आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने से बिगड़ी बात, संपत्ति के नोटिस ने जदयू से खत्म किये रिश्ते

कभी जनता दल (यूनाइटेड) में नीतीश कुमार के बाद सेकंड मैन कहे जाने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह यानि आरसीपी का जदयू से रिश्ता एक दिन में खत्म नहीं हुआ. जुलाई, 2021 में केंद्रीय मंत्री बनने के बाद पहली बार पार्टी के अंदर से उनके लिए विरोध के स्वर उभरे.

By Prabhat Khabar News Desk | August 7, 2022 6:55 AM

पटना. कभी जनता दल (यूनाइटेड) में नीतीश कुमार के बाद सेकंड मैन कहे जाने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह यानि आरसीपी का जदयू से रिश्ता एक दिन में खत्म नहीं हुआ. जुलाई, 2021 में केंद्रीय मंत्री बनने के बाद पहली बार पार्टी के अंदर से उनके लिए विरोध के स्वर उभरे. यूपी चुनाव में कमान संभालने के बावजूद भाजपा से गठबंधन नहीं होना और पार्टी के खराब प्रदर्शन ने इस विरोध को आवाज दी.

अब पार्टी के अंदर उनकी हैसियत पहले जैसी नहीं रही

इसके बाद कार्यकाल खत्म होने के बाद उनको फिर से राज्यसभा नहीं भेजा जाना और उसके चलते उनकी केंद्रीय मंत्री पद से विदाई ने यह साफ कर दिया कि अब पार्टी के अंदर उनकी हैसियत पहले जैसी नहीं रही. उनकी विदाई का अंतिम प्लॉट तब तैयार हुआ, जब जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने चार अगस्त को एक कार्यकर्ता की शिकायत पर उनको नोटिस कर नालंदा जिले में अर्जित की गयी संपत्ति का ब्योरा मांगा. इससे नाराज आरसीपी सिंह ने छह अगस्त यानि शनिवार को सार्वजनिक रूप से प्रेस कांफ्रेंस कर इस्तीफे की घोषणा कर दी.

यूपी चुनाव में नहीं करा सके गठबंधन

जदयू का शीर्ष नेतृत्व चाहता था कि यूपी में भाजपा जदयू के साथ चुनाव लड़े. बातचीत के लिए आरसीपी सिंह को अधिकृत किया गया. मगर भाजपा ने जदयू को भाव नहीं दिया और पार्टी को अकेले ही 51 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करना पड़ा. इस वजह से जदयू को सभी सीटों पर हार मिली.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में नहीं दिलवा पाये समानुपातिक भागीदारी

केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में जदयू पार्टी के लिए दो कैबिनेट और दो राज्यमंत्री का पद चाहती थी. बातचीत के लिए आरसीपी सिंह को आगे किया गया. लेकिन, वह एक कैबिनेट मंत्री पद पर मान गये और खुद केंद्र में इस्पात मंत्री बन गये और यह प्रचारित किया कि नीतीश कुमार की सहमति मिलने के बाद ही केंद्रीय मंत्री का पद स्वीकार किया हैं.

पहले विकास पुरुष कहते थे, अब बदला बोल

02 नवंबर 2021: सीएम नीतीश कुमार की पहचान विकास से है और वे बिहार के लिए विकास पुरुष है. उनके 16 साल के कार्यकाल में बिहार में विकास की गंगा बही है और इससे सभी समाज के लोग लाभान्वित हुए है.

15 दिसंब 2021: हमारे नेता नीतीश बाबू के नेतृत्व में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य, बिहार को विकसित प्रदेश बनाने के उनके संकल्प को पूर्ण करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं.

11 सितंबर 2021: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विजन और सोच तथा लगातार मेहनत कीवजह से पूरे राज्य की व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव हुए हैं.

04 जुलाई,2021: सीएम नीतीश कुमार जदयू के सर्वमान्य नेता हैं.

08 अप्रैल2022: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निरंतर बिहार की सेवा की है. उनके ऊपर कोई भी परिवारवाद का आरोप नहीं लगा सकता जबकि बाकी लोग परिवारवाद के चक्र में फंसे हुए हैं.

07 मार्च 2022 : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला, दलित, अतिपिछड़ा, छात्र, युवा सभी समुदाय के उत्थान के लिए काम किया, जिसका नतीजा है विहार को हर तबता अपने को खुशहाल महसूस कर रहा है.

जदयू में रहते भाजपा से नजदीकी बढ़ी

नीतीश कुमार के रेल मंत्री बनने से लेकर मुख्यमंत्री तक पिछले 26 वर्षों में आरसीपी सिंह हमेशा उनके साथ रहे. लेकिन केंद्रीय मंत्री बनने के बाद आरसीपी के सुर बदल गये. भाजपा को लेकर उनके अंदर सॉफ्ट कॉर्नर दिखने लगा. उन्होंने भाजपा सरकारों के साथ ही केंद्रीय योजनाओं का भी गुणगान किया जो जदयू के शीर्ष नेताओं को रास नहीं आया.

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