पटना. प्रदेश के विभिन्न सरकारी स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षक अभी नौकरी करते रहेंगे. दरअसल, पटना हाइकोर्ट ने इस मामले को हाल ही में संज्ञान में लिया है. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार और संबंधित दूसरी एजेंसियों को छह सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है.
इस केस से प्रभावित अप्रशिक्षित शिक्षकों की संख्या ढाई से तीन हजार के बीच है. जानकारी के मुताबिक ये वे शिक्षक हैं, जिन्हें इंटर में 50 फीसदी अंक नहीं होने के कारण एनआइओएस ने अभी ट्रेंड घोषित नहीं किया था. साथ ही एनआइओएस के डीएलएड के लिए परीक्षाएं दे चुके हैं, सिर्फ रिजल्ट आना बाकी है.
एनआइओएस ने रिजल्ट इस आधार पर रोक रखा है कि इन शिक्षकों के इंटर में 50 फीसदी मार्क्स नहीं थे. जानकारों का कहना है कि जब इन अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, तब 50 फीसदी अंक की बाध्यता नहीं थी. इस बीच शिक्षा विभाग ने भी सर्कुलर निकालकर इन शिक्षकों को अपात्र मानते हुए पदमुक्त करने के लिए नियोजन इकाइयों से कहा था.
फिलहाल एक याचिका की सुनवाई करते हुए पटना हाइकोर्ट ने प्राथिमक शिक्षा के पत्रांक 978 , 13 नवंबर 2020 द्वारा दिये गये आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित शिक्षकों की सेवा पूर्ववत बनाये रखने के लिए कहा है.
उल्लेखनीय है कि 23 नवंबर, 2020 को प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से कहा था कि अप्रशिक्षित शिक्षक से प्रासंगिक अधिनियम की पृष्ठभूमि में प्रशिक्षण की योग्यता न होने की दशा में नियमानुसार कार्रवाई करते हुए उन्हें सेवामुक्त करने की कार्रवाई नियोजन इकाई की तरफ से किया जाना है.
बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 23 के तहत अप्रशिक्षित शिक्षकों को 31 मार्च, 2019 तक निर्धारित अहर्ता जैसे कि शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करना था. इसके लिए शिक्षकों को एनआइओएस का 18 माह का डीएलएड पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण करना था.
Posted by Ashish Jha