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सृजन घोटाला की मुख्य आरोपित रजनी प्रिया गिरफ्तार, सीबीआई ने गाजियाबाद से दबोचा

गिरफ्तार करने के बाद सीबीआई टीम रजनी प्रिया को नयी दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय लेकर चली गयी. सूत्रों के मुताबिक रजनी प्रिया को प्राथमिक पूछताछ के बाद पटना लाया जा रहा है. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने रजनी प्रिया समेत पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया और अमित कुमार को भगोड़ा घोषित किया था.

By Ashish Jha | August 10, 2023 7:57 PM
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भागलपुर. सृजन घोटाला मामले की मुख्य आरोपित रजनी प्रिया को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. गाजियाबाद के साहिबाबाद मोहल्ले से उनकी गिरफ्तारी हुई है. गिरफ्तार करने के बाद सीबीआई टीम रजनी प्रिया को नयी दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय लेकर चली गयी. सूत्रों के मुताबिक रजनी प्रिया से प्राथमिक पूछताछ शुरू हो चुकी है. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने रजनी प्रिया समेत पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया और अमित कुमार को भगोड़ा घोषित किया था. सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर (भागलपुर) की तत्कालीन सचिव मनोरमा देवी की मौत के बाद रजनी प्रिया ने सचिव का पदभार लिया था. रजनी प्रिया मनोरमा देवी की बहू हैं. वह घोटाला उजागर होने से मात्र छह माह पहले सृजन की पदधारक बनी थी.

सृजन घाटाला मामले में 10 नामजद आरोपितों में है रजनी का नाम

23 अगस्त 2017 में सृजन के सभी पदधारकों पर सबौर के तत्कालीन प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी ने एफआइआर दर्ज करायी थी. दर्ज की गयी प्राथमिकी में 10 नामजद आरोपितों में सृजन संस्था की सचिव रजनी प्रिया (पति-अमित कुमार) को भी नामजद अभियुक्त बनाया गया था. इसके अलावा सृजन घोटाला मामले में कल्याण, जिला परिषद, नजारत, डीआरडीए, स्वास्थ्य, भू-अर्जन, कई प्रखंड, बांका व सहरसा जिले के भू-अर्जन कार्यालयों के बैंक खाते से हुए घोटाले में दर्ज करायी गयी सभी एफआइआर में भी सृजन संस्था के सभी पदधारकों को भी आरोपित बनाया गया था. इसके बाद जब सीबीआइ ने मामले की जांच शुरू की, तो सृजन के पदधारकों के खिलाफ भी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की.

सीबीआइ ने नोटिस चिपका कर मांगी थी रजनी प्रिया की जानकारी

नौ जून 2023 को भागलपुर के तिलकामांझी इलाके में प्राणवती लेन स्थित रजनी प्रिया के घर के सामने सीबीआइ ने ढोल पिटवा कर नोटिस चिपकायी थी. लोगों से अपील की थी कि सृजन घोटाले की आरोपित रजनी प्रिया के बारे में कोई भी जानकारी मिले, तो तत्काल सीबीआइ से संपर्क कीजिये. सूचना दीजिये. सूचना देनेवाले का नाम गुप्त रखा जायेगा. उचित इनाम भी दिया जायेगा. चर्चा है कि वर्ष 2017 से फरार रजनी प्रिया के बारे में किसी को जानकारी मिली और सीबीआइ को इसकी सूचना मिलने पर रजनी को गिरफ्तार करने में सफलता हाथ लगी. यह भी चर्चा है कि सीबीआइ को सृजन से जुड़े किसी व्यक्ति के संबंधी ने ही सूचना दी है. वैसे अब तक इसका खुलासा नहीं किया गया है.

सीबीआइ को तीन मामलों में थी रजनी की तलाश

रजनी प्रिया (सृजन संस्था की पूर्व सचिव) के खिलाफ दर्ज अपराध संख्या 13ए/2017, 15ए/2017 व 17ए/2017 में सीबीआइ न्यायालय, पटना ने इनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था और वह न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हो रही थी. सीबीआइ को तीन मामलों में रजनी प्रिया की तलाश थी, जिनमें वह आरोपित हैं. भू-अर्जन, दी भागलपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक व जिला परिषद कार्यालय के बैंक खाते से घोटाला हुआ था. इस घोटाले में सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के सभी पदधारक आरोपित हैं. इसमें सृजन की तत्कालीन सचिव रजनी प्रिया भी आरोपित हैं. इन्हीं मामलों को लेकर सीबीआइ तलाश कर रही थी. वर्ष 2017 में सृजन घोटाला के पर्दाफाश होने से पहले ही रजनी प्रिया और अमित कुमार फरार हो गये थे.

अमित कुमार की हो चुकी है मौत !

यह भी चर्चा है कि सृजन संस्था की तत्कालीन सचिव मनोरमा देवी के पुत्र और रजनी प्रिया के पति अमित कुमार की मौत हो चुकी है. इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है. मनोरमा देवी की मौत के बाद अमित ने अपनी पत्नी के साथ विरासत संभाली थी. कुमार क्लासेस के नाम से एक कोचिंग का भी अमित कुमार संचालन करते थे. तिलकामांझी इलाके के न्यू प्राणवती लेन स्थित अमित कुमार के घर के आसपास बसे कॉलोनी की प्राय: हर गली में लगे बोर्ड के नीचे ”कुमार क्लासेस के सौजन्य से” लिखा हुआ है.

सरकारी खजाने से हुआ था घोटाला

सृजन घोटाला में सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर के बैंक खातों में अवैध रूप से सरकारी खजाने से भारी धनराशि की हेराफेरी की गयी. यह घोटाला भागलपुर, बांका व सहरसा जैसे कई जिलों में फैले होने की बात जांच में सामने आ चुकी है. इसका खुलासा वर्ष 2017 में हुआ था. सरकारी अधिकारियों, बैंक अधिकारियों, सृजन संस्था के पदाधिकारियों और अन्य व्यक्तियों की मिलीभगत से घोटाले को अंजाम दिया गया था. सृजन के बैंक खातों में धन को इस प्रकार आगे आरटीजीएस, नकद व चेक के माध्यम से विभिन्न व्यक्तियों व संस्थाओं को हस्तांतरित किया गया कि किसी को भनक तक नहीं लग सकी. बैंक अधिकारियों ने जानबूझ कर सरकारी खाते से सृजन के खातों में पैसे ट्रांसफर किये और अकाउंट स्टेटमेंट में इस तरह से हेराफेरी की गयी कि ये लेन-देन दिखे ही नहीं. जब भी सरकारी विभागों को राशि की आवश्यकता होती थी, घोटालेबाजों द्वारा आवश्यक धन सरकारी खाते में वापस जमा कर दी जाती थी.

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