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पटना के गांधी मैदान में जीवंत होगी रामलीला, दक्षिण भारतीय परिधान में दिखेगा रावण, जानिए कैसा होगा अशोक वाटिका

कालिदास रंगालय में रामलीला की तैयारी चल रही है. इसका मंचन बिहार आर्ट थियेटर के कलाकार करेंगे. इसमें भाग लेने वाले कलाकार कालिदास रंगालय में रामलीला के चरित्रों का पूर्वाभ्यास कर रहे हैं

राजधानी में दशहरा और रामलीला की तैयारी शुरू हो चुकी है. दशहरा कमेटी ने इस बार धूमधाम से ‘रावण वध’ कार्यक्रम करने का फैसला लिया है. विजयादशमी के मौके पर गांधी मैदान में रावण वध समारोह का आयोजन किया जायेगा. इस बार खास बात यह होगी कि रावण दक्षिण भारतीय परिधान में नजर आयेगा. वहीं कालिदास रंगालय में रामलीला की तैयारी चल रही है. इसका मंचन बिहार आर्ट थियेटर के कलाकार करेंगे. इसमें भाग लेने वाले कलाकार कालिदास रंगालय में रामलीला के चरित्रों का पूर्वाभ्यास करते नजर आये. रामलीला और रावण वध की तैयारियों पर पेश है सुबोध कुमार नंदन व जूही स्मिता की रिपोर्ट.

ऐतिहासिक गांधी मैदान में होने वाले रावण वध की तैयारी शुरू हो चुकी है. विजयादशमी के दिन 24 अक्तूबर को शाम चार बजे सोने की लंका धू-धू जल उठेगा. दुराचारी और दुष्ट लंकाधिपति रावण व उसके अहंकार का अंत हो जायेगा. रावण वध को लेकर पुतला बनने का काम शुरू हो चुका है. श्री रामलीला महोत्सव एवं रावण वध समारोह समिति ट्रस्टी अध्यक्ष कमल नोपानी ने बताया कि इस भव्य आयोजन की तैयारी दशहरा से लगभग 25 दिन पहले शुरू हो जाती है. रावण वध से संबंधित पुतला और पटाखे की जिम्मेवारी मोहम्मद अफसर और मोहम्मद अमर को दिया गया है, जो पिछले 20 साल से इस जिम्मेवारी को निभा रहे हैं.

रावण, मेघनाथ व कुंभकर्ण होंगे वाटरप्रूफ

कमल नोपानी ने बताया कि इस बार रावण की लंबाई 70 फुट, मेघनाथ 65 फुट और कुंभकर्ण 60 फुट ऊंचा होगा. ये सभी दक्षिण भारतीय परिधान में नजर आयेंगे. साथ ही पुतला का मुख दोनों ओर होगा. इस बार रावण के चेहरे पर क्रूरता और बार- बार मुंह खुलता और बंद होता दिखेगा. इस बार अशोक वाटिका दो मंजिला होगा. इसके द्वार पर दो दर्जन द्वारपाल तैनात होंगे. जहां तक आतिशबाजी का सवाल है, तो यह इको फ्रेंडली होगी. इस बार सभी पुतले वाटरप्रूफ होंगे.

नागा बाबा ठाकुरबाड़ी से निकलेगी शोभायात्रा

समिति के संरक्षक जगजीवन सिंह ने बताया कि इस भव्य आयोजन की तैयारी दशहरा से लगभग 25 दिन पहले शुरू हो जाती है. पूरे आयोजन में लगभग 15 लाख रुपये खर्च होता है. सरकार आयोजन स्थल की घेरा तथा प्रशासन की व्यवस्था करती है. कदमकुआं स्थित नागा बाबा ठाकुरबाड़ी से शोभायात्रा निकाली जाती है. इस बार भी ऐसा ही होगा. भगवान राम, लक्ष्मण, हनुमान, जायमंत, सुग्रीव तथा वानर सेना के साथ सज-धज कर शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए गांधी मैदान शाम चार बजे तक पहुंचेगी. इसके बाद रावण तथा कुंभकर्ण का वध राम करेंगे. तथा मेघनाथ का वध लक्ष्मण करेंगे.

बख्शी राम व मोहन लाल गांधी ने की थी कमेटी का गठन

समिति के वरीय सदस्य राज किशोर नारायण और टी आर गांधी ने बताया कि पहली बार वर्ष 1955 में रावण वध का आयोजन किया गया था. इसके लिए बख्शी राम गांधी, मोहन लाल गांधी ने मिलकर वर्ष 1954 में दशहरा कमेटी का गठन किया था. इसमें पीके कोचर, राधा कृष्ण मल्होत्रा, मिशन दास सचदेवा, टीआर मेहता और रामनाथ साहनी शामिल थे. पहली रावण वध को देखने के लिए गांधी मैदान में पटना और आसपास के लगभग दस हजार लोग इसके गवाह बने थे.

लाइव म्यूजिक के साथ दिखाया जायेगा राम जन्म से रावण वध तक

दशहरा का मतलब होता है रामलीला और रावण वध. गांधी मैदान स्थित कालिदास रंगालय में हर साल बिहार आर्ट थियेटर की ओर से रामायण का मंचन किया जाता है. साल 2021 से संस्था द्वारा यह मंचन किया जा रहा है. इसमें मुंबई और पटना के 80 कलाकार भाग ले रहे हैं. नाटक का निर्देशन संस्था के महासचिव कुमार अभिषेक रंजन ने किया है. कुमार अभिषेक ने बताया कि इस नाटक में दर्शकों के समक्ष भगवान राम के जन्म से लेकर रावण वध तक संपूर्ण ‘रामायण’ को प्रदर्शित किया जायेगा. इस बार लाइव म्यूजिक, लाइटिंग, सेट डिजाइन, कलाकारों के परिधान पर खास काम किया जा रहा है. रामलीला का मंचन ऑनलाइन भी स्ट्रीम किया जायेगा.

पहली बार सभी कलाकार धनबाद में भी देंगे प्रस्तुति

दशहरा के शुभ अवसर पर धनबाद में भव्य दशहरा महोत्सव का आयोजन न्यू टाउन हॉल में किया जा रहा है. इस महोत्सव में दर्शकों के लिए नाटक ‘रामायण’ का मंचन सबसे खास होगा. इसका मंचन बिहार आर्ट थियेटर, पटना की ओर से किया जा रहा है. जिसकी प्रस्तुति 21 अक्तूबर (महासप्तमी) को होगी. वहीं अगले साल इसका मंचन यूएस में होगा.

सभी कलाकार पिछले डेढ़ महीने से कर रहे प्रैक्टिस.

रामायण एक पौराणिक कथा है, जो लोगों की भावनाओं से जुड़ी है. ऐसे में इसके मंचन से पहले सभी कलाकार डेढ़ महीने पहले से प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं.डायलॉग डिलीवरी के साथ उनके हाव-भाव, चाल-ढाल सभी को काम किया जाता है. यह मंचन लगातार तीन से साढ़े तीन घंटे तक चलता है, ऐसे में कलाकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. सभी कलाकार रोजाना कालिदास रंगालय में शाम में प्रैक्टिस करते हैं.

 कौन हैं राम, सीता व रावण के किरदार

रामलीला हमारे जीवन की शैली को दर्शाता है. राम का चरित्र निभाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैं लगातार कोशिश में लगा हूं की उनके जीवन दशा को मैं अपने अंदर ले आऊं. 14 वर्ष के वनवास के बाद भी वह जिस तरीके से धैर्य रखते थे, यह सब मैं अपने अंदर लाने की कोशिश कर रहा हूं. मैं पिछले तीन साल से राम का चरित्र निभा रहा हूं.- राज पटेल, कलाकार

सीता के किरदार को समझने के लिए मैंने रामायण कई बार पढ़ी है. जितनी बार मैं इस किरदार को निभाती हूं, मैं रामायण पढ़ती हूं. इसका कारण है यह लोगों के सेंटीमेंट्स से जुड़ाव रखता है. ऐसे में अभिनय के दौरान कोई कमी ना रहे, इसका खास ख्याल रखती हूं. अभी रोजाना कालिदास में प्रैक्टिस चल रहा है. – उज्जवला गांगुली, कलाकार

रावण की खासियत उनकी आवाज है. मैं तीसरी बार रावण का किरदार निभाने जा रहा हूं. यह एक चुनौतीपूर्ण किरदार है, जिसमें गेटअप, आवाज, चाल-ढाल और डायलॉग डिलीवरी पर खासकर काम करना होता है. जितनी बार इस किरदार को निभाता हूं, हर बार कुछ नया करने को मिलता है. – राजीव पांडे, कलाकार

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