कौशिक रंजन, पटना. जीएसटी (माल एवं सेवा कर) लागू होने के बाद बिहार में टैक्स चोरी के तरीके बदल गये हैं. विभाग के प्रयासों के बाद भी फर्जी बिल पर टैक्स चोरी का सिलसिला पूरी तरह थम नहीं रहा है. फर्जी इनवॉयस (चालान या बिल) पर बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से सामान बिहार आ रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा लोहा या सरिया, सीमेंट, स्टील, कपड़े, मार्बल समेत ऐसे अन्य सामान शामिल हैं.
वर्तमान में सरिया पर 18% और सीमेंट पर 28% जीएसटी लगता है. चूंकि जीएसटी डेस्टिनेशन आधारित टैक्स प्रणाली है. इसके कारण दूसरे राज्यों से सरिया या सीमेंट उठाने के दौरान इन पर निर्धारित टैक्स में आधा टैक्स आइजीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी) के तौर पर वहीं देना पड़ता है और शेष आधा टैक्स यानी एसजीएसटी (स्टेट जीएसटी) यहां आकर इनवॉयस जमा करने के बाद देना होता है.
अब व्यापारी वहां आइजीएसटी देकर फर्जी नाम-पता या कंपनी के गलत जीएसटी नंबर के आधार पर तैयार बिल पर सामान तो उठा लेते हैं, लेकिन यहां लाने के बाद एसजीएसटी जमा ही नहीं करते हैं. ऐसे में बिहार को सीधे तौर पर करोड़ों के टैक्स का नुकसान हो जाता है. इसमें विभागीय पदाधिकारियों की भी मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता है.
ऐसे फर्जी इनवॉयस जारी करके टैक्स चोरी करने के अन्य तरीके भी हैं, लेकिन यह तरीका ज्यादा प्रचलित है. इसके बाद इस सामान को राज्य के बाजारों में अन्य के मुकाबले कम कीमत पर बेच देते हैं. इससे उनका सामान तो जल्द बिक जाता है, लेकिन राज्य को इस पर टैक्स नहीं मिल पाता है. हाल में हुई वाणिज्य कर विभाग के स्तर पर हुई दर्जनों छापेमारी में ये सारे तथ्य सामने आये हैं. महकमा ऐसे व्यापारियों की पहचान करके लगातार कार्रवाई करने में जुटा हुआ है.
बिहार में फर्जी इनवॉयस पर कितने का सरिया, सीमेंट, मार्बल समेत अन्य सामान आता है, इसका कोई सटीक आंकड़ा तो विभागों में नहीं है. लेकिन, एक आकलन के मुताबिक राज्य में सीमेंट और सरिया दोनों को मिलाकर हर महीने 500 से 600 करोड़ रुपये का कारोबार होता है, जबकि यह आशंका जतायी जाती है कि इससे आधा यानी करीब 250 से 300 करोड़ रुपये के फर्जी इनवॉयस पर सिर्फ सीमेंट और सरिया का कारोबार होता है.
इसके अलावा मार्बल, कपड़े समेत अन्य सामानों में भी इस तरह का फर्जीवाड़ा होता है. इससे बिहार के अधिकतर व्यापारियों के कारोबार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
इस तरह से फर्जीवाड़ा करके ज्यादा मुनाफा कमाने के साथ ही कम आय दिखाकर आयकर रिटर्न दाखिल कर लेते हैं. इससे दो स्थानों पर एक साथ टैक्स चोरी कर लेते हैं. फर्जी बिल पर मंगवाये माल को बेच देने के बाद व्यापारी की कागज पर देनदारी पूरी तरह खत्म हो जाती है. अधिक मुनाफे के चक्कर में कई व्यापारी सही तरीके से पूरा टैक्स देकर मंगवाये सामानों के साथ फर्जी बिल पर मंगवाये माल को मिलाकर बेच दिया जाता है.
इनवॉयस के साथ फर्जीवाड़ा करके माल ढोने के अन्य तरीकों में है कि बिना माल दिये ही बिल काट दिया जाता है. इस तरह से क्रेडिट इनपुट टैक्स का फायदा उठा लिया जाता है. दूसरे के व्यावसायिक फर्म या प्रतिष्ठान के नाम पर माल मंगवा कर टैक्स नहीं दिया जाता. अगर रास्ते में या अन्य कहीं विभाग की तरफ से चेकिंग नहीं हुई, तो कई बार एक बिल पर दो या तीन बार सामान मंगवा लेते हैं.
बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान कहते है कि फर्जी बिल पर कारोबार करने वालों से सही व्यापारियों का कारोबार प्रभावित होता है. बाजार से सरकार को टैक्स उतना नहीं मिल पाता, जितना मिलना चाहिए. सरकार को इसे रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. इसके लिए जीएसटी के सॉफ्टवेयर में भी व्यापक सुधार करने की जरूरत है.
वाणिज्यकर विभाग की आयुक्त सह सचिव डॉ प्रतिमा एस ने कहा कि ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई की जा रही है. इसी माह तीन बड़े रेड हुए थे, जिसमें ऐसी करोड़ों की टैक्स चोरी पकड़ी गयी है. इस तरह के नेक्सस के तार दूसरे राज्यों से भी जुड़े हैं. इसे लेकर वहां के कमिश्नर से भी बात करके सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है. फर्जी निबंधन कराने वालों की जांच की नयी व्यवस्था की गयी है.
Posted by Ashish Jha