पटना. अगले महीने 10 जून को राज्यसभा की पांच सीट पर होने वाले द्विवार्षिक चुनाव और इसके पहले 30 मई को एक सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर एनडीए और महागठबंधन में गहमागहमी तेज हो गयी है. कुल छह सीटों में दो पर भाजपा, दो पर जदयू और दो सीटें राजद की झोली में जायेंगी. अगले कुछ दिनों में विधान परिषद की सात सीटें भी खाली हो रही हैं. सभी पार्टिंयां राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव को जोड़ कर ही उम्मीदवारों के चयन पर अंतिम फैसला लेंगी. इसमें सामाजिक समीकरण प्रमुख आधार होगा. सबसे अधिक दुविधा भाजपा में दिख रही है. बोचहां उपचुनाव परिणाम से सहमी भाजपा राज्यसभा और विधान परिषद दोनों ही चुनावों में सवर्ण और अतिपिछड़ी जातियों को एकसाथ साध कर चलना चाहती है.
भाजपा के भीतर जहां इस बात पर मंथन तेज हो गया है कि राज्यसभा की दो सीटों में एक सीट पर अतिपिछड़ी जाति के उम्मीदवार उतारा जायेगा या फिर दोनों ही सीटें सवर्ण उम्मीदवारों से भरी जायेंगी. पार्टी की नजर विधान परिषद की सात सीटों पर भी है. इसमें कम- से- कम दो और अधिक- से -अधिक तीन सीटें भाजपा को मिल सकती हैं. एक सीट भाजपा की भी खाली हो रही है. भाजपा के सामने दो साल बाद 2024 में होने वाले लोकसभा और 2025 में विधानसभा के चुनावी समीकरण साधने की चुनौती है. ऐसे में पार्टी अतिपिछड़ी जातियों में वैसे चेहरों को मौका दे सकती है, जिस वर्ग का प्रतिनिधित्व अभी मौजूदा किसी सदन में नहीं है.
जदयू में किंग महेंद्र के निधन से खाली हुई सीट पर होने वाले उपचुनाव में इस बार मौका किसी आम कार्यकर्ता को मिलने वाला है. उम्मीदवार को लेकर आखिरी फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही लेंगे, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस बार कोई बड़े नाम पर विचार की गुंजाइश नहीं बन पा रही है. पांच सीटों पर होने वाले चुनाव में जदयू के खाते में एक सीट आयेगी. इस सीट पर किसे उम्मीदवार बनाया जायेगा, इसको लेकर कयास लगाये जा रहे हैं.
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22 मई भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष का पटना आगमन हो रहा है. बीएल संतोष की यात्रा पार्टी के दूसरे कार्यक्रमों की समीक्षा को लेकर हो रही है. पर, माना जा रहा है संतोष के समक्ष भी उम्मीदवारों को लेकर चर्चा हो सकती है. इसके पूर्व रविवार को भाजपा प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक होगी, जिसमें एक जून से शुरू होने वाले पार्टी कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की जायेगी.
राजद की दो सीटों में एक पर लालू-राबड़ी की पुत्री और मौजूदा सांसद मीसा भरती के नाम प्रमुख हैं. मीसा भरती को दोबारा राज्यसभा भेजे जाने के पीछे लालू प्रसाद को दिल्ली में रहने का एक आधिकारिक ठिकाना भी प्रमुख कारण हो सकता है. दूसरी सीट के लिए कई नामों में एक नाम शरद यादव की भी चर्चा में है. शरद यादव ने हाल ही में अपनी पार्टी का राजद में विलय किया है. वैसे दबी जुबां में किसी बड़े नाम को अंतिम समय में उम्मीदवार बनाये जाने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता.