बिहार में ओवरलोड बसों का निबंधन होगा अब रद्द, परिवहन विभाग ने स्कूलों को भी भेजा सख्त निर्देश
बैठक में जिलों से मिली रिपोर्ट में पाया गया है कि यात्री बसों में ओवरलोडिंग के कारण भी सड़क दुर्घटनाएं होने का खतरा अधिक रहता है. इस कारण से यह निर्णय लिया गया है,ताकि यात्रियों को बैठक कर सफर करें और स्कूल बसों में बच्चे आराम से बैठकर घर तक पहुंचे.
प्रहलाद कुमार. पटना. परिवहन विभाग की समीक्षा बैठक के बाद सभी जिलों को निर्देश भेजा गया है कि सीट से अधिक यात्री बिठाने या स्कूल बसों में बच्चे बिठाने पर बार-बार जुर्माना देने वाले बसों का निबंधन रद्द किया जाये. बैठक में जिलों से मिली रिपोर्ट में पाया गया है कि यात्री बसों में ओवरलोडिंग के कारण भी सड़क दुर्घटनाएं होने का खतरा अधिक रहता है. इस कारण से यह निर्णय लिया गया है,ताकि यात्रियों को बैठक कर सफर करें और स्कूल बसों में बच्चे आराम से बैठकर घर तक पहुंचे. विभाग सभी स्कूलों के प्राचार्य को इस संबंध में निर्देश भेजेगा, ताकि स्कूल बसों में बच्चों का सफर सुरक्षित हो सकेें.
बस मालिक और अधिकारियों की होती है मिलीभगत
राज्यभर में बस मालिकों और परिवहन विभााग, यातायात पुलिस और स्थानीय पुलिस की मदद से यात्री और स्कूल बसों में ओवरलोडिंग किया जा रहा है. बसों का परमिट भले 26 सीट का लेते है, लेकिन जब लोगों को बस में बिठाना होता है, तो सीट से डबल बिठाते हैं. वहीं, जब यातायात पुलिस, जिला परिवहन के अधिकारी बसों की जांच करते है, तो उस बस की सीटों की संख्या और लोगों की भीड़ को देखते हुए भी कार्रवाई नहीं करते हैं. इसके एवज में बस मालिक अधिकारियों को रिश्वत देते है.
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बिहार में लगातार बढ़ रही है बसों की संख्या
राज्य भर में बस में सफर करने के दौरान सीट से अधिक यात्रियों को बिठाया जाता है.साथ ही, सीट नहीं मिलने के बाद भी यात्रियों से पूरा भाड़ा देना पड़ता है. इस कारण से लोग सफर के दौरान परेशान होते है. दूसरी ओर स्कूल में चलने वाली यात्री गाड़ियों में भी बच्चों को जैसे-तैसे बिठाया जाता है. इससे गाड़ी मालिकों को फायदा होता है और अभिभावकों और सरकार को नुकसान होता है. बावजूद इसके अभिभावकों के पास उपाय नहीं रहने के कारण उन्हें इन्हीं गाड़ियों से स्कूल भेजना पड़ता है.
बिहार में बस, ऑटो और जीप की संख्या
राज्य भर में 2015-16 दो हजार, 2016-17 तीन हजार, 2017-18 तीन हजार, 2018-19 तीन हजार , 2019-20 चार हजार, 2020-21 एक हजार, 2021-22 एक हजार यानीी 17 हजार गाड़ियां निबंधित है. वहीं, 2015-16 से लेकर 2021-22 तक तीन लाख 14 हजार ऑटो और 44 हजार जीप का निबंधन हुआ है. यह सभी यात्रियों को लाने ले जाने का काम करती है. लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से इन गाड़ियों में ओवरलोडिंग होती है. सीट से लोगों को बिठाया जाता है.