पटना. राज्य में मॉनसून की बारिश से जहां गंडक, गंगा, कोसी, कमला सहित अन्य नदियां उफान पर हैं. वहीं, छोटी नदियां और जलाशय भी लबालब भर चुके हैं. मॉनसून की शुरुआत में ही छोटी नदियों और जलाशयों में पानी आ जाने से इसका फायदा सिंचाई सहित ग्राउंड वाटर लेवल को हो सकेगा. फिलहाल धान की रोपनी शुरू होने वाली है और इसके लिए किसान बिचड़ा तैयार कर रहे हैं. धान की रोपनी में खेतों में अधिक मात्रा में पानी की जरूरत होती है.
सूत्रों के अनुसार राज्य में करीब 50 प्रमुख छोटी नदियां हैं. अब तक की बारिश से इनमें से कुछ नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं. इनमें से वैशाली जिले में बाया नदी खतरे के निशान से करीब 90 सेंमी ऊपर बह रही है.
दरभंगा जिले में अधवारा नदी खतरे के निशान से 1.25 मीटर ऊपर और भागलपुर जिले में घोघा नदी 1.33 मीटर ऊपर बह रही है. नालंदा जिले में चिरैया, मोहाने, पंचाने और भूतही नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है.
सूत्रों के अनुसार बांका जिले में चंदन जलाशय से करीब एक लाख 10 हजार एकड़ में पटवन किया जा सकता है. इस जलाशय का जीर्णोद्धार शुरू किया गया था और इसका असर दिखने लगा है.
इस बार भी चंदन जलाशय में अच्छी मात्रा में पानी आ चुका है. यह खतरे के निशान से करीब चार मीटर नीचे है. इस जलाशय में पानी आने से जिले के किसानों को फायदा होने की संभावना है.
गर्मी के मौसम में राज्य के अलग-अलग हिस्सों में ग्राउंड वाटर लेवल में कमी हो जाती थी. राज्य के करीब 103 प्रखंड क्रिटिकल जोन में चले गये थे. जल-जीवन-हरियाली अभियान में पिछले साल काम की वजह से इसमें सुधार दिखा. इस बार की बारिश और नदियों व तालाबों के लबालब भरने से इसका असर ग्राउंड वाटर लेवल पर भी पड़ेगा. इसमें सुधार की संभावना है.
Posted by Ashish Jha