बिहार में 1000 करोड़ मूल्य के गुलाबी नोट आज भी चलन में, जानिए क्यों नहीं दिखते 2000 के नोट…
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की घोषणा कर दी गयी है. वहीं बिहार-झारखंड में 2000 के कितने मूल्य के नोट प्रचलन में हैं ये जानकारी हम आपको दे रहे हैं. रिजर्व बैंक के सूत्रों ने बताया है कि कितने ऐसे गुलाबी नोट प्रचलन में हैं.
2000 Note News: भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की घोषणा के बाद इस नोट को लेकर तरह-तरह की बातें होने लगी है. बिहार-झारखंड में 2000 के कितने मूल्य के नोट प्रचलन में हैं? नोटबंदी के बाद आरबीआइ के बिहार-झारखंड क्षेत्रीय कार्यालय को चलन में लाने के लिए करीब 90,000 करोड़ मूल्य के 2000 के नोट 45 करोड़ की संख्या में मिले थे.लेकिन इन नोटों का चलन धीरे- धीरे कम होता गया.
रिजर्व बैंक के सूत्रों ने बताया..
रिजर्व बैंक के सूत्रों का कहना है कि अभी बिहार में करीब 1000 करोड़ मूल्य के और झारखंड में 500 करोड़ के 2000 के नोट चलन में हैं. अभी 2000 के नोट न तो बैंकों के कैश काउंटर्स पर जमा हो रहे, न दुकानदारों के पास पहुंच रहे, न एटीएम से निकल रहे. एक तरह से कहें तो यह नोट चलन से बाहर भी नहीं हुए हैं. बस, इतना है कि 2019 के बाद आरबीआइ ने इन्हें छापना बंद कर दिया है.
बोले एक्सपर्ट
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव डीएन त्रिवेदी ने बताया कि रिजर्व बैंक की तरफ से बैंकों को यह निर्देश दिया गया है कि यदि 2000 के नोट ग्राहक जमा करें तो उसे दूसरे ग्राहक को नहीं दें, बल्कि रिजर्व बैंक को वापस कर दें. यह प्रक्रिया पिछले दो-तीन सालों से चल रही है.
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भाजपा का तर्क
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह नोटबंदी नहीं, बल्कि नोटबदली है. यह काले धन पर दूसरा सर्जिकल स्ट्राइक है. 2000 के नोट की छपाई 2018 से ही बंद थी तथा बाजार में कहीं प्रचलन में नहीं था. हां, इसका इस्तेमाल टेरर फंडिंग तथा काला धन के रूप में अवश्य हो रहा था. यदि अमेरिका सहित दुनिया की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्था में 100 डालर से बड़ी मुद्रा नहीं है तो फिर भारत में इसकी क्या आवश्यकता है? इस निर्णय से सामान्य आदमी को कोई परेशानी नहीं होगी तथा देश की अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी.
राजद की राय
राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि रिजर्व बैंक के इस फैसले ने यह साबित करदिया है कि सरकार द्वारा नोटबंदी का फैसला पूर्ण रूप से अदूरदर्शी और जनविरोधी था. इस फैसले से बड़ी संख्या में लोगों को परेशान होने के साथ-साथ लाठियां खानी पड़ी थी. नोटबंदी के जिन उद्देश्यों को प्रचारित किया गया वह भी पूरा नहीं हुआ. न काला धन पकड़ में आया और न आतंकवादियों एवं उग्रवादियों के फंडिंग पररोक लगी. बड़ा सवाल है कि 2000 रुपए के नोट कहां गायब हो गया. राजद प्रवक्ता ने शंका व्यक्त करते हुए कहा है कि संभव है कि रिजर्व बैंक के इस फैसले के पीछे बड़े पैमाने पर दाब कररखे गए ब्लैक मनी को व्हाइट करने की मंशा छुपी हो.