पिता ने अंग्रेजों का किया सामना, बेटा बापू पर जारी हुए 5000 डाक टिकटों का किया संग्रह, कीमत लाखों में…
Shaheed Diwas 2025: गांधी जी के अनुयायी रामनाथ रस्तोगी ने आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई तो उनके बेटे सुरेंद्र का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा. उन्होंने बापू पर जारी हुए करीब पांच हजार डाक टिकटों का संग्रह किया है. गांव में आए चिट्ठी से डाक टिकट को इक्कट्ठा करना शुरु किया था.
Shaheed Diwas 2025: देशभर में हर साल 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है. इस दिन को शहीद दिवस (Martyrs’ Day) के रूप में मनाते हैं. महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला और कई आंदोलनों का नेतृत्व किया. बापू ने जब भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया, तो कुदरा के वीर योद्धा रामनाथ रस्तोगी (Ramnath Rastogi) ने भी उनके साथ अंग्रेजों का सामना किया. वे देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने के लिए ब्रिटिश सरकार की लाठियों और गोलियों का सामना करते हुए भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वहीं, उनके बेटे सुरेंद्र रस्तोगी () बापू के डाक टिकटों का संग्रह करते हैं. वह कहते हैं कि बापू की इतनी दुर्लभ चीजों को उन्होंने संजोए रखा है कि यह संग्रहालय का रूप ले सकता है.
लाखों में है बापू पर जारी हुए टिकटों की कीमत
भारत में सबसे पहले हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में गांधी जी की तस्वीर के साथ छपे चार डाक टिकटों का संग्रह सुरेंद्र के पास है. इसके अलावा अन्य करीब 150 देशों के टिकटों को उन्होंने रखा. वे मूल रूप से कैमूर जिले के कुदरा के रहने वाले हैं. वह बताते हैं कि बापू की डेढ़ आना, बारह आना, साढ़े तीन आना और दस रुपये की चारों टिकटों की कीमत आज लाखों में है. लेकिन, ये सभी टिकटें उन्होंने अभी तक सुरक्षित रखी हैं. इसके अलावा, उनके पास करीब 5000 डाक टिकट, 1000 सिक्के और 500 के करीब नोट भी संग्रहित हैं.
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डाक टिकटों के संग्रह के लिए हो चुके हैं सम्मानित
सुरेंद्र रस्तोगी कहते हैं कि वे 1968 से डाक टिकटों का संग्रहण कर रहे हैं. गांव में जब भी किसी के यहां चिठ्ठी आती थी, तो वह डाक टिकट मांग कर रख लिया करते थे. इस कार्य के लिए पटना डाक विभाग ने उन्हें 2018 में ब्रांड एंबेसडर बनाकर सम्मानित किया. इसके अलावा, उन्हें तीन राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी मिल चुके हैं. उनके संग्रह में बापू की तस्वीर वाले मोबाइल कवर, पेन, इयर रिंग, डाक टिकट, पोस्ट कार्ड, दक्षिण अफ्रीका द्वारा जारी पहला टिकट, विश्व में पहली बार खादी से निर्मित डाक टिकट, एटीएम कार्ड, रेल टिकट, नोट और सिक्के भी शामिल हैं.
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समाज की सेवा के लिए देते हैं संदेश
फिलाटेलिस्ट सुरेंद्र रस्तोगी और उनकी पत्नी अनुराधा कृष्ण रस्तोगी बापू और कस्तूरबा गांधी के प्रतिरूप बन समाज की सेवा का संदेश देते हैं. गांधी के रूप में सुरेंद्र एक पतली धोती पहनकर भारतीयता और भाईचारे को बढ़ावा देते हैं. साथ ही, सद्भाव और खुशहाली की अपील करते हैं. दोनों ने 2002 में सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी के वेष में पैदल यात्रा की थी. इस दौरान, दोनों ने गीत गाकर और नुक्कड़-नाटक के माध्यम से लोगों को सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. सुरेंद्र रस्तोगी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं.