आरटीपीसीआर से भरोसेमंद है रैपिड एंटीजन, RT-PCR पहले सप्ताह में महज 65 प्रतिशत कारगर

रैपिड एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट आरटीपीसीआर से अधिक भरोसेमंद हैं. आरटीपीसीआर संक्रमण के पहले सप्ताह में 65 फीसदी, दूसरे सप्ताह में 54 फीसदी और तीसरे सप्ताह में केवल 45 फीसदी ही कोरोना संक्रमण का पता कर पाता है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 14, 2021 7:51 AM

पटना. रैपिड एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट आरटीपीसीआर से अधिक भरोसेमंद हैं. आरटीपीसीआर संक्रमण के पहले सप्ताह में 65 फीसदी, दूसरे सप्ताह में 54 फीसदी और तीसरे सप्ताह में केवल 45 फीसदी ही कोरोना संक्रमण का पता कर पाता है. इसकी वजह स्वैप के संक्रमण के बढ़ने के साथ ही गले से नीचे चले जाना है. खाना खाने आदि के दौरान भी यह नीचे पेट में चला जाता है जिसके कारण सैंपल कलेक्शन में नहीं आ पाता है.

एंटीबॉडी टेस्ट पहले पांच सात दिनों में तो कोरोना संक्रमण का पता नहीं कर पाता क्योंकि उतना समय शरीर में एंटीबॉडी बनने में ही लग जाता है लेकिन उसके बाद के सप्ताह में इससे संक्रमित व्यक्ति का शर्तिया पता चल जाता है क्योंकि यह 90 से 100 फीसदी तक कारगर है. इस जांच के लिए महज एक बूंद खून लेने की जरुरत पड़ती है और पांच-सात मिनट में ही रिजल्ट आ जाता है.

डबल और ट्रिपल म्यूटेंट से आरटीपीसीआर की इफैक्टिविटी घटी

कोरोना जांच के लिए पीसीआर किट में कोरोना के दो जीन लिये जाते हैं. लेकिन भारत के डबल और ट्रिपल म्यूटेंट का रुप अधिक म्यूटेशन होने से इतना अधिक बदल गया है कि वे इससे पहले की तरह आसानी से मैच नहीं हो पाते और आरटीपीसीआर की इफेक्टिविटी घट गई है.

पिछले दिनों दर्जनों ऐसे केस देखें गये हैं जिसमें आरटीपीसीआर निगेटिव और एंटीजन पॉजिटिव रिपोर्ट आया है. और अधिक नये वेरिएंट आने पर उनके लिए नये जीन वाले नये पीसीआर किट की जरूरत पड़ेगी.

पहले सप्ताह में रैपिड एंटीजन बेहतर

पहले सप्ताह में कोरोना मरीजों में संक्रमण का पता करने के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट बेहतर है. कोरोना ठीक होने की जांच करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट को बढ़ा कर कुल टेस्टिंग का 80-9्र0 फीसदी तक करना चाहिए ताकि कोरोना का जल्द पता चल सके और इलाज शुरू हो सके.

Posted by Ashish Jha

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