बिहार: राजद सुप्रीमो लालू यादव दिल्ली रवाना, बोले- नरेंद्र मोदी की विदाई की करानी है तैयारी

राजद सुप्रीमो लालू यादव (Lalu Yadav) गुरुवार की सुबह दिल्ली के लिए रवाना हो गए. उन्होंने जाने से पहले विपक्षी एकता की होने वाली बैठक में शामिल होने का वादा किया. उन्होंने कहा कि केंद्र से बीजेपी की गद्दी जाना तय है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2023 11:56 AM
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राजद सुप्रीमो लालू यादव (Lalu Yadav) गुरुवार की सुबह दिल्ली के लिए रवाना हो गए. उन्होंने जाने से पहले विपक्षी एकता की होने वाली बैठक में शामिल होने का वादा किया. जाते हुए राजद सुप्रीमो ने कहा कि अभी मैं जांच कराने दिल्ली जा रहा हूं. वहां से आने के बाद मुझे बेंगलुरु जाना है और नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की विदाई की तैयारी करानी है. बीजेपी के नेता ऊलजुल बयान बाजी कर रहे हैं. इस बार विपक्षी एकता ऐसी हुई है कि नरेंद्र मोदी को केंद्र की गद्दी से उतार कर फेंक देंगे. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पर दाखिल हुए चार्जशीट पर पूछे सवाल का जवाब देते हुए लालू यादव ने कहा कि कितना भी चार्जशीट हो जाए कोई बात नहीं है. हम ऐसे चार्जशीट को नजरअंदाज करते हैं. तेजस्वी यादव को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.

पार्टी के स्थापना दिवस केंद्र पर बरसे लालू

राजद के 27वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में लालू प्रसाद सीधे नरेंद्र मोदी पर हमलावर दिखे. उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव में नरेंद्र मोदी को उखाड़ फेकेंगे. देश को नरेंद्र मोदी की जरूरत नहीं है. मैं केस-मुकदमों से नहीं डरता. केस करो-केस करो. बस यही हो रहा है. अपनी चिर-परिचित शैली में नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लेते उन्हें चेताया कि हम लोगों को फूल-माला भी मिल जा रहा है, जिस दिन तू ना रहब, जानऽ तारऽ तोहार का गत होई. बुझा जाइ. सोच ल. बुधवार को राजद प्रदेश कार्यालय में अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के आयोजित कार्यक्रम में लालू प्रसाद ने कहा कि 23 जून के बाद अब फिर बंगलौर में हम लोग इकठ्ठे होंगे. 2024 के चुनाव में हम लोग जीतेंगे. भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेकेंगे.

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पार्टी का नाम स्व रामकृष्ण हेगड़े के सुझाव पर रखा: लालू

लालू प्रसाद ने राजद के स्थापना की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, मैं जब जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष था, तब कुछ लोग हमें हटा कर पार्टी पर अपना अधिकार जमाना चाह रहे थे. तब मैंने अपने कई साथियों, जिसमें कुछ लोग अभी मंच पर हैं और कुछ अब हमारे बीच नहीं हैं, से विमर्श कर पार्टी के गठन का निर्णय लिया था. पार्टी का नाम स्व रामकृष्ण हेगड़े के सुझाव पर रखा था.

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