गलवान में शहीद हुए जवान के स्मारक को लेकर वैशाली में बवाल, पिता गिरफ्तार, परिजन कर रहे न्याय की गुहार
शहीद जवान के पिता अब जेल में बंद हैं. परिवार के सदस्यों का आरोप है कि वैशाली के जंदाहा में सरकारी जमीन पर अपने बेटे के लिए एक स्मारक बनाने के लिए शहीद जवान के पिता की पिटाई की गई और बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
हाजीपुर. बिहार के वैशाली जिले के राज कपूर सिंह ने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में अपने चार बेटों में से एक जय किशोर सिंह को खो दिया था. शहीद जवान के पिता अब जेल में बंद हैं. परिवार के सदस्यों का आरोप है कि वैशाली के जंदाहा में सरकारी जमीन पर अपने बेटे के लिए एक स्मारक बनाने के लिए शहीद जवान के पिता की पिटाई की गई और बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
15 दिनों में मूर्ति हटाने का था निर्देश
शहीद जय किशोर सिंह के भाई का कहना है कि डीएसपी मैम ने दौरा किया था और हमें 15 दिनों के भीतर मूर्ति हटाने के लिए कहा था. बाद में थाना प्रभारी हमारे घर आए और मेरे पिता को गिरफ्तार कर लिया और मारपीट भी की. मैं भी एक सशस्त्र बल का जवान हूं. एसडीपीओ महुआ ने कहा कि 23 जनवरी को हरिनाथ राम की जमीन और जंदाहा में सरकारी जमीन पर मूर्ति लगाने को लेकर एससी /एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. बाद में, प्रतिमा के चारों ओर दीवारें बनाई गईं. इस अतिक्रमण से भूस्वामियों के अधिकारों का हनन हो रहा है.
पुलिस ने आरोपों को किया खारिज
जय किशोर सिंह के परिजनों ने आरोप लगाया कि बिहार पुलिस ने दिवंगत सैनिक के पिता को उनके घर से खींचते हुए उन्हें गालियां दीं. हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है. कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जनदहा पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.
Bihar | DSP ma'am had visited and told us to remove the statue within 15 days. Later police station in charge came to our home and arrested my father and also beat him. I am also an armed forces personnel: Brother of Jai Kishore Singh pic.twitter.com/VQN0Rgx7sy
— ANI (@ANI) February 28, 2023
दो साल से चल रहा है जमीन विवाद
बता दें कि शिकायतकर्ता हरिनाथ राम और राजकपूर सिंह के बीच दो साल से जमीन विवाद चल रहा है. वहीं, लोगों का आरोप है कि बिहार सरकार की जमीन में प्रस्तावित शहीद सैनिक का स्मारक बनने से रोकने के लिए अनुसूचित जाति के हरिनाथ राम ने एससी एसटी एक्ट के तहत झूठा मुकदमा दर्ज कराया था.