रेरा ने कस दी बिहार में बिल्डरों पर नकेल, 31 तक देना होगा ग्राहकों के पैसे का हिसाब
रेरा ने वैसे बिल्डरों की नकेल कस दी है, जो फ्लैट का पैसा लेते तो हैं, पर फ्लैट देते ही नहीं है. ग्राहकों का पैसा कहीं और लगा देते हैं. राज्य में रियल इस्टेट निर्माण कंपनियों को 31 मार्च तक अपनी कंपनी का पूरा हिसाब देना होगा. उन्हें बताना होगा कि ग्राहकों का पैसा कहां खर्च किया है.
पटना . रेरा ने वैसे बिल्डरों की नकेल कस दी है, जो फ्लैट का पैसा लेते तो हैं, पर फ्लैट देते ही नहीं है. ग्राहकों का पैसा कहीं और लगा देते हैं. राज्य में रियल इस्टेट निर्माण कंपनियों को 31 मार्च तक अपनी कंपनी का पूरा हिसाब देना होगा. उन्हें बताना होगा कि ग्राहकों का पैसा कहां खर्च किया है.
रेरा ने इसके लिए नोटिस जारी किया है. रेरा की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान रियल इस्टेट कंपनियों व बिल्डरों द्वारा कितने निर्माण पूरे किये गये? किस प्रोजेक्ट की कितनी राशि खर्च हुई और आगे भविष्य में कब कितने प्रोजेक्ट पूरे हो रहे हैं. इनका वार्षिक हिसाब देना होगा.
दरअसल, राज्य में रियल इस्टेट कंपनियों, बिल्डरों को दिसंबर के अंत तक पूरे वर्ष भर का ब्योरा देना होता है, लेकिन केंद्र सरकार ने ब्योरा देने की समय- सीमा में 31 जनवरी तक छूट दे रखी थी. राज्य सरकार के निर्देश पर बिहार रेरा ने छूट की समय- सीमा 31 मार्च तक कर दी है. गौरतलब है कि प्रभात खबर ने एक फरवरी को ही इस बात की जानकारी दे दी थी कि अब बिल्डरों को 60 दिनों के भीतर हिसाब देना होगा.
खाते में रखनी होती है 70 फीसदी राशि
रेरा में आयी शिकायतों के अनुसार राज्य के बिल्डरों की ओर से एक बड़ी गड़बड़ी देखी जा रही है. कई बार रियल इस्टेट कंपनी किसी अपार्टमेंट निर्माण के लिए बुकिंग और काम के आधार पर ग्राहकों से पैसा लेती है और निर्माण को आधे पर रोक कर पैसा किसी और प्रोजेक्ट में लगा दिया जाता है. इससे बिल्डर नये प्रोजेक्ट को दिखा कर अन्य ग्राहकों से भी पैसे की वसूली कर लेते हैं.
गौरतलब है कि रेरा से निबंधित किसी प्रोजेक्ट की 70 फीसदी राशि उसके डेडिकेटेड खाते में रखना अनिवार्य है. चरणवार प्रोजेक्ट पूरा होने के हिसाब से संबंधित अधिकारियों का सर्टिफिकेट मिलने पर ही समय-दर-समय राशि निकाली जा सकती है.
बैलेंस शीट व ऑडिट स्टेटमेंट रिपोर्ट
रेरा ने सभी रियल इस्टेट कंपनियों से बैंलेंस शीट और ऑडिट स्टेटमेंट रिपोर्ट मांगी है. दरअसल, राज्य में लगभग 1350 निर्माण का निबंधन रेरा की ओर से किया जा रहा है. इनमें लगभग सात सौ रियल इस्टेट कंपनियां हैं. अब इन कंपनियों को अपना वार्षिक हिसाब दो तरह से देना होता है. एक जानकारी प्रोजेक्ट के हिसाब से और दूसरी जानकारी कंपनी के हिसाब से देनी होगी. अगर जानकारी गलत हुई तो रेरा की ओर से निर्माण कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया जायेगा. इसके अलावा कंपनी एक्ट के माध्यम से भी जुर्माना लग सकेगा. इससे बिल्डरों कोभारी नुकसान हो सकता है.
रूबन अस्पताल को रेरा के पास जमा करने होंगे 1.88 करोड़ रुपये
रूबन अस्पताल को एक करोड़ 88 लाख 54 हजार रुपये रेरा के खाते में जमा करने होंगे.रियल इस्टेट कंपनी अग्रणी होम्स से पाटलिपुत्र में संपत्ति खरीद के मामले में रेरा ने रूबन अस्पताल को यह निर्देश दिया है. अग्रणी होम्स के मामले में सुनवाई के दौरान गुरुवार को यह निर्देश जारी किया गया.
रेरा अधिकारी ने बताया कि अग्रणी होम्स को निर्देश जारी किया गया था कि वह पाटलिपुत्र की संपत्ति बेच पर आवंटियों के पैसे लौटाये. कंपनी की संपत्ति खरीद के बाद करीब एक करोड़ सात लाख 42 हजार रुपये रेरा में जमा किये, जबकि शेष एक करोड़ 88 लाख रुपये रेरा में तत्काल जमा करने को कहा गया है.
50 करोड़ से अधिक की देनदारी
अग्रणी होम्स को ग्राहकों के करीब 50 करोड़ से अधिक की राशि लौटानी है. इसको लेकर पाटलिपुत्र संपत्ति के अलावा रेरा ने अग्रणी होम्स के मालिक को अपनी और भी संपत्तियों का ब्योरा जमा करने का निर्देश दिया था. इसके बाद अग्रणी होम्स की ओर से अन्य संपत्तियों का ब्योरा रेरा के समक्ष जमा किया गया है.
इसमें बताया गया है कि सोनपुर के परमानंदपुर में प्लॉट, वाराणसी में दो जगहों पर अपार्टमेंट में फ्लैट, पटना के कंकड़बाग के योगीपुर में घर और दानापुर में सात से आठ कट्ठे का प्लॉट है. रेरा के सूत्रों की मानें तो ग्राहकों की देनदारी लौटाने के लिए कंपनी को इन संपत्तियों को भी बेचना होगा. रेरा खुद भी अग्रणी की ये संपत्ति बेच कर ग्राहकों के पैसे लौटा सकता है.
Posted by Ashish Jha