बिहार में सिविल के मुकाबले क्रिमिनल केसों की संख्या में आयी कमी, पर कोर्ट में अब भी 35 लाख मुकदमे लंबित

बिहार की निचली अदालतों में लगभग 35 लाख मुकदमे लंबित हैं. दिलचस्प यह है कि पिछले एक साल की अवधि में सिविल की तुलना में क्रिमिनल केसों की संख्या में कमी आयी है. क्रिमिनल के मुकदमे एक साल में सिविल की तुलना में कम दर्ज हुई है.

By Ashish Jha | August 18, 2023 6:00 AM

रिपोर्ट: कैलाशपति मिश्र

पटना. बिहार की निचली अदालतों में लगभग 35 लाख मुकदमे लंबित हैं. इसमें सिविल के 5.24 लाख और क्रिमिनल के 29.76 लाख मुकदमें हैं. पिछले एक साल में मुकदमों की संख्या करीब 35 हजार बढ़ी है. दिलचस्प यह है कि पिछले एक साल की अवधि में सिविल की तुलना में क्रिमिनल केसों की संख्या में कमी आयी है. क्रिमिनल के मुकदमे एक साल में सिविल की तुलना में कम दर्ज हुई है.

एक साल में क्रिमिनल मुकदमों की संख्या में 12833 की बढ़ोतरी

जुलाई 2022 में सिविल मुकदमों की संख्या 50,21,86 थी, जो जुलाई 2023 में बढ़कर 52,45,03 हो गयी. एक साल की अवधि में यह 22317 बढ़ी. जबकि इस अवधि में क्रिमिनल केसों की संख्या 2963592 से बढ़कर 2976426 हो गयी. पिछले एक साल में क्रिमिनल मुकदमों की संख्या में 12833 की बढ़ोतरी हुई है.

एक अधिकारी के जिम्मे करीब 2252 मुकदमे

वर्तमान में न्यायिक सेवा के अधिकारियों की कुल 1554 अभी हैं. इस तरह से देखे तो एक न्यायिक सेवा के अधिकारी के जिम्मे करीब 2252 मुकदमें पड़ते हैं. इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अदालतों से मुकदमों का बोझ अगले कुछ दशकों तक कम नहीं होने वाला है.

बिहार की तुलना में पड़ोसी राज्यों में अधिक बढ़े क्रिमिनल मुकदमे

बिहार की तुलना में पड़ोसी राज्यों में क्रिमिनल मुकदमों की संख्या अधिक बढ़ी है. झारखंड में जुलाई 2022 क्रिमिनल मुकदमों की संख्या 324347 थी, जो जुलाई 2023 में बढ़कर 435967 हो गयी. इस अवधि में क्रिमिनल मुकदमों की संख्या में 111620 बढ़ी है. वहीं, उत्तर प्रदेश में इस अवधि में क्रिमिनल केसों की संख्या में 10.90 लाख और पश्चिम बंगाल 1.83 लाख बढ़ी है. इसके ठीक विपरीत इन राज्यों में सिविल मुकदमों की संख्या कम हुई और बिहार में बढ़ी है.

सिविल और क्रिमिनल मुकदमे

राज्य सिविल क्रिमिनल कुल

  • बिहार 524503 2976246 3500929

  • झारखंड 88800 435979 524767

  • उत्तर प्रदेश 1866208 9743124 11609332

  • पश्चिमी बंगाल 622950 2280565 2903515

हाईकोर्ट में दो लाख से अधिक मामले लंबित

पटना हाइ कोर्ट में दो लाख 13 हजार 439 मुकदमों की सुनवाई बाकी है. इनमें एक लाख 2186 क्रिमिनल केस हैं. वहीं, एक लाख 11 हजार 253 सिविल मामले सुनवाई के लिए रजिस्टर्ड हैं. हाइकोर्ट में 2814 मामले ऐसे हैं जो 30 साल से अधिक समय से लंबित हैं. 20 से 30 साल तक लंबित मुकदमों की संख्या 5293 है.10 से 20 सालों से लंबित मामले 24,889 हैं. पांच से 10 साल से लंबित 47,675 और तीन से पांच साल तक लंबित मुकदमों की संख्या 47028 है. वहीं एक साल के भीतर दायर मामलों की संख्या 60207 है. इनमें अकेले रिट की संख्या 73186 है. वरिष्ठ नागरिकों द्वारा दायर किये गये मामलों की संख्या 26311 है, जबकि महिलाओं द्वारा 16030 याचिकाएं दायर की गयी हैं.

हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 53

पटना हाइकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 53 है, जबकि मात्र 32 जज ही अभी कार्यरत हैं. अब भी जजों के 21 पद खाली हैं. जिला अदालतों में मुकदमों की भीड़ अधिक है. नेशनल जूडिशयल डाटा ग्रिड के ताजा आंकड़े बताते हैं कि बिहार की अदालतों में 35 लाख के करीब मुकदमे लंबित हैं. बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित 31 वीं न्यायिक सेवा के अधिकारियों की हुई नियुक्ति जोड़ने के बाद भी कुल जजों की संख्या मात्र 1554 ही पहुंच पायी है. ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अदालतों पर बढ़ रहे मुकदमों का बोझ अगले कुछ दशकों तक कम नहीं होने वाला. देश की बात करें तो अदालतों में चार करोड़ से अधिक मुकदमे लंबित हैं.

पटना हाइकोर्ट में जजों के 21 पद खाली

पटना उच्च न्यायालय में हाल ही में जजों की संख्या बढ़ायी गयी है. इसके बावजूद 21 पद अब भी खाली हैं. इन पदों पर नियुक्ति हो जाए तो कुछ हद तक केस की सुनवाई और डिस्पोजल की संख्या बढ़ सकेगी. अभी आलम यह है कि पिछले कई माह पहले अग्रिम जमानत के दायर मामले की सुनवाई के लिए बन रही सूची तक भी नहीं पहुंच पा रही है. हालांकि, सरकार और कोर्ट प्रशासन की ओर से जूडिशियल अधिकारियों व सपोर्टिंग स्टाफ की बड़े पैमाने पर भर्ती प्रक्रिया आरंभ की गयी है. बावजूद मुकदमों की लंबित संख्या को देखते हुए यह काफी नहीं है.

सीएम नीतीश कुमार ने किया था दावा

दिल्ली से पटना लौटने पर गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में अपराधिक मामले कम हो रहे हैं. मुख्यमंत्री ने यह दावा उस वक्त किया जब पत्रकारों ने उनसे हालिया कुछ घटनाओं पर भाजपा की ओर दिये गये बयान पर प्रतिक्रिया चाही. उन्होंने कहा कि देखिये, कहां आपराधिक घटना घट रही है. कितना कम है अपराध बिहार में. जरा फीगर देख लीजिये. बहुत कम है अपराध. कोई बिना मतलब का बोलता रहता है. क्योंकि मीडिया में वही चलता है जो वो लोग (भाजपा वाले) बोलता है.

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