बिहार विधान परिषद में राबड़ी देवी बनीं नेता विरोधी दल, सुनील सिंह को मिली ये जिम्मेवारी
बिहार में नयी सरकार बनने के बाद राजद एक बार फिर विपक्ष की भूमिका में आ चुका है. नई सरकार के गठन के बाद तेजस्वी यादव को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है. विधानसभा में विपक्ष के नेता राबड़ी देवी के तौर पर जनता के मुद्दों को उठाने का काम करेंगे. वहीं अब विधान परिषद में भी विरोधी पक्ष से आरजेडी को बड़ी जिम्मेवारी मिली है.
पटना. बिहार में पूर्व सीएम राबड़ी देवी को एक बार फिर बिहार विधान परिषद में नेता विरोधी दल चुन लिया गया है. सरकार में रहकर भी नीतीश कुमार पर तंज कसनेवाले आरजेडी कोटे से एमएलसी सुनील कुमार सिंह को विरोधी दल का सचेतक बनाया गया है. बिहार में नयी सरकार बनने के बाद राजद एक बार फिर विपक्ष की भूमिका में आ चुका है. नई सरकार के गठन के बाद तेजस्वी यादव को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है. विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर जनता के मुद्दों को उठाने का काम करेंगे. वहीं अब विधान परिषद में भी विरोधी पक्ष से आरजेडी को बड़ी जिम्मेवारी मिली है.
सुनील सिंह को भी मिली बड़ी जिम्मेदारी
आरजेडी विधान मंडल कल की बैठक में राबड़ी देवी को सर्व सम्मति से विरोधी दल का नेता चुना गया है, जबकि उनके मुंहबोले भाई आरजेडी एमएलसी सुनील कुमार सिंह को विधान परिषद में विरोधी दल का सचेतक के रूप में चुना गया है. शुक्रवार को आरजेडी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने सभापति को पत्र लिखकर इन्हें मान्यता देने का अनुरोध किया था. आरजेडी के अनुरोध पर बिहार विधान परिषद के सभापति ने राबड़ी देवी को नेता विरोधी दल और आरजेडी एमएलसी सुनील सिंह को बिहार विधान परिषद में विरोधी दल के मुख्य सचेतक के रूप में मान्यता दे दी गई है. बिहार विधान परिषद सचिवालय की तरफ से शुक्रवार को इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है.
नौ साल के राजनीतिक जीवन में तेजस्वी दूसरी बार बने विपक्ष के नेता
बिहार के दो बार उप मुख्यमंत्री बन चुके राजद नेता तेजस्वी यादव अब एक बार फिर (दूसरी बार) विधानसभा में विपक्ष के नेता बने हैं. इसकी विधिवत घोषणा विधानसभा सचिवालय ने कर दी है. बिहार की संसदीय राजनीति में बारी-बारी से दो बार उप मुख्यमंत्री बनने के बाद दो बार विपक्ष का नेता बनने का अवसर हासिल करने वाले तेजस्वी यादव संभवत: पहले नेता है. पूर्व उप मुख्यमंत्री व राजद नेता तेजस्वी यादव को संसदीय राजनीति का अनुभव अभी महज नौ साल का है. पहली बार वह 2015 में पहला चुनाव जीतने के बाद ही उपमुख्यमंत्री बन गये थे.
Also Read: भारतीय चिकित्सा पद्धति की दुनिया में बढ़ी स्वीकारता, बोले सर्वानंद सोनोवाल- घर-घर पहुंचाने की जरुरत
तेजस्वी ने बनाया दो-दो रिकार्ड
26 साल की उम्र में उप मुख्यमंत्री बनने वाले संभवत: वे राज्य के पहले व्यक्ति हैं. 2017 में जब जदयू-राजद गठबंधन की सरकार टूटी, तो वह विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष बने. इसके बाद वर्ष अगस्त 2022 में जब महागठबंधन की एक बार फिर सरकार बनी, तो वह दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बने. अब जब रविवार को महागठबंधन की जगह एक बार फिर एनडीए की सरकार बनी है तो तेजस्वी यादव एक बार फिर विपक्ष के नेता बनने जा रहे हैं. दिलचस्प संयोग है कि जब भी राजनीतिक समीकरण बदला, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जस के तस रहे. फिलहाल मुख्य विपक्षी दल राजद के नेता के रूप में तेजस्वी यादव एक बार फिर विपक्ष के नेता के रूप में सामने होंगे.