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Raksha Bandhan: बहे गंगा जमुना की धार उतनी जिनगी जिए भैया हमार , जानें बिहार में कब है रक्षाबंधन त्योहार

Raksha Bandhan Date 2022: इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार कब मनाया जाए, इस बात को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. इस संशय का कारण है कि सभी पञ्चाङ्ग एकमत नहीं है. काशी से प्रकाशित श्री हृषिकेश पञ्चाङ्ग जहां 11 अगस्त गुरुवार कि रात्रि आठ बजकर 25 मिनट के बाद रक्षाबंधन का निर्णय दे रहा है.

Raksha Bandhan 2022: भाई बहन के पवित्र प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन इस वर्ष धर्मसंकट का विषय बना हुआ है. इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार कब मनाया जाए, इस बात को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. इस विषय में पं. संजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि इस संशय का कारण है कि सभी पञ्चाङ्ग एकमत नहीं है. काशी से प्रकाशित श्री हृषिकेश पञ्चाङ्ग जहां 11 अगस्त गुरुवार कि रात्रि 08:25 के बाद रक्षाबंधन का निर्णय दे रहा है.

वही काशी से ही प्रकाशित महावीर पञ्चाङ्ग 11 अगस्त को रात्रि 08:25 से लेकर 12 अगस्त शुक्रवार की सुबह 07:16 तक रक्षाबंधन का मुहूर्त बता रहा है. उन्होंने बताया कि धर्मसिन्धु में लिखा है. अथ रक्षा बंधनमस्यामेव पूर्णिमायां भद्रा रहितायां त्रिमुहूर्ताधिकोदय व्यापिन्याम् अपराह्ने प्रदोषे वा कार्यम्. उदये त्रिमुहूर्त न्यूनत्वे पूर्वेद्यु: भद्रा रहिते प्रदोषादिकाले कार्यम् अर्थात श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को तीन मुहूर्त से अधिक व्याप्त तिथि में भद्रा से रहित अपराह्न या प्रदोष काल मे रक्षाबंधन करना चाहिए. यदि सूर्योदय काल से पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त से कम हो तो पूर्व दिन भद्रा रहित प्रदोषादिकाल में रक्षाबंधन करना चाहिए.

बहनों की रक्षा के लिये कसमें खाता है भाई

बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है. वही वो भगवान से ये मांगती है की उसका भाई हमेशा खुश रहे और स्वस्थ रहे. वही भाई भी अपने बहन को बदले में कोई तौफा प्रदान करता है और ये प्रतिज्ञा करता है की कोई भी विपत्ति आ जाये वो अपने बहन की रक्षा हमेशा करेगा. साथ में वो भी भगवान से अपने बहन ही लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना करता है. वही इस त्यौहार का पालन कोई भी कर सकता है. फिर चाहे वो सगे भाई बहन हो या न हो.

माता लक्ष्मी एवं राजा बलि की कथा

इस विषय बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं उनमें से एक है माता लक्ष्मी एवं राजा बलि की कथा. असुर सम्राट बलि एक बहुत ही बड़ा भक्त था भगवान विष्णु का. बलि की इतनी ज्यादा भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने बलि के राज्य की रक्षा स्वयं करनी शुरू कर दी. ऐसे में माता लक्ष्मी इस चीज़ से परेशान होने लगी. क्यूंकि विष्णु जी अब और वैकुंठ पर नहीं रहते थे.अब लक्ष्मी जी ने एक ब्राह्मण औरत का रूप लेकर बलि के महल में रहने लगी.

वही बाद में उन्होंने बलि के हाथों में राखी भी बांध दी और बदले में उनसे कुछ देने को कहा. अब बलि को ये नहीं पता था की वो औरत और कोई नहीं माता लक्ष्मी है. इसलिए उन्होंने उसे कुछ भी मांगने का अवसर दिया.इसपर माता ने बलि से विष्णु जी को उनके साथ वापस वैकुंठ लौट जाने का आग्रह किया. इसपर चूँकि बलि से पहले ही देने का वादा कर दिया था इसलिए उन्हें भगवान विष्णु को वापस लौटना पड़ा.

संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ

मो. 8080426594/9545290847

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