पटना. झारखंड के नक्सलियों को कारतूस पटना से ही खरीद कर भेजी जाती थी और कारतूस से संबंधित सारी डीलिंग पटना के कोतवाली थाने के फ्रेजर रोड स्थित एक होटल में हुई थी. इसका खुलासा उस समय हुआ जब झारखंड पुलिस ने धनबाद से एक नक्सली को गिरफ्तार कर लिया. उस नक्सली से जो जानकारी सामने आयी, उससे कारतूस खरीदने के तार पटना से जुड़ गये. इसके बाद झारखंड एसटीएफ व एटीएस की टीम मामले की जांच करने के लिए पटना के कोतवाली थाने के फ्रेजर रोड स्थित होटल में पहुंची और अपने स्तर पर जांच कर वापस लौट गयी.
बताया जाता है कि इस दौरान एसटीएफ अपने साथ होटल के रजिस्टर की छायाप्रति भी ले गयी है, ताकि इससे पुष्टि हो सके कि हथियार की डीलिंग करने के लिए कौन-कौन उस दिन होटल में आये थे. इसमें पटना के एक अपराधी का भी नाम सामने आया है, जिसने हजारीबाग इलाके में गिरफ्तार बीएसएफ जवान अरुण सिंह से हजारों की संख्या में कारतूस ली थी और उसने ही नक्सलियों के एजेंट व धनबाद निवासी उपेंद्र सिंह की पहचान बीएसएफ के पूर्व जवान अरुण सिंह से करायी थी. इसके बाद अरुण सिंह से लिये गये कारतूस को धनबाद के उपेंद्र सिंह ने नक्सलियों काे सप्लाइ कर दी थी और कारतूस को नक्सलियों के पास से झारखंड एसटीएफ ने बरामद किया था.
नक्सली की गिरफ्तारी के साथ ही आर्म्स व कारतूस की बरामदगी के बाद झारखंड पुलिस के सामने धनबाद निवासी उपेंद्र सिंह का नाम सामने आया और जब उसे पकड़ा गया, तो उसने यह बताया कि वह कारतूस की खेप पटना में ही बीएसएफ के पूर्व जवान व सारण के सोनपुर के शाहपुर गांव निवासी अरुण सिंह से लेता था. इसके बाद बीएसएफ के पूर्व जवान अरुण सिंह को हजारीबाग से गिरफ्तार कर लिया गया और उपेंद्र ने यह भी जानकारी दी थी कि उसकी दोस्ती अरुण सिंह से पटना के एक अपराधी ने होटल में करायी थी. इसके बाद से ही वह उससे कारतूस व आर्म्स लेने लगा था.
झारखंड एसटीएफ को यह भी जानकारी मिली कि पटना का उक्त अपराधी बीएसएफ के पूर्व जवान अरुण सिंह से खुद भी काफी मात्रा में कारतूस व आर्म्स की खरीद किया करता था. लेकिन वह किसे पहुंचाता था, इस बात की जानकारी नहीं मिल पायी है. संभावना यह जतायी जा रही है कि उक्त अपराधी भी नक्सलियों व अपराधियों काे कारतूस की सप्लाइ करने के लिए बीएसएफ के पूर्व जवान अरुण सिंह से खरीद करता था.
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इस पूरे कारतूस सप्लाइ के किंगपिन अरुण सिंह की दोस्ती हजारीबाग के एक अपराधी ने पटना के अपराधी से करायी थी और इस तरह से पूरी चेन बन गयी थी. इस पूरे मामले की जांच करने और पटना के अपराधी की पहचान करने के लिए झारखंड एसटीएफ की टीम पटना पहुंची और पटना के कोतवाली थाना पुलिस को बिना बताये ही जांच करके वापस लौट गयी. झारखंड पुलिस को पटना के उक्त अपराधी के नाम की जानकारी मिल चुकी है. लेकिन फिलहाल उसके नाम को गुप्त रखा गया है.