पटना. राज्य सरकार ने लोक सेवा का अधिकार कानून (आरटीपीएस) में अहम बदलाव किये हैं. आरटीपीएस का उपयोग सबसे ज्यादा प्रमाणपत्र बनाने में होता है. इसके मद्देनजर इन सेवाओं को ज्यादा सुलभ और सरल बनाते हुए जनता को ज्यादा से ज्यादा इसका लाभ देने की कवायद की गयी है. इसके तहत अब सीओ के स्थान पर राजस्व पदािधकारी को ही जाति, आवासीय व आय प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार होगा. हालांकि प्रमाणपत्रों को बनाने की समयसीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सिर्फ सीओ के स्थान पर राजस्व पदाधिकारी के हस्ताक्षर प्रमाणपत्रों पर होंगे.
इन तीनों प्रमाणपत्रों को आवेदन करने के 10 दिनों के अंदर ही बनाकर इन्हें देना होगा. तत्काल मामलों में इन प्रमाणपत्रों को दो दिनों में जारी करना होगा. नयी व्यवस्था एक अप्रैल, 2021 से लागू होगी. इससे पहले यानी 31 मार्च, 2021 तक सीओ के स्तर से जारी ये सभी प्रमाणपत्र मान्य होंगे. सामान्य प्रशासन विभाग ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है. इन तीनों प्रमाणपत्रों को बनाने में अगर देरी होती है, तो प्रथम अपील एसडीओ के पास कर सकते हैं, जिसका निबटारा 15 दिनों में करना होगा. इसमें दूसरी अपीलीय अधिकारी डीएम हैं, जिसके स्तर पर भी 15 दिनों में मामले का निबटारा होगा.
इसके अलावा नये प्रावधान में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी कुछ सेवाओं को भी आरटीएस के दायरे में लाया गया है. इसमें एलोपैथिक, आयुष, कॉस्मेटिक और ब्लड बैंक के निर्माण या नवीकरण के लिए लाइसेंस को राज्य औषधि नियंत्रक को 30 दिनों में जारी कर देना होगा. ऐसा नहीं करने पर पहली अपील के तहत वरीय प्रभारी पदाधिकारी (निदेशालय औषधि नियंत्रण प्रशासन) और दूसरी अपील के तहत स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के पास मामला जायेगा. इन दोनों अपील के स्तर पर 30 दिनों में मामले का निबटारा करना होगा.
इसी तरह से एलोपैथिक, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा समेत अन्य दवाओं की बिक्री और वितरण के लिए लेने वाले लाइसेंस में भी उपरोक्त नियम लागू होंगे. इसके अलावा जीएमपी, जीएलपी, नॉन कनविक्शन प्रमाणपत्र, फ्री सेल प्रमाणपत्र, परफॉरमेंस प्रमाणपत्र, मार्केट स्टैंडिंग सर्टिफिकेट, प्रोडक्शन कैपेसिटी सर्टिफिकेट, न्यूट्रल कोड नंबर समेत इससे जुड़े अन्य सभी तरह के मामलों में भी 30 दिनों में राज्य औषधि नियंत्रक को सर्टिफिकेट जारी करना होगा. कुछ सर्टिफिकेट को जारी करने का अधिकार इतनी ही समयसीमा में सहायक औषधि नियंत्रक को दिया गया है. अपीलीय प्राधिकार की व्यवस्था उसी तरह से रखी गयी है.
Posted by Ashish Jha