पटना. सुप्रीम कोर्ट से मगध विश्वविद्यालय (एमयू) के पूर्व कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को तत्काल बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने इनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं करने का निर्देश राज्य के निगरानी ब्यूरो को दिया है. कोर्ट ने निगरानी ब्यूरो को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह में शपथ पत्र दायर करने को कहा है. इस मामले पर आठ सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के अवकाशकालीन कोर्ट में न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायाधीश जेके माहेश्वरी के खंडपीठ ने डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. गौरतलब है कि पूर्व वाइस चांसलर डॉ राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ मगध विश्वविद्यालय में कॉपी व इ-बुक खरीदी में करोड़ों के गबन के मामले में विशेष निगरानी इकाई द्वारा कांड संख्या 02/21 दर्ज कर अनुसंधान किया गया. इसमें लगभग 20 करोड़ रुपये की अनियमितता बरतते हुए गबन किया है.
गया मगध विश्वविद्यालय में हुए घोटाले के मामले में चार आरोपितों के खिलाफ विजिलेंस ने भ्रष्टाचार की धारा को हटा दिया है. पटना की विशेष अदालत ने आरोपित विनोद कुमार, जयनंदन प्रसाद, पुष्पेंद्र कुमार वर्मा व सुबोध कुमार के खिलाफ केवल धारा 420, 409, 420 भादवि के तहत संज्ञान लिया है. अदालत ने भ्रष्टाचार की धारा को हटाते हुए चारों आरोपितों को ट्रायल के लिए गया न्यायालय में भेज दिया है. गौरतलब है कि इस मामले में चारों आरोपितों को हाइकोर्ट से जमानत मिल चुकी है.
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उल्लेखनीय है कि इस मामले में तत्कालीन कुलपति राजेंद्र प्रसाद, रजिस्ट्रार जितेंद्र कुमार, ओम प्रकाश फाइनेंस पदाधिकारी सहित अन्य लोगों पर विजिलेंस ने अनुसंधान जारी रखा है. इस मामले में अधिवक्ता कैसर सरफुद्दीन ने बताया कि मामले के आरोपित सुबोध कुमार की ओर से डिस्चार्ज की याचिका मोहम्मद अफजल खान न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में दायर की जायेगी. यह मामला एसवीयू पीएस संख्या 2/21 से जुड़ा है. अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि 16 जुलाई निर्धारित की है.