गया. मगध मेडिकल अस्पताल के मर्चरी रूम में 10 दिनों तक अज्ञात लड़की के शव रहने के मामले में जांच कर रही टीम के सदस्यों ने थाने के कर्मचारी को भी दोषी माना है.
टीम के सदस्यों ने जांच रिपोर्ट में कहा है कि आठ व नौ नवंबर को थाने में सूचना देने यहां से कर्मचारी गये. लेकिन, वहां सूचना को रिसीव नहीं किया गया. इसकी जानकारी संवाहक विष्णु व विशाल कुमार ने रजिस्टर पर लिख कर दी है.
इधर इस संबंध में मेडिकल थानाध्यक्ष जिमेंद्र शर्मा ने कहा कि आठ व नौ नवंबर को दर्जन भर सूचना को थाने में रिसीव किया गया है. अपनी गर्दन को बचाने के लिए गलती थाने के ऊपर वहां के कर्मचारी डाल रहे हैं.
थोड़ी बहुत झंझट होने के बाद वहां के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक उन्हें फोन करते हैं. इस मामले में 10 दिनों में एक भी दिन अस्पताल से उन्हें फोन क्यों नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि जांच टीम के सदस्यों को भी उनके द्वारा बतायी गयी थी कि थाने में आठ व नौ नवंबर को सूचना लेकर कोई नहीं पहुंचा है.
इसके बाद भी आरोप लगाया जा रहा है. इसका कोई जवाब ही नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके तक सूचना पहुंचते ही तुरंत ही कार्रवाई की जाती है. गौरतलब है कि मगध मेडिकल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से परिसर स्थित मर्चरी रूम में एक लड़की की लावारिस लाश 10 दिनों तक सड़ती रही थी.
10 दिनों बाद जब एक महिला के शव को मर्चरी में रखने की जरूरत पड़ी, तो इसका खुलासा हुआ था. मर्चरी का गेट खुलने के बाद दुर्गंध इतना देने लगा कि आसपास वार्डों के लोगों को भी नाक बंद करना पड़ा था. उसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया.
19 नवंबर को प्रभात खबर में ‘मगध मेडिकल के मर्चरी में 10 दिनों तक सड़ती रही अज्ञात लड़की की लाश’ शीर्षक से समाचार प्रमुखता से प्रकाशित की गयी थी.
समाचार प्रकाशित होने के बाद डीएम द्वारा बनाये गये जांच टीम में सिविल सर्जन डॉ कमल किशोर राय, एडीएम नरेश झा व मगध मेडिकल के उपाधीक्षक डॉ पीके अग्रवाल को शामिल किया गया.
टीम के सदस्याें ने 24 नवंबर को मगध मेडिकल अस्पताल पहुंच कर जांच कर डीएम को रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट में अस्पताल में कई स्तर पर गड़बड़ी को अंकित किया गया है. इसके साथ ही कई पर कार्रवाई की भी अनुशंसा की गयी है.
Posted by Ashish Jha