वन विभाग ने रोका भागलपुर में रिवर फ्रंट का काम, दो ट्रैक्टर जब्त, मजदूरों को भगाया, जानें पूरा मामला

रविवार को वन विभाग को सूचना मिली कि पुल घाट में चोरी-छिपे काम हो रहा है. सूचना पर रेंजर बीके सिंह, नवगछिया के रेंजर, विभाग के कर्मी और विभाग के सिपाहियों के साथ पुल घाट पहुंचे और काम रुकवा दिया. इस दौरान दो ट्रैक्टर भी जब्त किया गया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2022 10:06 AM
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भागलपुर. कुछ दिन पूर्व वन विभाग ने रिवर फ्रंट डेवलपमेंट योजना के तहत पुल घाट में चल रहे कार्य को रोक दिया था और विभाग से वाइल्ड लाइफ का क्लीयरेंस लाने को कहा था. इसके बाद आगे काम करने को कहा था. रविवार को वन विभाग को सूचना मिली कि पुल घाट में चोरी-छिपे काम हो रहा है. सूचना पर रेंजर बीके सिंह, नवगछिया के रेंजर, विभाग के कर्मी और विभाग के सिपाहियों के साथ पुल घाट पहुंचे और काम रुकवा दिया. इस दौरान दो ट्रैक्टर भी जब्त किया गया.

चुपके से कराया जा रहा था काम

रेंजर ने बताया कि सूचना मिली कि चुपके-चुपके काम कराया जा रहा है. डीएफओ के निर्देश पर वहां पहुंच काम को रुकवाया और दो ट्रैक्टर जब्त किया गया. उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी को कहा गया है कि वाइल्ड लाइफ का पटना से क्लीयरेंस पहले लाइये. काम करने वाले मजदूरों को भगाने की बात पर उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है.

निर्माण कार्य में बरती गयी लापरवाही

स्मार्ट सिटी भागलपुर के बरारी पुल घाट पर स्मार्ट सिटी योजना के तहत 102 की लागत से रिवर फ्रंट का निर्माण कराया जा रहा है. इस निर्माण कार्य में बड़ी लापरवाही पहले ही संज्ञान में आ चुकी है. बावजूद इसके, वाइल्ड लाइफ कानून के तहत अनुमति लिए बिना ही भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने कार्य शुरू कर दिया. इसे लेकर आवेदन भी किया गया पर वन एवं पर्यावरण विभाग से अनुमति नहीं मिली है. कार्य बंद कराने के बाद भी रिवर फ्रंट का निर्माण जारी रखा गया.

बिना नोटिस बांधा गया बोरी-बिस्तर

इस मामले को लेकर स्मार्ट सिटी के अधिकारी ने फिलहाल अपनी चुप्पी लगा ली है. इधर निर्माण एजेंसी का कहना है कि कार्रवाई के पहले नोटिस जारी कर जवाब मांगना चाहिए था. ट्रैक्टर को जब्त करने के बाद वन विभाग के अधिकारी को सीजर लिस्ट देना चाहिए. इस तरह मजदूरों के साथ मारपीट व गाली-गलौज करना उचित नहीं है.

डाल्फिन अभ्यारण क्षेत्र में नहीं है निर्माण की अनुमति

भागलपुर क्षेत्र के गुजरने वाली गंगा डाल्फिन अभ्यारण क्षेत्र है. गंगा के तटवर्ती क्षेत्र में पक्का निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण विभाग की अनुमति अनिवार्य है, क्योंकि नदी की धारा में डाल्फिन विचरण करती है. पक्का निर्माण से जलजीव को खतरा हो सकता है. इन सभी तकनीकी पहलू को लेकर वन विभाग की अनुमति अनिवार्य है. इसके लिए वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत अनुमति के लिए स्मार्ट सिटी की ओर से 24 अप्रैल को आवेदन किया गया है. इस कार्रवाई होने से अब स्मार्ट सिटी और वन विभाग के बीच रार बढ़ गया है।

रिवर फ्रंट पर यह हो रहा कार्य

करीब 102.69 करोड़ रुपये की लागत से 1.1 किलोमीटर लंबा रिवर फ्रंट का निर्माण कराया जाना है, लेकिन इसकी लागत कट घटकर करीब 102 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई है. यहां निर्माण कार्य वत्सल कंस्ट्रक्शन कर रही है. अभी 400 मीटर तक चारदीवारी, घाट पर रिर्टनिंग वाल व फाइलिंग का कार्य चल रहा है. वन विभाग की कार्रवाई निर्माण कार्य से जुड़े सभी प्लांट बंद हो गए. 200 से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गए है.

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