके सभी सकारात्मक कार्यों में अपना हर संभव सहयोग करते रहेंगे.
इंदु सिन्हा ने दी जीत की बधाई
कांग्रेस की पूर्व जिलाध्यक्ष इंदु सिन्हा ने रूपौली उपचुनाव से निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह को विधान सभा सदस्य बनने की शुभकामनाएं दी है. उन्होंने बधाई देते हुए आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जनता के विश्वास पर आप बिलकुल खरे उतरेंगे. जिस तरह से आप और आपकी धर्मपत्नी प्रतिमा कुमारी सदा जनता के बीच रहे हैं. आगे भी उनकी पीड़ा को समझते हुए उनके लिए काम करते रहेंगे.
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त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतगणना संपन्न
रुपौली विधानसभा उपचुनाव संपन्न होने के बाद शनिवार की सुबह पूर्णिया कॉलेज परिसर में मतगणना का कार्य शुरू हुआ. मतगणना को लेकर जिला प्रशासन द्वारा पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी. इसके लिए पूर्णिया कॉलेज परिसर में अर्द्धसैनिक बलों के टुकड़ियों के साथ बिहार पुलिस के जवानों की तैनाती की गयी थी. मतगणना केंद्र के अंदर के अलावा पूर्णिया कॉलेज की ओर जाने वाले रास्तों पर 12 जगह ड्रॉपगेट बनाये गये थे. वाहनों की जांच के लिए पुलिस पदाधिकारी के साथ बलों की तैनाती की गयी थी. कॉलेज परिसर में दो एंबुलेंस और एक अग्निशमन का दमकल तैनात रहे. मतगणना केंद्र के गेट पर मेटल डिटेक्टर लगाया गया था.
सदर एसडीपीओ पुष्कर कुमार ने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर 70 दंडाधिकारियों की तैनाती की गयी थी. करीब 400 पुलिस बलों को सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया.इनमें अर्ध सैनिक बलों,रेपिड एक्शन फोर्स के अलावा महिला पुलिस की भी तैनाती की गई थी. किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हो इसके लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गयी. उन्होंने बताया कि पूर्णिया कॉलेज मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए किसी प्रकार के रूट का निर्धारण नहीं किया गया था. इन रास्तों पर ड्रॉप गेट बनाया गया, जहां पुलिस पदाधिकारी के साथ बलों की तैनाती रही.