पटना. विधान परिषद की सात सीटों के लिए 20 जून को होने वाले चुनाव में महागठबंधन एकजुट नहीं रहा, तो चुनाव की नौबत आने पर राजद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. राजद ने तीन उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है. विधानसभा में संख्या बल के आधार पर महागठबंधन के घटक दलों के वोट जब तक राजद उम्मीदवारों के पक्ष में नहीं गिरेगा, तीनों उम्मीदवारों की जीत पक्की नहीं होगी. इस बार के चुनाव में एक सीट पर जीत के लिए कम- से- कम 31 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी. विधानसभा में राजद विधायकों की संख्या 76 है. ऐसे में राजद को अपने तीनों उम्मीदवारों की जीत के लिए सहयोगी दलों से 17 अतिरिक्त मतों की जरूरत होगी. अब तक ऊपरी सदन के चुनाव से दूर रहे भाकपा- माले ने इस बार महागठबंधन के भीतर अपने लिए एक सीट की मांग की थी.
विधानसभा में भाकपा -माले के 12 सदस्य हैं. इनके अलावा भाकपा के दो और माकपा के भी दो सदस्यों की जीत हुई है. विपक्ष के अन्य दलों में कांग्रेस के 19 और एएमआइएम के पांच सदस्य भी हैं. विधान परिषद के सात मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल 21 जुलाई को समाप्त हो रहा है. इनमें राजद के एक भी सदस्य नहीं हैं. राजद के यदि तीनों उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल होते हैं , तो सदन में उसके सदस्यों की संख्या बढ़ कर 14 हो जायेगी. फिलहाल सदन में राजद के 11 सदस्य हैं.
विधान परिषद चुनाव में बाकी की चार सीटों में दो पर भाजपा और दो पर जदयू के उम्मीदवार हो सकते हैं. दोनों दलों के बीच इस मसले पर जल्द ही तालमेल होने की गुंजाइश है. जिन सात सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें जदयू के सबसे अधिक पांच सदस्य हैं. ऐसे में जदयू अपने दो उम्मीदवार को ही इस बार विधान परिषद भेज सकने की स्थिति में है. भाजपा के एक सदस्य अर्जुन सहनी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है.
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सबसे हाॅट सीट वीआइपी अध्यक्ष पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की है. सहनी भी 21 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं. भाकपा- माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि राजद का यह एकतरफा फैसला है. हमारी प्राथमिकता महागठबंधन को मजबूत करने की है. चुनाव में महागठबंधन की जीत के लिए भाकपा -माले के विधायकों के समर्थन की भी जरूरत होगी. बिना भाकपा माले के वोट से जीत संभव नहीं है.