Ramvriksh Benipuri: 8 साल जेल में रहकर किया साहित्य सृजन, आजादी आंदोलन के थे सच्चे सिपाही
Ramvriksh Benipuri: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने बेनीपुरी के बारे में कहा था कि रामवृक्ष बेनीपुरी केवल साहित्यकार नहीं थे, उनके भीतर केवल वही आग नहीं थी, जो कलम से निकलकर साहित्य बन जाती है.
Ramvriksh Benipuri Birth Anniversary: कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी ने न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि देश की आजादी में भी देश के सिपाही की तरह अपनी भूमिका का निर्वहन किया. वे साहस और उमंग की प्रतिमूर्ति, संघर्षशील, ग्राम्य लोकजीवन के मसीहा थे. इनका जन्म 23 दिसंबर, 1902 में मुजफ्फरपुर के बेनीपुर ग्राम में हुआ था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा बेनीपुर में हुई. मैट्रिक की पढ़ाई के दौरान ही 1920 में गांधीजी के नेतृत्व में चल रहे असहयोग आदोलन में कूद पड़े. इस कारण उनके विद्यालय की शिक्षा प्राप्ति का क्रम टूट गया. वे स्वतंत्र रूप से स्वाध्ययन करने लगे. नौ बार जेल जाने के कारण वे लगभग 8 साल जेल में रहे. जब भी वे जेल से बाहर आते तो उनके हाथ में दो-चार ग्रंथों की पाण्डुलिपियां अवश्य होती थीं.
बेनीपुरी के प्रशंसक थे राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने बेनीपुरी के बारे में कहा था कि रामवृक्ष बेनीपुरी केवल साहित्यकार नहीं थे, उनके भीतर केवल वही आग नहीं थी, जो कलम से निकलकर साहित्य बन जाती है. वे उस आग के भी धनी थे, जो राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को जन्म देती है, जो परंपराओं को तोड़ती है और मूल्यों पर प्रहार करती है. जो चिंतन को निर्भीक एवं कर्म को तेज बनाती है. बेनीपुरी जी के भीतर बेचैन कवि, बेचैन चिंतक, बेचैन क्रांतिकारी और निर्भीक योद्धा सभी एक साथ निवास करते थे. पत्रकार और साहित्यकार के रूप में बेनीपुरी ने विशेष ख्याति अर्जित की थी. उन्होंने विभिन्न समयों पर एक दर्जन पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया. उन्होंने इस कथन को गलत सिद्ध कर दिया कि एक अच्छा पत्रकार एक अच्छा साहित्यकार नहीं हो सकता. उन्होंने तरुण भारत, किसान मित्र, गोलमाल, बालक, युवक, कैदी, लोकसंग्रह, कर्ममीर, योगी, जनता, तूफान, हिमालय, जनवाणी, चुन्नू-मुन्नू तथा नयी धरा आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया.
1959 में बनायी थी बागमती कॉलेज खोलने की योजना
बेनीपुरी डायरी के प्रसंग के अनुसार रामवृक्ष बेनीपुरी ने 1959 में औराई के जनाढ़ में बागमती कॉलेज खोलने की योजना बनायी. इसके लिए उन्होंने राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को उद्घाटन के लिए बुलाया. डॉ राजेंद्र प्रसाद ने हामी भर दी, लेकिन राजनीतिक दांव-पेच उनके आने पर संशय हो गया. इसी बीच रामवृक्ष बेनीपुरी को लकवा मार दिया. डॉ राजेंद प्रसाद को बिहार सरकार की ओर से खबर मिली कि बेनीपुरी बीमार हो गये हैं, कॉलेज का उद्घाटन नहीं होगा. डॉ राजेंद्र प्रसाद को जब जानकारी मिली कि बेनीपुरी बीमार हैं तो कहा कि हम वहां जरूर जायेंगे और तीन दिसंबर, 1959 को जनाढ़ पहुंच कर कॉलेज का उद्धाटन किया. उस वक्त बेनीपुरी को खटिया पर लिटाकर वहां लाया गया था.
पृथ्वीराज कपूर ने दिया था 15 हजार नेग
बात 1956 की है. रामवृक्ष बेनीपुरी अपनी बेटी प्रभा बेनीपुरी की शादी का कार्ड देने नाटय सम्राट पृथ्वीराज कपूर के घर मुंबई गये थे. उसी दिन राज कपूर की फिल्म ‘चोरी-चोरी’ का प्रीमियर हुआ था. राजकपूर की आदत थी कि वे अपनी फिल्म के पहले शो की कमाई अपने पिता पृथ्वीराज कपूर को सौंपते थे. उस वक्त उनके पास उस जमाने में करीब 15 हजार रुपये थे, जिसे पृथ्वीराज कपूर ने बेटी के नेग के तौर पर रामवृक्ष बेनीपुरी को सौंप दिया था. उनके नाती राजीव रंजन कहते हैं कि मां ने यह किस्सा सुनाया था. मां ने बताया था कि उनकी शादी के लिए रिश्ता जेपी ने ही तय कराया था.