राजदेव पांडेय, पटना. बिहार में इस बार रिकार्ड धान उत्पादन के चलते प्रदेश में राइस मिलों के पंजीयन का आंकड़ा पिछले एक दशक का सर्वाधिक पहुंच गया है.
खाद्य विभाग के जरिये इस बार 1510 राइस मिलें अब तक पंजीयन करा चुकी हैं. पिछले साल केवल 1200 मिलें पंजीकृत हुई थीं.
दरअसल कृषि विभाग का दावा है कि इस साल 115 लाख टन धान उत्पादन हुआ है. पिछले साल की तुलना में इस साल धान खरीद करीब 25 लाख टन है. अगर सभी कुछ ठीक रहा तो इस साल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि की भागीदारी बढ़ने जा रही है.
लिहाजा राइस मिल संचालकों में खासा उत्साह है. 45 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य रखने के बाद अभी तक समर्थन मूल्य पर 5.50 लाख टन धान खरीद हो चुकी है.
कई राइस मिलों ने मिलिंग प्रारंभ भी कर दी है. रणनीति यह भी है कि धान की मिलिंग पूरी तरह बिहार में ही हो.
धान खरीद के लिए बनायी गयी आक्रामक पॉलिसी के तहत धान बेचने के इच्छुक किसानों से जल्दी -से -जल्दी धान खरीदने की रणनीति है, ताकि बाद में उसका बिचौलियों एवं अन्य के जरिये की जानी वाली खरीदी का शिकार किसान न हो.
खाद्य विभाग की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मंगलवार से पूरे प्रदेश में किसान सलाहकारों को जिम्मेदारी दी गयी है कि किसानों से पूछें कि उन्हें धान कहां और कब खरीदना है.
धान खरीद के लिए ऐसा पहली बार है कि किसान धान कब बेचेगा? इसकी तारीख वह खुद तय कर रहा है. अब तक पूरे प्रदेश में 3.5 लाख किसान धान खरीद के लिए पंजीयन करा चुके हैं.
यह संख्या अभी बढ़ सकती है. हालांकि, कृषि विभाग का दावा है कि पूरे प्रदेश में इस साल 1.63 करोड़ किसानों ने धान रोपा था.
हालांकि, मंडी में बेचने योग्य किसानों की संख्या कुछ लाख ही तक सिमटी रही है. इस बार धान खरीद के लिए राज्य सरकार अपनी स्टोरेज क्षमता भी बढ़ाने जा रही है.
30 लाख टन से अधिक की खरीद क्षमता बढ़ाने के लिए वह प्राइवेट गोदाम भी हायर करने जा रहा है. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अब तक की सर्वाधिक धान खरीद 2014-15 में 24 लाख टन हुई थी.
Posted by Ashish Jha