प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने केंद्रीय रेल मंत्रालय की लगभग 32,500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले सात परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की है. इस परियोजना से पूर्व मध्य रेलवे को भी कई फायदे होंगे. इसमें पूर्व मध्य रेलवे से जुड़ी तीन व बिहार से जुड़ी दो परियोजनाएं शामिल हैं. इन मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं के प्रस्तावों की मंजूरी से अब परिचालन में आसानी होगी और भीड़-भाड़ में कमी आयेगी, जिससे भारतीय रेल के अति व्यस्त खंडों पर आवश्यक ढांचा गत विकास संभव हो सकेगा.
भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क में 2339 किलोमीटर की होगी वृद्धि
रेलवे के अनुसार देश के नौ राज्यों अर्थात उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के 35 जिलों को कवर करने वाली इन परियोजनाओं से भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क में 2339 किलोमीटर की वृद्धि होगी. इसके अलावा इन राज्यों के काफी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा.
मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट से सोन नगर-अंडाल रेलखंड होगा विकसित
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बिहार से झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल के अंडाल तक जाने वाली 375 किलोमीटर रेल मार्ग को मल्टी ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ा जायेगा. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने बुधवार को इसकी मंजूरी दी है. इसके तहत औरंगाबाद के सोन नगर स्टेशन से – पश्चिम बंगाल के अंडाल स्टेशन तक का रेल मार्ग संचालन आपरेशन कंट्रोल सेंटर से किया जायेगा. यह लुधियाना-सोन नगर रेलखंड का विस्तार है. इसका संचालन यूपी के प्रयागराज से किया जाएगा.
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इस परियोजना में न्यू काष्ठा, न्यू कोडरमा, न्यू गोमो, न्यू प्रधानखुंटा, न्यू मुगमा और न्यू अंडाल में कुल छह रेलवे स्टेशन हैं, जहां यह लाइन भारतीय रेलवे के पारंपरिक ट्रैक से जुड़ता है. न्यू रफीगंज, न्यू पहाड़पुर, न्यू हीरोडीह और न्यू केशवारी में चार क्रॉसिंग स्टेशन और न्यू कालीपहाड़ी स्टेशन पर एक केबिन है.
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यह अलाइनमेंट बिहार के औरंगाबाद और गया जिले में 133 किलोमीटर, झारखंड के कोडरमा, हजारीबाग, गिरिडीह और धनबाद जिले में कुल 202 किलोमीटर और पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले करीब 20 किलोमीटर से होकर गुजरता है.
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इस रेल खंड पर कुल 70 समपार फाटक हैं, जिन पर आरओबी या आरयूबी द्वारा समाप्त करने की योजना है. इस खंड में गया के पास फल्गु नदी और बराकर के पास बराकर नदी को पार करने वाले दो महत्वपूर्ण पुल हैं. इसके अलावा 56 प्रमुख पुल और पांच सुरंगें हैं, जिनकी लंबाई लगभग 2.64 किमी है. इस खंड में रेलवे भूमि सहित लगभग 97% भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है.
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परियोजना की लंबाई : 814.38 किलोमीटर
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परियोजना की लागत : 13,605. 98 करोड़ रुपये
गोरखपुर छावनी से वाल्मीकिनगर रेलवे लाइन के दोहरीकरण योजना की भी मंजूरी
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इसके अलावा कैबिनेट आर्थिक सब कमेटी ने वाल्मीकिनगर स्टेशन से यूप के गोरखपुर कैंट के दोहरीकारण की स्वीकृति भी दी है. बुधवार को देर शाम रेलवे बोर्ड ने इसके संबंधित आदेश रेलवे को दिया है. इस पर करीब 1269 करोड़ रुपये खर्च आयेगा.
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इस रेलखंड पर 6.676 किलोमीटर पश्चिम चंपारण क्षेत्र में आयेगा व 89.264 किलोमीटर उत्तर प्रदेश में आयेगा. इस रेलखंड में गंडक नदी पर भी एक बड़े पुल निर्माण की स्वीकृति दी गई है. जिसकी लंबाई 854 मीटर होगी. इसके लिए अब कार्य योजना के साथ ही अगले स्तर को लेकर भी तैयारी शुरू करने का निर्णय लिया गया है. इस कार्य के पूर्ण होने के कारण पूर्वोत्तर राज्यों को उत्तर भारत के राज्यों से कनेक्टिविटी आसान हो जायेगी. साथ ही नेपाल के लोगों को भी इसका फायदा होगा.
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बताते चलें कि मुजफ्फरपुर-वाल्मीकिनगर के 210. 3 किलोमीटर पर दोहरीकरण का कार्य प्रगति पर है. जिसमें 86.15 किलोमीटर काम पूर्ण हो चुका है. वहीं 121.85 किलोमीटर पर दोहरीकरण का कार्य चल रहा है. मुजफ्फरपुर से गोरखपुर कैंट संपूर्ण रेलखंड के दोहरीकरण हो जाने पर इस रेलखंड पर गाड़ियों के परिचालन समय में कमी आयेगी. यात्रियों की कीमती समय का बचत भी होगा. मौके पर सीनियर डीसीएम चंद्रशेखर प्रसाद, वरिष्ठ मंडल अभियंता सुनील कुमार, निर्माण विभाग की ओर से वरिष्ठ अभियंता विनोद कुमार गुप्ता, एसडीएफएम राहुल राज आदि उपस्थित थे.
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इस रेलखंड के दोहरीकरण हो जाने के कारण असम, त्रिपुरा, उत्तरी बिहार और पूर्वी यूपी के लिए ट्रेन और नेपाल से आने जाने वाली यात्रियों के लिए समय में दो से तीन घंटे की बचत होगी. नरकटियागंज और गोरखपुर के बीच अधिक यात्री ट्रेन दी जा सकेगी. पूर्वोत्तर कनेक्टिविटी का बढ़ावा मिलेगा. वह खंड का भी अधिक से अधिक उपयोग हो पायेगा. पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए खाद्यान्न उर्वरक सीमेंट कोयला लोहा पत्थर के चिप्स तेज गति से पहुंचेंगे. नौतनवा, रक्सौल, बीरगंज और जोगबनी की नेपाल कनेक्टिविटी मिल सकेगी. वहीं उत्तर बिहार के जूट, चीनी उद्योग तथा मक्का और उसे उत्पादों से बनने वाले फैक्ट्री को भी इसका सीधा लाभ मिल पायेगा.
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परियोजना की लंबाई : 106.96 किलोमीटर
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परियोजना की लागत : 1269. 82 करोड़ रुपये
मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं पर करीब 32,500 करोड़ रुपये का खर्च
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारतीय रेलवे की सात मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं पर करीब 32,500 करोड़ रूपये का खर्च आयेगा और रेलवे के वर्तमान नेटवर्क में 2,339 किलोमीटर रेलमार्ग जोड़ा जा सकेगा. रेल मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित परियोजनाएं पूरी तरह से केंद्र पोषित होंगी और इससे भारतीय रेलवे की वर्तमान रेल लाइन क्षमता को बढ़ाने, ट्रेन परिचालन को सुगम बनाने, भीड़ को कम करने तथा यात्रा को आसान बनाने में मदद मिलेगी. इन परियोजनाओं के निर्माण के दौरान लगभग 7.06 करोड़ मानव दिवसों के प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा. बिहार-झारखंड और पश्चिम बंगाल समेत देश के नौ राज्यों के 35 शहरों से जुड़ी इस परियोजना से रेलवे के वर्तमान नेटवर्क में 2,339 किलोमीटर रेलमार्ग जोड़ा जा सकेगा.