पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में रविवार को कहा है कि राज्य की पुलिस में महिलाओं की बहाली से जंगली और पहाड़ी क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव घटा है. नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित बैठक में उन्होंने केंद्र सरकार से कहा है कि औरंगाबाद जिला को अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची में पुनः शामिल करें.
नक्सली कार्रवाई के लिए प्रतिनियुक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों पर होने वाले खर्च का वहन केंद्र और राज्य को संयुक्त रूप से करना चाहिए. नक्सली उग्रवाद के विरुद्ध अभियान का आर्थिक भार केंद्र और राज्यों के बीच बांट कर वहन किया जाना चाहिए. पुलिस को आधुनिक यंत्र और प्रशिक्षण देने में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 60:40 रखी गयी है. इसे 90:10 किया जाना चाहिए.
मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत पांच करोड़ रुपये तक कार्रवाई का अधिकार राज्य सरकार को मिलना चाहिए. सीएम ने नक्सली उग्रवाद के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान में बिहार में अलग से हेलीकॉप्टर की स्थायी तैनाती सहित सीआरपीएफ की दो बटालियन को छत्तीसगढ़ से वापस बिहार बुलाने की मांग की. कहा कि राज्य के सभी जिलों में सांप्रदायिक सौहार्द का वातावरण है.
बिहार देश का पहला राज्य है जहां उग्रवादी तत्वों की गतिविधि पर रोक लगाने के लिए उनके द्वारा अर्जित संपत्ति को जब्त करने की शुरुआत हुई. महिला सशक्तीकरण के तहत पुलिस में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया है .बिहार पुलिस में 23 %से अधिक संख्या महिलाओं की है. महिलाओं की कमांडो टीम को विशेष टास्क फोर्स और आतंकवाद निरोधक दस्ता में सम्मिलित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है.
नक्सल प्रभावित क्षेत्र के थारू, संथाल, उरांव और अन्य अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को लेकर बिहार स्वाभिमान बटालियन का गठन वाल्मिकीनगर, पश्चिमी चंपारण में किया गया है. इस कदम से बगहा व वाल्मिकीनगर के जंगल तथा पहाड़ी क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव घटा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2006 में पंचायती राज व्यवस्था में और वर्ष 2007 में नगर निकायों के चुनाव में वंचित लोगों को आरक्षण, महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देकर उन्हें क्षेत्र के विकास के निर्णय लेने का हक दिया गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सली हिंसा के विरुद्ध अभियान हेतु यह भी आवश्यक है कि राज्यों के सुरक्षा बलों को गहन प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रभावी रूप से दक्ष बनाया जाए. केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बिहार के लिए अधिक कोटा निर्धारित किया जाए और निःशुल्क प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाये.
मुख्यमंत्री ने कहा है कि बिहार में पिछले वर्षों में उग्रवादी हिंसा में गिरावट आयी है. नक्सली हिंसा का समाप्त होना प्रजातंत्र के सुढृढ़ीकरण का प्रमाण है. इस प्रकार की बैठक नियमित रूप हर वर्ष होनी चाहिए. नक्सली हिंसा का उद्देश्य गरीबों का हित करना नहीं है, बल्कि गरीबों को विकास की मुख्य धारा से वंचित रखना है.
बिहार के बारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 2018 में राज्य में सुरक्षा संबंधी व्यय योजना के तहत जिलों की संख्या 22 से घट कर 16 हो गयी. वर्ष 2021 में यह संख्या 16 से घट कर केवल 10 रह गयी है. इनमें रोहतास, कैमूर, गया, औरंगाबाद, नवादा, जमुई, लखीसराय, मुंगेर, बांका, बेतिया जिला शामिल हैं. वर्ष 2018 में अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या छह थी, जो अब घट कर केवल तीन रह गयी है. इनमें गया, जमुई, लखीसराय जिला शामिल हैं.
Posted by Ashish Jha