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Success Story: IIT और NIFT से पढ़ाई के बाद शुरु किया स्टार्टअप, अपना प्रोडक्ट बेच कमा रहे लाखों रुपये..

Success Story: नवादा जिले के राहुल और विकास ने प्लास्टिक कचरे से उत्पाद बनाने का स्टार्टअप शुरु किया. वे प्लास्टिक से डाइनिंग टेबल, लैपटॉप स्टैंड जैसे आइटम बनाते हैं और अपने उत्पाद बड़ी कंपनियों को बेचते हैं. वे जल्द ही बिहार में फैक्ट्री स्थापित करने जा रहे हैं.

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Success Story: देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों से डिग्री प्राप्त करने के बाद ज्यादातर छात्र बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी करना चाहते हैं और अपने कॉलेजों से हाइ सैलरी पर प्लेसमेंट का सपना देखते हैं. लेकिन, बिहार के नवादा जिले के दो भाइयों ने IIT और NIFT से डिग्री लेने के बाद खुद का स्टार्टअप शुरू किया और आज लाखों रुपये कमा रहे हैं. साथ ही, कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. विकास IIT से पोस्ट ग्रेजुएट हैं, जबकि राहुल NIFT दिल्ली से टेक्सटाइल डिजाइन में स्नातक हैं.

लॉकडाउन के दौरान शुरू किया काम

राहुल बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू किया, जिसका नाम माइनस डिग्री (Minus Degree) रखा. अपने भाई विकास के साथ उन्होंने प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल कर नए उत्पादों में बदलने का कदम उठाया. उस समय जब घरों में ऑनलाइन खरीदारी और प्लास्टिक उपयोग बढ़ा था, तो दोनों ने आसपास से प्लास्टिक कचरा एकत्र किया और रैग-पिकर्स से भी प्लास्टिक खरीदी. इसके बाद, उन्होंने प्लास्टिक से नए उत्पाद बनाने शुरू किए.

प्लास्टिक वेस्ट को देते हैं नया आकार

राहुल और विकास प्लास्टिक वेस्ट को नया रूप दे रहे हैं, जिससे उपयोग के बाद फेंकी जाने वाली प्लास्टिक का पुन: उपयोग किया जा सके. उन्होंने प्लास्टिक शीट्स, डाइनिंग टेबल, गिफ्ट हैंपर, इको पॉट्स, लैपटॉप स्टैंड और डेस्क ऑर्गनाइजर जैसे आइटम बनाए हैं. इसके लिए दोनों भाइयों ने मिलकर मशीनें बनाई और प्लास्टिक प्रोसेस करना शुरू किया. अब वे अपने उत्पादों को बड़े ब्रांड्स जैसे एडिडास (Adidas), बीएमडबल्यू (BMW), नीलकमल (Neelkamal), टाटा (Tata), आइडीएफसी बैंक, बजाज फाउंडेशन, एचसीआइ फाउंडेशन आदि को बेचते हैं.

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बिहार में फैक्ट्री स्थापित करने की तैयारी

राहुल और विकास का उद्देश्य न केवल पर्यावरण की सुरक्षा करना है, बल्कि लोगों में प्लास्टिक कचरे और जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाना भी है. इस मकसद से वे ‘प्लास्टिक पे चर्चा’ अभियान चला रहे हैं. राहुल का कहना है कि वे सिर्फ उत्पाद निर्माता नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की दिशा में भी काम कर रहे हैं. वे अगले साल बिहार में अपनी फैक्ट्री स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. हाल ही में पटना के ज्ञान भवन में आयोजित इंवेस्टर मीट में उद्योगपतियों को दिए जाने वाले मोमेंटो को भी उन्होंने ही डिजाइन किया था. उन्हें बिहार सरकार के उद्योग विभाग से भी अब समर्थन मिल रहा है.

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