उपचुनाव में नेता पुत्रों पर दांव, रामगढ़ से जगदानंद तो तरारी से सुनिल पांडे के बेटे को मिला टिकट
Bihar by-election : चार सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में जहां आरजेडी ने नेता पुत्रों पर भरोसा जताया है. वहीं बीजेपी और उसके सहयोगी भी परिवारवाद से उपर नहीं उठ पाए हैं.
बिहार की चार सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. टिकट देने के समय बिहार के दोनों प्रमुख गठबंधनों ने जातिय समीकरण का खास ख्याल रखा है. लेकिन इन सबमें सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि दोनों ही गठबंधनों ने नेता पुत्रों को खास तवज्जो दिया है.
नेता पुत्रों पर मेहरबान पार्टियां
चार सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने जहां बाहुबली और पूर्व विधायक सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत और उसकी सहयोगी हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने अपनी बहू दीपा मांझी को उम्मीदवार बनया है. तो आरजेडी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत कुमार सिंह और बेलागंज सीट पर जहानाबाद से राजद सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव के विश्वनाथ कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है.
बिहार के ये चार विधायक बने हैं सांसद
बिहार के चार विधायक सुदामा प्रसाद, सुधाकर सिंह, सुरेंद्र यादव और जीतन राम मांझी इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में सांसद बने हैं. जिसके बाद इन चारों सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. इस उपचुनाव में महागठबंधन, एनडीए के अलावा प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी चुनावी मैदान में हैं. लेकिन इन सबमें सबसे अलग उम्मीदवार जन सुराज से है क्योंकि प्रशांत किशोर ने जिन्हें भी अपना उम्मीदवार बनाया है उनका कभी भी राजनीति से सीधा संबंध नहीं रहा है. उनके प्रत्याशी डॉक्टर, प्रोफेसर और सेना के बड़े अधिकारी है.
कार्यकर्ता फिर मायूस
विधानसभा चुनाव में दोनों ही गठबंधनों की तरफ से नेता पुत्रों को टिकट दिए जाने से कार्यकर्ताओं को फिर से मायूसी ही हाथ लगी है. हांलाकि पार्टी के लिए समर्पित होने की वजह से उन्होंने इसे लेकर अपना विरोध नहीं जताया है. लेकन दबे स्वर से ये बात फिर से उठने लगी है कि क्या कार्यकर्ता सिर्फ अपने पार्टियों के लिए दरी ही उठाते रहेंगे या उन्हें भी विधायक बनने का मौका मिलेगा.