बिहार शिक्षक नियुक्ति नियमावली के तहत आरक्षण से लेकर भर्ती प्रक्रिया तक, सबकुछ यहां समझें

बिहार कैबिनेट में राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्त ) नियमावली 2023 सहित छह प्रस्तावों को स्वीकृति दे दी गयी. जानिए नयी शिक्षक नियमावली के तहत अब क्या कुछ बदलेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | April 11, 2023 4:08 AM
  • पंचायतों और नगर निकायों से नियुक्ति का अधिकार छीना

  • आयोग सीधी भर्ती के लिए लेगा परीक्षा

  • सत्रह साल बाद राज्य कर्मी के रूप में अब होगी शिक्षकों की नियुक्ति

  • शिक्षक का पद अब कहा जायेगा ‘विद्यालय अध्यापक’

  • कोई भी अभ्यर्थी इस पद के लिए तीन बार दे सकेगा परीक्षा

  • संविदा शिक्षक भी परीक्षा पास कर बन सकेंगे विद्यालय अध्यापक

  • विद्यालय अध्यापकों को राज्य कर्मियों की तरह मिलेंगी सभी सुविधाएं

  • यह नियमावली सभी तरह के शिक्षकों के लिए होगी मान्य

तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ

बिहार में करीब तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है. सोमवार को राज्य कैबिनेट की हुई बैठक में नियुक्ति नियमावली को मंजूरी मिल गयी. इसके तहत प्रदेश में प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी तक के स्कूलों में शिक्षक का पद अब ‘विद्यालय अध्यापक’ कहा जायेगा. इस पद पर नियुक्ति के लिए नियमावली को हरी झंडी मिल गयी है. इस पद पर सीधी भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर राज्य सरकार द्वारा अधिकृत आयोग के जरिये होगी.

महिला अभ्यर्थियों को विषयवार 50 फीसदी आरक्षण

प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक के स्कूलों में विद्यालय अध्यापक पद के लिए महिला अभ्यर्थियों को विषयवार 50 फीसदी आरक्षण दिया जायेगा. अब बिहार में संविदा पर शिक्षक नियुक्ति न हो कर राज्य सरकार के कर्मचारी (स्थायी कर्मचारी ) के रूप उनकी नियुक्ति होगी. कोई भी अभ्यर्थी इस पद के लिए तीन बार परीक्षा दे सकेगा. यह सारे निर्णय सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिये गये. कैबिनेट में राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्त ) नियमावली 2023 सहित छह प्रस्तावों को स्वीकृति दे दी गयी.

17 साल बाद पंचायतों व नगर निकायों से छीना नियुक्ति का अधिकार

राज्य सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार 17 साल बाद पंचायती राज एवं नगर निकाय संस्थाओं से छीन लिया है. वर्ष 2005 तक बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति राज्य कर्मचारी के रूप में हुआ करती थी. नयी नियमावली में शिक्षकों का वेतनमान अभी तय नहीं किया गया है. विषय विशेष के लिए अहर्ता का निर्धारण विभाग समय-समय पर कर सकेगा. परीक्षा के पैटर्न का निर्धारण आयोग करेगा. परीक्षा लिखित रूप में निर्धारित आयोग ही लेगा. विद्यालय का पद स्थानांतरणीय होगा. विशेष बात यह होगी इस नियमावली से पहले से जो संविदा शिक्षक काम कर रहे हैं, वह चाहें तो इस निमयावली के तहत विद्यालय अध्यापक बनने के लिए परीक्षा दे सकते हैं.

नियुक्ति के लिए अनिवार्यता

  • भारत का नागरिक हो और बिहार राज्य का स्थायी निवासी हो.

  • इस पद पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक योग्यताधारी हों

  • राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से ली गयी शिक्षक पात्रता परीक्षा सीटेट या एसटीइटी उत्तीर्ण होना जरूरी है. हालांकि, वर्ष 2012 से पहले नियुक्त और कार्यरत शिक्षक जो दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण होंगे, के लिए पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता नहीं होगी.

आयु सीमा

  • प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के शिक्षकों ( विद्यालय अध्यापक) की नियुक्ति के लिए पहली अगस्त को न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष होनी चाहिए. अधिकतम आयु सीमा बाद में तय होगी.

  • माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति के लिए न्यूनतम आयु सीमा पहली अगस्त को 21 वर्ष होनी चाहिए. अधिकतम आयु सीमा बाद में तय होगी.

  • इस नियमावली से पहले पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु सीमा में दस वर्ष की छूट दी जायेगी. हालांकि, पंचायती राज संस्था और नगर निकायों के जरिये नियुक्त और कार्यरत शिक्षकों के लिए अधिकतम आयु सीमा शिथिल करने पर राज्य सरकार अलग से निर्णय लेगी.

आरक्षण

  • सीधी नियुक्ति में सामान्य प्रशासन विभाग का आरक्षण प्रावधान लागू होगा. हालांकि, प्राथमिक व मध्य विद्यालय कोटि और स्नातक कोटि के शिक्षक (विद्यालय अध्यापक) के पद पर प्रत्येक विषय में न्यूनतम 50 फीसदी महिला अभ्यर्थियों की नियुक्ति होगी.

  • विद्यालय अध्यापक के लिए आरक्षण रोस्टर का संघारण जिला स्तर पर निर्धारित होगा. आरक्षण समाशोधन जिला पदाधिकारी करेंगे.

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नियुक्ति प्रक्रिया

  • जिला स्तर पर रिक्त पदों की गणना के बाद कराया जायेगा रोस्टर क्लियरेंस, फिर आयोग को भेजी जायेगी अधियाचना

  • परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम आयोग तय करेगा. परीक्षा आयोजन से लेकर परीक्षाफल प्रकाशन तक का काम आयोग करेगा.

  • परीक्षा अवधि योगदान की तिथि से दो साल की होगी. एक साल का विस्तार होगा. इसके बाद सेवा संतोषजनक न होने पर पद मुक्त किया जायेगा.

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