घटते जलस्तर से मछलियां मुश्किल में

भूगर्भ जलस्तर को बनाये रखने के लिए तालाबों का संरक्षण जरूरी मछली पालन को देना होगा बढ़ावा सासाराम सदर : मत्स्य कृषकों को मछली पालन व संरक्षण की जानकारी देने के लिए शहर के बीएनएस इंटरनेशनल में रविवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ. इसका उद्घाटन मत्स्य निदेशक निशांत अहमद, उप मत्स्य निदेशक फारूकी, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2017 2:54 AM

भूगर्भ जलस्तर को बनाये रखने के लिए तालाबों का संरक्षण जरूरी

मछली पालन को देना होगा बढ़ावा
सासाराम सदर : मत्स्य कृषकों को मछली पालन व संरक्षण की जानकारी देने के लिए शहर के बीएनएस इंटरनेशनल में रविवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ. इसका उद्घाटन मत्स्य निदेशक निशांत अहमद, उप मत्स्य निदेशक फारूकी, जिला मत्स्य पदाधिकारी सतेंद्र राय ने किया. कार्यशाला के माध्यम से जिले के भौगोलिक क्षेत्र के संबंध में जल की उपलब्धता के बारे में पहली बार तकनीकी से मत्स्य कृषकों को जागरूक किया गया. मत्स्य निदेशक ने बताया कि भूगर्भ का जल स्तर लगातार घट रहा है. मछली पालन के लिए यह चिंता का विषय है. लगातार घट रहे जलस्तर से मछली पालन में मुश्किलें आयेंगी.
इससे निबटना होगा. उन्होंने कहा कि इस घटते जलस्तर के लिए तालाबों का निर्माण कर जल संरक्षण का कार्य करना होगा, ताकि भूगर्भ का जलस्तर बना रहे. इसके लिए बारिश के पानी को सहेजना होगा. उन्होंने कहा कि मछली पालन खेती से ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. खेत में मात्र तीन लाख प्रति हेक्टेयर उत्पादन होगी, लेकिन एक हेक्टेयर तालाब से 30 लाख की आमदनी हो सकती है. वहीं, उप मत्स्य निदेशक ने सरकार द्वारा चलायी जा रही मत्स्य योजना से संबंधित कई जानकारियां दीं. उन्होंने कहा कि सरकार के पास राशि की कमी नहीं है. इन योजनाओं का लाभ लेकर लोग मछली का पालन कर सकते हैं. कार्यशाला में प्रगतिशील मत्स्य प्रबंधक बहादुर ने मत्स्य आहार की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए मछलियों की बीमारी व लक्षण सहित उपचार करने के लिए दवाओं के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मछली पालन के साथ मछली की बीमारियों की पहचान अनिवार्य है, नहीं तो मछली बीमारी की चपेट में आकर मर जायेगी.

Next Article

Exit mobile version