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बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की हकिकत आई सामने, छात्र हुए मायूस

पिछले छह वर्षों से बीआरए बिहार विवि के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में ना विधार्थी आ रहे हैं और ना हि किसी का दाखिला हो रहा है ,2016 सत्र में आखिर बार बीएड में नामांकन हुआ था. विभाग में किसी का नामांकन ना होने कि वजह से आमदनी भी शुन्य है. लेकिन विवि के कर्मचारी और पदाधिकारीयों को वेतन मिल रहा है.

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के दुरस्थ शिक्षा निदेशालय की हकिकत यह है कि पिछले छह वर्षों से ना विद्यार्थी आ रहे हैं और ना ही किसी का दाखिला हो रहा है. इसके बावजूद यहां हर महीने कर्मचारियों और पदाधिकारीयों पर लाखों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है. छह वर्षों में अबतक यहां 3.31 करोड़ वेतन के नाम पर खर्च किया गया है. वहीं विभाग में किसी का नामांकन ना होने कि वजह से आमदनी भी शून्य है. 2016 सत्र में आखिरी बार बीएड में नामांकन हुआ था.

फीस जमा करने के बाद भी हजारों विद्यार्थी लगा रहे विभाग के चक्कर

इस कोर्स का संचालन करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने आज्ञा नहीं दी थी. ऐसे में बीएड स्नातक पीजी समेत कई कोर्स बंद हो गये थे. बीएड कोर्स का मामला हाई कोर्ट में जाने के बाद ,कोर्ट के निर्देश पर परिक्षा लिया गया. लेकिन आज भी फीस जमा करने के बाद भी स्नातक, पीजी, एमफिल समेत अन्य कोर्स के हजारों विद्यार्थी विभाग के चक्कर लगा रहें हैं.

डिग्री और डिप्लोमा कोर्स किए जायेंगे शुरू

नई शिक्षा नीति में ग्रेड बी मिलने पर दुरस्थ शिक्षा निदेशालय का संचालन नहीं करना है. सिर्फ ग्रेड ए प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालय में ही दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की स्थापना की जानी है. कुल सचिव ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा निदेशालय को मान्यता दिलाने को लेकर राजभ‍वन को कई बार पत्र भेजा जा चुका. आदेश मिलने पर डिग्री और डिप्लोमा कोर्स शुरू किए जायेंगे.

छात्रों की रुकी परीक्षाएं

कालेजों में एडमिशन से वंचित छात्रों के लिए निदेशालय खुला. दुख की बात यह है कि पदाधिकारियों की गलती का खामियाजा छात्रों को अपना भविष्य दाव पर लगा कर चुकाना पड़ रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिना मान्यता के नामांकन लेने के कारण तकरीबन 10 हजार से अधिक छात्रों की एक दशक से परीक्षाएं रुकी हुई हैं.

छात्रों का भविष्य दाव पर

विश्वविद्यालय प्रशासन हो या निदेशालय के पदाधिकारी, किसी को भी इन छात्रों के भविष्य की चिंता नहीं है. लेकिन, कर्मचारयों और पदाधिकारीयों के वेतन पे लगातार खर्च हो रहें हैं. जब से नामांकन रुका है, उस समय से देखें तो अब तक करोड़ों रुपए विवि खर्च कर चुका है. पिछले दिनों भवन निर्माण व पाठ्य सामग्री के मद में ढाई करोड़ का खर्च हुआ, जिसे लेकर तत्कालीन निदेशक डॉ़ ओपी राय की आपत्ति और विवि को दिए पत्र के बाद विवाद गहराया हुआ है.

नियम और निर्देशों का बनाया मजाक

छात्रों ने काहा कि विवि भी बिना मान्यता नामांकन लेगा ऐसी उम्मीद नहीं थी. बिना मान्यता के लगातार नामांकन लेने के बाद राजभवन ने 2016 में आगे दाखिला लेने पर रोक लगा दी थी. छात्रों ने परीक्षा के लिए आंदोलन किया. लकिन नियम और निर्देशों का पालन ना करते हुए निदेशालय ने एमफिल कोर्स में नामांकन लिया था. छात्र 25 हजार देकर अब भी परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं. एमफिल रेगुलर कोर्स में ही चल सकता है.

इन कोर्स के छात्रों की रुकी हैं परीक्षाएं

  • बीलिस 2012-13 से 2016-17

  • एमसीए 2013-2016 से 2016-19

  • बीए, बीएससी, बीकॉम 2012-15 से 2016-19

  • एमए 2013-15 से 2016-18

  • बीए ऑनर्स 2011-14 से 2016-19

  • बीएससी आईटी 2013-16 से 2016-19

  • एमबीए 2013-15 से 2016-18

  • बीसीए 2013-16 से 2016-19

  • एमकॉम 2011-13 से 2016-18

  • बीबीए 2012-15 से 2016-19

  • बीए इन एजुकेशन 2013-17 से 2016-20

  • एमएससी आईटी ओल्ड 2013-15 से 2016-18

  • बीकॉम ऑनर्स 2012-15 से 2016-19

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