बिहार की राजधानी पटना में सोमवार को हुई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी की एनडीए की बैठक में न तो पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस को न्यौता दिया गया और न ही उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को ही इस बैठक में इस बैठक में बुलाया गया. इसके बाद से ही कयास लगाया जा रहा है कि क्या JDU और BJP पशुपति पारस से दूरी बना रही है. देश के बड़े दलित नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी लोजपा में टूट हो गई थी, जिसके बाद एक धड़े ने पशुपति को समर्थन दिया तो वहीं, दूसरी धड़े ने चिराग पासवान को अपना नेता चुना है.
NDA की बैठक में रालोजपा को नहीं मिला न्योता
बता दें कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने अपने 1 अणे मार्ग स्थित आवास पर सोमवार को एनडीए नेताओं की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में एनडीए के सभी सांसद, विधायक और विधान परिषद के सदस्यों को बुलाया गया. लेकिन रालोजपा को इस बैठक में न्यौता नहीं दिया गया है. लांकि रालोजपा ने एनडीए गठबंधन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. रालोजपा की ओर से कहा गया कि वह अनदेखी के बावजूद एनडीए गठबंधन का एक अभिन्न अंग बनी हुई है.
जल्द बैठक करेगी रालोजपा
रालोजपा अध्यक्ष पशुपति पारस ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अभी भी एनडीए का हिस्सा है. रालोजपा ने अपनी भविष्य की कार्रवाई पर विचार-विमर्श करने के लिए एक अलग बैठक की, जिसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज और पूर्व सांसद चंदन सिंह सहित प्रमुख नेता शामिल हुए.
NDA का महत्वपूर्ण हिस्सा है RLJP : श्रवण कुमार
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने कहा कि रालोजपा खुद को एनडीए का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानती है और गठबंधन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है. उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए की बैठक में आमंत्रित नहीं किए जाने के फैसले को पार्टी ने गंभीरता से लिया है. अग्रवाल ने कहा, ‘इतनी बड़ी अनदेखी के बाद भी हम एनडीए में बने हुए हैं. पशुपति पारस और पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता एनडीए नेतृत्व से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे.’