रामविलास पासवान के भाई या बेटा…किसके हाथ में रहेगी LJP की कमान? सांसद पशुपति पारस ने बताया

lok janshakti party latest news:दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के परिवार और पार्टी में छिड़ा राजनीतिक द्वंद्व अब नया मोड़ लेता हुआ दिख रहा है. संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद बुधवार को पशुपति पारस पटना पहुंचे पारस ने यहां मीडिया से बातचीत की. पारस ने कहा कि जो भी हुआ सब संवैधानिक है और जिनके पास बहुमत होगा, उनका पार्टी पर कब्जा रहेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 16, 2021 6:27 PM

दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के परिवार और पार्टी में छिड़ा राजनीतिक द्वंद्व अब नया मोड़ लेता हुआ दिख रहा है. संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद बुधवार को पशुपति पारस पटना पहुंचे पारस ने यहां मीडिया से बातचीत की. पारस ने कहा कि जो भी हुआ सब संवैधानिक है और जिनके पास बहुमत होगा, उनका पार्टी पर कब्जा रहेगा.

पटना आने के बाद पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने लोजपा दफ्तर पहुंचे. यहां पर उन्होंने कहा कि मुझे संसदीय दल का नेता लोकसभा अध्यक्ष ने घोषित किया है. यह पूछे जाने पर कि लोजपा अध्यक्ष कौन होगा? इसके जवाब में पारस ने कहा कि जिसके पास बहुमत होगी, उसे लोजपा की कमान मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि लोजपा में एक पद और एक पर्सन का फॉर्मूला लागू है.

इससे पहले दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिराग ने अपने चाचा समेत पांचों सांसदों को एक तरह से रणछोड़ करार दिया. उन्होंने कहा कि एक बात स्पष्ट थी कि पार्टी में कुछ लोग (पशुपति पारस समेत 5 सांसद) संघर्ष के रास्ते पर चलने को तैयार नहीं थे. वो चाहते थे कि वे सुरक्षित राजनीति करते रहें. मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि अगर बीजेपी+जेडीयू+एलजेपी मिलकर बिहार चुनाव में उतरती तो लोकसभा चुनाव की तरह एकतरफा परिणाम आते.

इधर, राजद के वरिष्ठ राजनेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि लोजपा की टहनियां छंट गयी हैं. पार्टी का जड़ और तना तो रामवलास पासवान के पुत्र चिराग हैं. अपने जीवन काल में ही रामविलास पासवान ने अपने सिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष का ताज उतार कर चिराग के सिर पर रख दिया था.

दरअसल उन्हें इस बात की आशंका थी कि भविष्य में पार्टी के नेतृत्व को लेकर विवाद पैदा हो सकता है. शायद इसको भांप कर ही भविष्य में नेतृत्व को लेकर पार्टी को कलह से बचाने के लिए, अपने सामने ही उन्होंने अपना उत्तराधिकार चिराग को सौंप दिया था. उनको यकीन था कि अपने राजनीतिक जीवन में समाज में जो अपना आधार उन्होंने बनाया है, वह चिराग के ही साथ रहेगा.

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Posted By : Avinish Kumar Mishra

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